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इंडस्ट्री ने मुझे अपना लिया है, आउटसाइडर वाली बात गलत है – कार्तिक आर्यन

बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन अपनी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीतते है. जल्द ही कार्तिक की फिल्म भूल भुलैया 2 रिलीज होने वाली है. अब एक्टर ने इसको लेकर खास बातचीत की है.

बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन ने अपनी फिल्मों से बॉलीवुड में वो मुकाम बना लिया है. जहां उन्हें ही नहीं बल्कि दर्शकों को भी उनकी फिल्मों से उम्मीदें रहती हैं. कार्तिक की फिल्म भूल भुलैया 2 जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. कार्तिक कहते हैं कि मैं बहुत उत्साहित हूं क्योंकि दो साल बाद मेरी कोई फिल्म बॉक्स आफिस पर रिलीज होगी. मेरी यह फिल्म टिकट खिड़की पर धमाका करे. ऐसी उम्मीद है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश

भूल भुलैया 2 के अनुभव को किस तरह से परिभाषित करेंगे

सबसे पहले मैं अक्षय कुमार की फिल्में देखकर बड़ा हुआ हूं. मैं उनसे तुलना करने की सोच भी नहीं सकता हूं तो दर्शक भी नहीं करें. यह बिल्कुल अलग तरह की फिल्म है.इतनी बड़ी टीम के साथ मैंने पहली बार काम किया है. बहुत ही खास अनुभव रहा. यह एक हॉरर कॉमेडी होने के बावजूद एक फैमिली एंटरटेनर है. मुझे हॉरर भी पसंद है और कॉमेडी भी और ये फिल्म मुझे दोनों करने का मौका दे रही थी. ढाई साल लग गए फिल्म को बनने में लेकिन सभी ने इस फिल्म पर विश्वास बनाए रखा. मैं एक्टर्स की नहीं बल्कि प्रोड्यूसर की बात यहां कर रहा हूं. पैसे लगाना आसान नहीं होता है, लेकिन निर्माताओं ने विश्वास रखा और इस फिल्म को लार्जर देन लाइफ बनाया.

रियल लाइफ में आप किसी चीज़ को लेकर किसी अंधविश्वास को मानते हैं?

मैं अंधविश्वासी नहीं हूं लेकिन मेरे अपने लोग जिन चीजों में विश्वास करते हैं, तो उनको मैं मान लेता हूं. जैसे क्रिकेट देखते हुए पापा कहते हैं कि हिलना नहीं तो वो मान लेता हूं.

आपकी पिछली फिल्म धमाका में आप अलग अंदाज में दिखें थे अब भूल भुलैया 2 क्या आगे भी ऐसे बैलेंस करने की प्लानिंग है

मैं अच्छी स्क्रिप्ट के पास जा रहा हूं. मैं जॉनर नहीं देख रहा हूं कि एक ये वाली करूंगा दूसरी कोई और. मैं लगातार रोमांटिक फिल्म कर सकता हूं अगर स्क्रिप्ट अच्छी है तो.दो कॉमेडी फिल्म अच्छी स्क्रिप्ट वाली लगातार मिल गयी तो ऐसा नहीं बोलूंगा कि नहीं करूंगा क्योंकि लगातार कॉमेडी नहीं कर सकता हूं. मेरे लिए स्क्रिप्ट सबसे अहम है फिर मेरा किरदार.

बीते दो सालों में ओटीटी ने कंटेंट देखने औऱ चुनने का नज़रिया पूरी तरह से बदल दिया है क्या आप भी ये महसूस करते हैं?

मैं खुद को वो ऑडिएंस हूं जो बहुत फिल्में देखता है. मैंने कभी नहीं सोचा कि ये सेट ऑफ ऑडिएंस के लिए ये बनाता हूं.इनके लिए ये. हां प्लेटफार्म चुन सकता हूं.मुझे नहीं लगता कि दो सालों में दर्शकों ने अलग अलग कंटेंट देखना शुरू किया. मुझे लगता है कि दर्शक हमेशा से अलग अलग कंटेंट देख रहे हैं. वो कल भी हॉलीवुड देख रहा था आज भी. दो साल में ऐसा नहीं हुआ कि हॉलीवुड की टिकट प्राइस कम की हो गयी. अच्छी कहानी कल भी हिट थी आज भी हिट है और कल भी रहेगी. यह बात बॉलीवुड,साउथ और हॉलीवुड सभी के लिए लागू होती है.

जब फिल्में नहीं चलती हैं तो परेशान होते हैं?

हां होता हूं यह इंसान का स्वभाव है.मैं भी आम इंसान की तरह सोचने लगता हूं कि ऐसा करता या ऐसा होता तो ये नहीं होता था, लेकिन जब कोई अच्छी फिल्म ऑफर हो जाती है तो मूव ऑन कर लेता हूं. बॉलीवुड में साउथ की फिल्मों को रीमेक करने का फार्मूला काफी लोकप्रिय रहा है. अब जब वहां की फिल्में नार्थ इंडिया के दर्शकों से सीधे जुड़ जा रही हैं, तो क्या साउथ की रीमेक फिल्मों से आप दूर रहेंगे.

रीमेक फिल्में बना कौन रहा है.निर्देशक कौन हैं. उनकी टीम कौन है. क्या उसमें वह कुछ अलग जोड़ सकते हैं. मेरे लिए ये बात ज़्यादा मायने रखेगी

कई बार कांसेप्ट काफी अलग होता है और वो आपको अपील कर जाता है.आप सोचते है कि इस कांसेप्ट पर मैं अपनी तरह से कुछ बनाऊं.फ्रेम टू फ्रेम के मैं खिलाफ हूं, लेकिन मैं साउथ रीमेक के खिलाफ नहीं हूं.

आपकी विश लिस्ट में कोई निर्देशक हैं और क्या आप काम के लिए सामने से निर्देशकों को अप्रोच करते हैं?

संजय लीला भंसाली, हां अगर मैं किसी के काम को पसंद करता हूं और उनके साथ काम करने की ख्वाइश रखता हूं तो मैं खुद सामने से उन्हें अप्रोच कर सकता हूं. पहले मैं शर्माता था लेकिन अब नहीं.

सफलता के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं आप नॉर्मल ज़िन्दगी की क्या बातें मिस करते हैं

मैं अभी भी फुटबॉल खेलने जाता हूं.मैं अभी भी पानीपुरी,पावभाजी खाने रोडसाइड चला जाता हूं तो मैं वो सब मिस नहीं करता हूं, हां कई बार जब मैं अपनी फैमिली के साथ खाना खाने जाता हूं तो भीड़ लग जाती है तो फैमिली के साथ समय नहीं बीता पाता हूं तो थोड़ा बुरा लगता है. कई बार लोग मेरे फुटबाल मैच का पूरा वीडियो यूट्यूब पर डाल देते हैं.आप हर वक्त अच्छे नहीं दिख सकते हैं और ना ही चौबीस घंटे अच्छी बातें कर सकते हैं तो वो सब भी आ जाता है तो अच्छा नहीं लगता है.

अभी हाल में आपने इकोनॉमिक क्लास में सफर किया था क्या अभी भी दिल से मिडिल क्लास की तरह की सोचते हैं?

जेब से पैसा जाता है तो मिडिल क्लास वाली फीलिंग आ ही जाती है.आखिर मैं हूं तो वही.ग्वालियर जैसे एक छोटे से शहर से आया हूं. मेरी जर्नी सभी ने देखी है.मैंने कहां से कहां तक का सफर तय किया है.

अपनी सफलता पर यकीन होता है?

नहीं, कई बार खुद को पिंच करके देखता हूं कि वाकई ये हकीकत है ना.

आप अपनी सफलता में किस्मत या मेहनत किसको श्रेय देंगे?

40 प्रतिशत प्रतिभा, 50 प्रतिशत मेहनत और 10 प्रतिशत लक इसने ही मुझे बनाया है. मैं आज जहां भी पहुंचा हूं.

क्या आउटसाइडर्स वाली फीलिंग अभी भी है

जिस तरह की फिल्में और मेकर्स के साथ मैं काम कर रहा हूं वो इस बात की गवाही दे रहे हैं इंडस्ट्री ने मुझे कितना अपना लिया है अगर ऐसा नहीं होता तो मैं इतने बड़े बैनर्स और निर्देशकों की फिल्म का हिस्सा नहीं होता था, तो जो भी बातें आती हैं कि मेरे साथ आउटसाइडर वाला सलूक किया जा रहा है. वो गलत है.

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