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ठेठ नागपुरी की पहचान है सरिता देवी कहतीं हैं- ठेठ कभी नहीं मरेगा

।।पंकज कुमार पाठक ।।तस्वीर- वीडियो- अरविंद सिंह सरिता देवी नागपुरी में कितने गाने गा चुकी हैं, उन्हे याद भी नहीं है. कहतीं है कि अबतक 15 हजार से ज्यादा एलबम में गाने गाये होंगे. ध्यान रहे कि यह एलबम की बात कर रही हैं पहले एक एलबम में 7 से ज्यादा गाने होते थे. अब […]

।।पंकज कुमार पाठक ।।
तस्वीर- वीडियो- अरविंद सिंह

सरिता देवी नागपुरी में कितने गाने गा चुकी हैं, उन्हे याद भी नहीं है. कहतीं है कि अबतक 15 हजार से ज्यादा एलबम में गाने गाये होंगे. ध्यान रहे कि यह एलबम की बात कर रही हैं पहले एक एलबम में 7 से ज्यादा गाने होते थे. अब आप अंदाजा लगा लीजिए. सरिता देवी ने रिकार्ड से लेकर कैसेट, सीडी और अब डिजिटल प्लेटफॉर्म तक का सफर तय किया है. सरिता जब 15 साल की थीं तब से गाना गा रहीं हैं. इस इंडस्ट्री में उन्हें 25 साल से ज्यादा हो गये. नागपुरी में बदलते गाने, बदलते संगीत और दर्शक पर कहतीं है ठेठ नागपुरी कभी नहीं मर सकता.

ठेठ नागपुरी को लेकर सरिता देवी देश के कई राज्यों में शहरों में घूम चुकी हैं. अंडमान तो झारखंड के लोगों से भरा है. सरिता बताती हैं कि जब मैं शो के लिए वहां जाती हूं, तो मेरा संगीत कहीं रास्ते में सुनायी देता है तो महसूस होता है कि मैंने अच्छा काम किया है. मुझे हर जगह वही प्यार मिलता है, जो अपने शहर में मिलता है. एक स्टेज शो से सरिता को ज्यादा पैसे नहीं मिलते लेकिन इसी स्टेज शो की कमाई से सरिता का घर चलता है.
साल 2011 में सरिता अपनी कला की वजह से विदेश भी घूमकर आयी. सरिता ने फ्रांस में गाना गया. उस वक्त को याद करते हुए सरिता कहतीं हैं, मुझे उनकी भाषा तो समझ नहीं आती थी लेकिन वह पीठ ठोंक कर कुछ कहते थे बाद में पता चला वह तारीफ कर रहे हैं. फ्रांस में भले दूसरी भाषा बोली जाती थी लेकिन उनका प्यार दिल तक पहुंचता था वह हमारा खूब ध्यान रखते थे. इतना सम्मान उन्होंने दिया कि कम जगहों पर मिलता है बहुत प्यार मिला, मेरे गाने की भी खूब तारीफ की.
ठेठ नागपुरी और बदलते संगीत पर कहतीं है कि देखिये ठेठ नागपुरी को कोई नहीं मार सकता है यह हमेशा जिंदा रहेगा, मैं भी कोशिश करती हूं कि यह कला कभी नहीं मरे. हमारी परंपरा से यह संगीत जुड़ा है. आज भी जतरा में या किसी बड़े आयोजन में स्टेज शो करती हूं तो खूब प्यार मिलता है लोग ठेठ सुनने के लिए आते हैं. मैं चाहती हूं मेरे बाद भी यह कला जिंदा रहे इसलिए कुछ लोगों को अपने कला केंद्र में प्रशिक्षित कर रही हूं जितना मेरे पास है उन्हें देने की कोशिश कर रहीं ताकि आने वाली पीढ़ी मुझे हमारी कला को याद रखे.
सरिता देवी बताती हैं कि हम चार भाई बहन है. मैं कला की वजह से इतनी मजबूत हुई कि अपने भाई बहनों की शादी कर सकी. मैं आज जो कुछ भी हूं इस कला की बदौलत हूं. मेरे माता – पिता बहुत गरीब थे. इतने की मैं बता भी नहीं सकती. मैं 15 साल की थी तो अखरा में मैं गाना गा रही थी कुछ लोगों को लगा कि मेरी आवाज अच्छी है तो मुझे सिखाने ले गया और गाने का अवसर दिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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