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Roohi Movie Review : ना हंसाती है ना डराती है… बोरिंग है रूही

Roohi Movie Review jahnvi kapoor rajkummar rao varun sharma film bud: हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी जॉनर से बीते कुछ सालों में लोकप्रिय हो गया है. रूही इसी कड़ी की अगली फिल्म है। रुही के ट्रेलर रिलीज के साथ ही इसकी तुलना स्त्री फ़िल्म से होने लगी थी.हॉरर कॉमेडी दोनों हैं। चुड़ैल औऱ उल्टे पांव हैं.दोनों की कहानी में ही लोग चुड़ैल से परेशान हैं.

Roohi Film Review

फ़िल्म – रूही

निर्माता- दिनेश विजन, भूषण कुमार

निर्देशक- हार्दिक मेहता

कलाकार- जाह्नवी कपूर, राजकुमार राव,वरुण शर्मा,मानव विज और अन्य

रेटिंग – डेढ़

Roohi Film Review : हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी जॉनर से बीते कुछ सालों में लोकप्रिय हो गया है. रूही इसी कड़ी की अगली फिल्म है. रुही के ट्रेलर रिलीज के साथ ही इसकी तुलना स्त्री फ़िल्म से होने लगी थी.हॉरर कॉमेडी दोनों हैं। चुड़ैल औऱ उल्टे पांव हैं.दोनों की कहानी में ही लोग चुड़ैल से परेशान हैं. दोनों में राजकुमार हैं और फ़िल्म के मेकर्स दिनेश विजन ही हैं लेकिन अफसोस इतनी सारी समानताएं होने के बावजूद मनोरजंन की कसौटी पर रूही स्त्री के मुकाबले फिसड्डी साबित होती है. कुलमिलाकर तुलना बेमानी सी लगती हैं क्योंकि तीन साल पहले स्त्री ने हॉरर कॉमेडी जॉनर में जो मापदंड स्थापित किए थे ये फ़िल्म दूर दूर तक उसपर नहीं टिकती हैं.

फ़िल्म की कहानी की बात करें यह उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में स्थापित की गयी है. भवरा पांडे (राजकुमार राव) और कटनी (वरुण शर्मा) जो पेशे से जर्नलिस्ट हैं, लेकिन साथ ही वह एक कुप्रथा पकड़ाई शादी के तहत लड़कियों का किडनैप कर उनकी शादी भी करवाते हैं. इसी के तहत भवरा और कटनी, रूही (जाह्नवी कपूर) को भी किडनैप करते हैं लेकिन मालूम पड़ता है कि रूही के अंदर अफज़ा का साया है.

भवरा को रूही से प्यार हो जाता है और अफज़ा की आत्मा से कटनी को. भवरा रूही को अफज़ा की आत्मा से मुक्त करना चाहता है लेकिन कटनी नहीं. क्या भवरा रूही को अफज़ा की आत्मा से मुक्त करवा पाएगा.ये सवाल जेहन में चलते ही रहते हैं कि फ़िल्म का अंत अजीबोगरीब मोड़ पर हो जाता है. हॉरर फिल्म फेमिनिस्ट मोड पर चली जाती है.

फ़िल्म शायद बताती है कि औरत को खुद के बचाव के लिए किसी मर्द की ज़रूरत नहीं है लेकिन ये अंत फ़िल्म को और कमज़ोर कर जाता है.समझ ही नहीं आता कि जो आप समझ रहे हैं वही फ़िल्म आपको समझा रही है या कुछ और है. फर्स्ट हाफ थोड़ा ठीक है लेकिन उसके बाद फ़िल्म पूरी तरह से बिखर गयी है. स्क्रीनप्ले बहुत कमजोर है. अफज़ा के बारे में थोड़ा बताने की ज़रूरत थी. झाड़ फूंक वाले चिमट्टी पुर के सीक्वेंस के बजाय.

अभिनय की बात करें तो राजकुमार राव औसत रहे हैं उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते हैं. वरुण शर्मा अभी भी चूचा वाले ज़ोन में ही हैं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फ़िल्म में राजकुमार राव और वरुण शर्मा की जुगलबंदी ही है जो फ़िल्म को झेल लेना थोड़ा मुमकिन हो पाया है. रूही जाह्नवी कपूर की फ़िल्म है लेकिन वह छाप नहीं छोड़ पायी हैं. अफज़ा के किरदार में थोड़ा ठीक भी रही हैं रूही की भूमिका में तो उनके चेहरे पर एक ही एक्सप्रेशन हैं.मानव विज,सरिता सहित बाकी के किरदारों ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

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फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी कहानी के अनुरूप हैं.संवाद की बात करें तो टुकड़ों में वह हंसाते हैं खासकर इंग्लिश शब्दों के देशी अंदाज़ वाले शब्द. चुड़ैल अफज़ा के संवाद फ़िल्म में समझ ही नहीं आते हैं.हमें खुद समझना पड़ता है कि आखिर वह कह क्या सकती है. फ़िल्म का गीत संगीत अच्छा है.नदियों पार गाना फ़िल्म की शुरुआत में ही है और अंत में पनघट गीत यही दो याद रह जाते हैं.बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा है. वीएफएक्स कमज़ोर रह गया है जो इस हॉरर फिल्म की बड़ी ज़रूरत थी. कुलमिलाकर यह हॉरर कॉमेडी फिल्म ना तो डरा पायी हैं ना ही हंसा.

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