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खास बातचीत: बोले ऋषि कपूर- अभी भी मैं दिल से हूं जवान

उर्मिला कोरी अभिनेता ऋषि कपूर अपने अभिनय की सेकेंड इनिंग को एंज्वॉय कर रहे हैं. अगले साल वह बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग कैरियर के 50 साल पूरे करनेवाले हैं. उनका मानना है कि शुरुआती कैरियर में उन्होंने ज्यादातर रोमांटिक फिल्में ही कीं, जिनमें करने को बहुत कुछ नहीं होता था. जबकि ‘अग्निपथ’, ‘मुल्क’, ‘102 नॉट […]

उर्मिला कोरी

अभिनेता ऋषि कपूर अपने अभिनय की सेकेंड इनिंग को एंज्वॉय कर रहे हैं. अगले साल वह बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग कैरियर के 50 साल पूरे करनेवाले हैं. उनका मानना है कि शुरुआती कैरियर में उन्होंने ज्यादातर रोमांटिक फिल्में ही कीं, जिनमें करने को बहुत कुछ नहीं होता था. जबकि ‘अग्निपथ’, ‘मुल्क’, ‘102 नॉट आउट’ जैसी फिल्में उन्हें सम्मान का एहसास करवाती हैं, जिसमें अलग-अलग किरदारों ने उन्हें बड़ा मौका दिया. जल्द वे स्पेनिश फिल्म के रीमेक ‘द बॉडी’ में दिखेंगे. उनसे हुई खास बातचीत.
-‘द बॉडी’ मैं आपको क्या खास लगा?
यह फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री है. जिस तरह से कहानी को नरेट किया गया गया है, वह मुझे कमाल का लगा. आपको समझ ही नहीं आता कि मर्डरर कौन है, मर्डर हुआ भी है या नहीं… आज के दर्शक इतने एजुकेटेड हैं कि निर्माता-निर्देशक कुछ भी नहीं बना सकते. उन्हें कुछ अलग और समय से आगे का कंटेंट परोसना पड़ता है. ‘बाला’, ‘विक्की डोनर’ जैसी फिल्में हमारे समय में नहीं बनती थीं. वही घिसे-पिटे फॉर्मूले चलते थे. इस हिसाब से यह फिल्म इनोवेटिव लगी.
-आपके पिता राज कपूर भी उस दौर में समय से आगे की फिल्में बनाते थे. क्या कहेंगे?
मैंने भी कितनी सारी फिल्में की हैं, जो अपने समय से आगे थीं. इनमें- मेरा नाम जोकर, दूसरा आदमी, एक चादर मैली सी आदि. हालांकि ये उस वक्त नहीं चलीं. लेकिन आज सभी उनको पसंद करते हैं. मुझे लगता है वो फिल्में हमारे इमेज के खिलाफ थीं. इस वजह से हमको एक्सपेरिमेंट का मौका नहीं मिल पाता था. हम उस दौर में चाहकर भी विक्की डोनर और बाला जैसी फिल्में नहीं कर सकते थे. तब बाग-बगीचे में गाने, मार-धाड़ और मिलने-बिछुड़ने वाले सीन ही पसंद किये जाते थे. अमिताभ बच्चन को भी उनके सुपरस्टार वाले दौर में एक्सपेरिमेंट करने नहीं मिला. उन्हें भी ज्यादातर ऐसी ही फिल्में करनी पड़ीं. मुझे याद है मेरी एक फिल्म थी- खोज, उसमें मैं विलन था. लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर्स और निर्माता के दवाब में फ़िल्म का शूट किया हुआ क्लाइमेक्स बदल दिया गया. उनकी दलील थी कि दर्शक मुझे नेगेटिव रोल में पसंद नहीं करेंगे.
-‘द बॉडी’ में आप इमरान हाशमी के साथ काम कर रहे हैं. युवा अभिनेताओं को आप कैसा पाते हैं?
इमरान के साथ यह फिल्म की और ‘बेवकूफियां’ आयुष्मान के साथ. आज के राजकुमार, रनबीर और रणवीर आदि युवाओं के साथ अच्छी बात यह है कि वे जिम में अपना पूरा वक्त नहीं बिताते या फिर घुड़सवारी, एक्शन सीखने में. वे एक्टिंग पर फोकस करते हैं. अरे एक्टिंग ही जरूरी है. सलमान खान ने बॉडी बना ली, तो सबको लगने लगा कि एक्टिंग के लिए बॉडी ही बनानी है. यह गलत है. आप बॉडी बनाते हैं, तो कैमरा रोल होते ही आपका पूरा ध्यान सिर्फ बॉडी पर ही होता है, न डायलॉग और न ही दूसरी किसी चीज पर. नतीजा सब खराब. मैंने ऐसा कुछ नहीं सीखा. मुझे पता था कि मैं एक्टर हूं और जो भी परदे पर करूंगा, वह कन्विंसिंग होना चाहिए. मैंने कई बार गानों पर डफली, पियानो या फिर गिटार बजाया. सभी को लगता था कि मुझे सचमुच बजाना आता है. मैं फिल्मों में देखता था कि एक्टर पियानो पर बैठा है, लेकिन मुश्किल से उंगली हिलती थी. मैंने तभी तय कर लिया था कि मैं ये गलतियां नहीं करूंगा. एक्टर का मतलब सिर्फ एक्टिंग करना होता है और दर्शकों को कन्विंस. बॉडी बनाना नहीं.
-फिल्मों की सफलता के लिए क्या चीजें जरूरी हैं?
सफल फिल्मों का कोई फार्मूला नहीं होता. हां, बहुत चीज़ें मायने रखती हैं. 70 के दशक में आरके बैनर की फिल्म ‘कल आज कल’ जब रिलीज हुई थी, तब युद्ध शुरू हो गया था. मुश्किल से एक या दो शो हो पाते थे. मेरे पिता कहते थे कि देश पर जो भी संकट होता है, उससे सबसे पहले एंटरटेनमेंट ही प्रभावित होता है. आज अच्छी बात है कि इंटरनेटमेंट के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार हो रहा है.
-कोई बायोपिक करने की ख्वाइश है?
मैं किसी बायोपिक के लिए सबसे कमज़ोर अभिनेता साबित रहूंगा.मैं किसी की नकल नहीं कर सकता. मुझे नेचुरल एक्टिंग आती है, जो दिल से होती है. यही वजह है कि मेरी कोई कॉपी कर सके, ऐसा मेरे स्टाइल में ही नहीं है, जबकि दूसरे अभिनेताओं में है.
-आपकी इमेज रोमांटिक हीरो की रही है. क्या फिर कोई वैसा रोल करना चाहेंगे?
मैं भले ही 67 साल का हो गया हूं, लेकिन अभी भी दिल से जवान हूं और बहुत ही आशावान हूं. अभी बोलना जल्दीबाजी होगी, लेकिन जल्द ही मैं पर्दे पर अपने से 40 साल छोटी हीरोइन के साथ रोमांस करता नजर आऊंगा. इसके अलावा नीतू के साथ भी एक फिल्म करने जा रहा हूं.
-इस उम्र में भी आपको क्या चीजें मोटिवेट करती हैं?
मैं आज भी अपने काम को लेकर बहुत जुनूनी हूं. सेट पर बहुत एन्जॉय करता हूं. मेरा किसी से कोई कॉम्पिटिशन नहीं है. अपना काम अच्छे से कर रहा हूं. मैं खुद को बेस्ट मानता हूं.
-क्या आप अपने काम को क्रिटिक्स के नजरिये से देखते हैं?
मैं अपनी और बेटे रनबीर की फिल्में नहीं देखता. जब देखता हूं, तो मुझे लगता है कि अरे ये ठीक नहीं हुआ, उसको ऐसे कर लेता तो अच्छा होता. नीतू मेरे और रनबीर की फिल्में देखती है. वही अपनी राय रखती है.
-अगले साल इंडस्ट्री में आपके 50 साल पूरे होने वाले हैं. इस सफर को कैसे याद करते हैं?
अगर आप ‘मेरा नाम जोकर’ से गिनती करें, तो अगले साल 50 पूरे हो जायेंगे. लेकिन मैं ‘बॉबी’ से अपने कैरियर की शुरुआत मानता हूं. हालांकि बॉबी में ‘इंट्रोड्यूस’ शब्द सिर्फ डिंपल के साथ जुड़ा था, मेरे नाम के आगे नहीं. अब तक की जर्नी बहुत यादगार रही है. 50 साल काम करना आसान नहीं होता. बॉबी 1973 में रिलीज हुई थी. 1973 से 1997 तक लगातार मैंने काम किया, फिर कुछ साल ब्रेक पर रहा और सेकेंड इनिंग शुरू हो गयी. मुझे किसी बात को लेकर कोई रिग्रेट फील नहीं हुआ. मैं रनबीर से हमेशा कहता हूं कि सफलता कभी तेरे सिर पर सवार न हो जाये, बस यह ध्यान रखना.
-50 सालों में इंडस्ट्री में आप क्या फर्क पाते हैं?
सबकुछ सिस्टेमैटिक हो गया है. अब फिल्मों में व्हाइट मनी लगती है. स्टूडियोज कॉरपोरेट की तरह काम करते हैं. हर चीज का कंप्यूटर पर हिसाब रहता है, तो कोई हेरा-फेरी नहीं होती. अब इंडस्ट्री बहुत बड़ी हो गयी है और हर तिमाही में 15 फीसदी ग्रोथ है. हमारा ओवरसीज मार्केट बहुत बड़ा हो गया है. सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश ही नहीं, पूरी दुनिया हमें देख रही है. दो हफ्ते पहले मैं म्युनिख में था. वहां की सड़कों पर लोग मुझे पहचान रहे थे. डिजिटल प्लेटफॉर्म से किसी भी देश में लोग हमारी फिल्में देख सकते हैं.
13 दिसंबर को रिलीज होगी ‘द बॉडी’
इलाज के बाद ऋषि कपूर बेहतर महसूस कर रहे हैं और एक बार फिर से एक्टिव हैं. उन्होंने अपनी आगामी फिल्म द बॉडी का पोस्टर ट्विटर पर शेयर किया. यह पिछले साल ही आनेवाली थी, लेकिन ऋषि इलाज के लिए अमेरिका चले गये थे. इमरान हाशमी ने बताया कि पूरी टीम ने फिल्म के दौरान ऋषि कपूर की सेहत को सबसे ऊपर रखा और उनके सकुशल आने का इंतजार किया. ‘द बॉडी’ साल 2012 में आयी एक स्पेनिश क्राइम थ्रिलर फिल्म का रीमेक है, जिसके डायरेक्टर ओरियल पॉलो हैं. बॉलीवुड में यह मलयालम डायरेक्टर जीतू जोसेफ का डायरेक्टोरियल डेब्यू है. कहानी एक पुलिस अधिकारी के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे शवगृह से गायब हुए एक लाश की तलाश है. इसमें इमरान और ऋषि कपूर के अलावा शोभिता धुलिपाला और वेदिका भी अहम भमिकाओं में हैं.

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