9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Film Review : फिल्‍म देखने से पहले पढ़ें ”फैमिली ऑफ ठाकुरगंज” का रिव्‍यू

उर्मिला कोरी फ़िल्म: फैमिली ऑफ ठाकुरगंजनिर्देशक: मनोज झानिर्माता: अजय कुमार सिंहकलाकार: जिम्मी शेरगिल,माही गिल,मनोज पाहवा,नंदिश संधू,प्रणीति प्रकाश राय,यशपाल शर्मा और अन्यरेटिंग: एक ‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ 70 और 80 के दशक की दो भाइयों की मसाला फिल्मों की कहानी से प्रेरित है।यहां भी दो भाई है. नन्नू और मन्नू. नन्नू ( जिम्मी शेरगिल) गरीबी और परिवार […]

उर्मिला कोरी

फ़िल्म: फैमिली ऑफ ठाकुरगंज
निर्देशक: मनोज झा
निर्माता: अजय कुमार सिंह
कलाकार: जिम्मी शेरगिल,माही गिल,मनोज पाहवा,नंदिश संधू,प्रणीति प्रकाश राय,यशपाल शर्मा और अन्य
रेटिंग: एक

‘फैमिली ऑफ ठाकुरगंज’ 70 और 80 के दशक की दो भाइयों की मसाला फिल्मों की कहानी से प्रेरित है।यहां भी दो भाई है. नन्नू और मन्नू. नन्नू ( जिम्मी शेरगिल) गरीबी और परिवार की जिम्मेदारी की वजह से गलत रास्ते पर चल पड़ता है और गैंगस्टर बन जाता है बस बदलाव ये किया है फ़िल्म के लेखकों ने मुन्नू (नंदिश संधू) को पुलिस ना बनाकर प्रोफेसर बना दिया है जो अच्छाई के रास्ते पर चलता है. उसकी कोशिश है कि उसका भाई बदल जाए. उसकी मुराद भी पूरी जल्द ही हो जाती है.

बस एक डायलॉग से नन्नू का हृदय परिवर्तन हो जाता है और वह भलाई के रास्ते पर निकल पड़ता है. क्या उसके गैंगस्टर साथी और भ्रष्ट सिस्टम उसे सच्चाई की राह पर चलने देगा. आगे की कहानी भी घिसी पिटी वाली ही है. फ़िल्म अपरिपक्व है.

फ़िल्म गैंगस्टर ड्रामा होने के साथ सामाजिक संदेश देने का भी बहुत ही कठिन वाली कोशिश करती है लेकिन सब बातें बेमानी है. समझ ही नहीं आता कि फ़िल्म आखिर कहना क्या चाहती है. फ़िल्म पूरी तरह से एक बोझिल फ़िल्म बनकर रह गयी है. स्क्रीनप्ले के साथ साथ फ़िल्म का ट्रीटमेंट भी अजीबोगरीब है.

फ़िल्म की शुरुआत के पंद्रह मिनट में जिस तरह से धड़ाधड़ किरदार आते जा रहे थे. समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन सा किरदार क्या है. ऐसा ही दृश्यों के साथ भी हुआ है. फ़िल्म के कई सीन आधे अधूरे से लगते हैं. दृश्य भी एक के बाद एक इस कदर ढुंसे हैं कि समझने में समय जाता है कि आखिर ये घालमेल में हो क्या रहा है.

अभिनय की बात करें तो फ़िल्म की स्टारकास्ट में बेहतरीन नाम शुमार हैं लेकिन कहानी और ट्रीटमेंट कुछ ऐसा था जो उनके लिए खास कुछ नहीं था.डॉन की भूमिका जिम्मी जमे हैं. माही भी अपनी भूमिका अच्छे से निभायी हैं लेकिन इनके किरदार में न ज़्यादा स्कोप था ना ही नयापन. टीवी से फिल्मों में आए नंदिश संधू को अपने अभिनय में काम करने की ज़रूरत है तो वही पहली बार परदे पर नज़र आयी. प्रणीति को अभिनय से फिलहाल दूर ही रहना चाहिए. पर्दे पर उनका अभिनय खीझ पैदा करता है ये कहना गलत न होगा.

पवन मल्होत्रा का किरदार आधा अधूरा सा है तो मनोज पाहवा,यशपाल शर्मा ,मुकेश तिवारी सहित दूसरे किरदारों के लिए करने को कुछ नहीं था.सौरभ शुक्ला फ़िल्म रेड वाले अंदाज़ में फिर खुद को दोहराते दिखे हैं. फ़िल्म को देखते हुए कई बार ये सवाल जेहन में आता है कि अभिनय के ये बेहतरीन नाम फ़िल्म से आखिर क्यों जुड़े. फ़िल्म का संवाद औसत है तो संगीत भूल जाना ही बेहतर होगा. कुलमिलाकर फैमिली ऑफ ठाकुरगंज बेहद उबाऊ फ़िल्म है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें