1958 में रिलीज सुपरहिट फिल्म ‘कालापानी’ का वह गीत आपको याद होगा – अच्छा जी मैं हारी पिया मान जाओ ना… इससे जुड़ा एक दिलचस्प वाकया है. स्टूडियो में जब यह गाना रिकॉर्ड हो रहा था, तो आशा भोंसले और मोहम्मद रफी में किसी बात पर बहस हो गयी.
म्यूजिक डायरेक्टर एसडी बर्मन ने इसे सुलझाने की कोशिश भी की, मगर दोनों ही सिंगर्स अपनी-अपनी बात पर अड़े थे. दरअसल, रफी साहब का कहना था कि आशा जी अपनी वॉयस में कुछ ज्यादा ही एक्सप्रेशन डाल रही हैं, जो गाने को सूट नहीं कर रहा… मगर आशाजी को लग रहा था कि कि वह सही गा रही हैं. अगले दिन फिर जब वह स्टूडियो पहुंचे और आशाजी ने गाना शुरू किया, तो रफी फिर से नाराज हो गये.
बोले- कल ही आपको समझाया था कि गाने में आवाज को इतना ज्यादा एक्सप्रेशन देने की जरूरत नहीं. मगर आशा जी ने कहा- मैं इस गाने को इसी तरह गाना चाहती हूं. इस पर रफी को थोड़ा गुस्सा भी आया. इस गाने में आपने रफी साहब की आवाज में वह तल्खी महसूस भी की होगी. फिल्म रिलीज के बाद जब गाना सुपरहिट हुआ, तब रफी जी ने आशाजी के सामने माना कि जो हुआ, वह अच्छा ही हुआ. उनकी अनबन ने गाने को खास बना दिया.
