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शाहरुख के इस किरदार को पर्दे पर निभाना चाहते हैं कार्तिक आर्यन, पढ़े कुछ खास बातें…

‘प्यार का पंचनामा’ फेम अभिनेता कार्तिक आर्यन मौजूदा दौर के युवा अभिनेताओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हो रहे हैं. 7 जुलाई को रिलीज हुई फ़िल्म ‘गेस्ट इन लंदन’ में नजर आ रहे हैं. इस फिल्‍म में परेश रावल भी मुख्‍य भूमिका निभा रहे हैं. कार्तिक आर्यन ‘प्‍यार का पंचनामा’ और ‘प्‍यार का […]

‘प्यार का पंचनामा’ फेम अभिनेता कार्तिक आर्यन मौजूदा दौर के युवा अभिनेताओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हो रहे हैं. 7 जुलाई को रिलीज हुई फ़िल्म ‘गेस्ट इन लंदन’ में नजर आ रहे हैं. इस फिल्‍म में परेश रावल भी मुख्‍य भूमिका निभा रहे हैं. कार्तिक आर्यन ‘प्‍यार का पंचनामा’ और ‘प्‍यार का पंचनामा 2’ में अपने कॉमिक किरदार के लिए खूब सराहे गये. उनकी इस फिल्म और कैरियर पर हमारी संवादाता उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

‘प्यार पंचनामा 1’ और टू कॉमेडी फिल्म थी. ‘गेस्ट इन लंदन’ भी कॉमेडी फिल्म है क्या कॉमेडी आपका फोर्टे बन गया है ?

मैंने स्टार्ट कॉमेडी फिल्मों से की थी जो सफल रही इसलिए लोगों को कॉमेडी मेरा फोर्टे लग रहा है. मेरे अंदर और भी फोर्टें है. अगर आप मुझसे पूछे कि क्या जोन मुङो पसंद है तो ग्रे किरदार करना पसंद करूंगा. शाहरुख खान का जो किरदार था फिल्‍म ‘बाजीगर’ में, मैं कुछ वैसा कुछ करना चाहता हूं. जो थोड़ा हीरो भी हो थोड़ा निगेटिव भी. इसके अलावा मैं हार्ड कोर रोमांटिक फिल्म करना चाहता हूं.

आपने ग्रे और रोमांटिक फिल्मों की ख्वाहिश जतायी है क्या आपको लगता है कि निर्माता नए लोगों के साथ एक्सपेरिमेंट करने के लिए तैयार हैं ?
हां मैं मानता हूं. मुझे लगता है कि लोग अब नए लोगों पर पैसें लगा रहे हैं. मेरी फिल्म पंचनामा वन और टू इसका सबसे उदाहरण है. उस फिल्म में सभी लोग न्यूकमर्स थे. उस फिल्म की कामयाबी ने नए लोगों पर निर्माताओं के विश्वास को बढ़ा दिया है. उस फिल्म को कल्ट स्टेट्स मिला है. उस फिल्म की कामयाबी ने नए लोगों के लिए इंडस्ट्री के रास्ते खोले. पिछले सात आठ साल पर नजर डाले तो बहुत सारे न्यूकमर्स आएं. वो एक अच्छी चीज है. सच कहूं तो लोग नए लोगों के साथ एक्सपेरिमेंट करना चाहते है लेकिन जो लोग पांच छह फिल्म पुराने हो जाते हैं. उनके लिए थोड़ी दिक्कत आती है क्योंकि निर्माताओं के जेहन में उनकी एक पॉपुलर इमेज बन जाती है.

जैसा कि आपने कहा कि पंचनामा में कई नवोदित चेहरे थे लेकिन गौर करें तो उनसे सिर्फ आप ही अच्छा कर रहे हैं. इसकी वजह आप क्या मानेंगे?
मैं अपने काम को लेकर फोकस हूं. सही चुनाव कर रहा हूं. सही वक्त पर सही जगह हूं. मैं बंद मुट्ठी की तरह काम कर रहा हूं. एक फिल्म हिट हो जाने के बाद मैं लगातार सात आठ फिल्में साइन नहीं कर रहा हूं. मैं सोच समझकर फिल्में चुन रहा हूं. थोड़ा गैप भी ले रहा हूं. जिससे लोग जब भी मुङो देखते हैं. उनके जेहन में एक फ्रेशनेस भी रहती है. फ्रेशनेस बहुत जरुरी है. इस फिल्म के बाद इस साल मेरी लव रंजन सर के साथ एक और फिल्म आएंगी. दोनों ही फिल्में कंटेंट वाली हैं. कैरियर में सही डिसीजन मेकिंग जरुरी है लेकिन वह एक जुए की तरह है. कभी कभी दांव उल्टा भी पड़ जाता है.

परेश रावल बहुत ही मुंहफट अभिनेता माने जाते हैं, कैसा रहा शूटिंग का अनुभव ?
परेश रावल पहली मीटिंग स्क्रिप्ट रीडिंग के दौरान हुई थी. मेरे साथ बहुत ही सही रिलेशन हैं. मेरे साथ ऐसा रिश्ता बन गया है कि अभी मिलेंगे तो यही मेरे बाजू में आकर बैठ जाएंगे. पहली मीटिंग में ही उन्होंने पंचनामा फिल्म की और मेरे अभिनय दोनों की तारीफ कर दी थी. जो की बहुत अच्छी बात है. ऐसा लगता है कि इतना बड़ा इंसान आपकी तारीफ कर रहा है तो और आप क्या चाह सकते हैं. लंदन में भी हमने फिल्म की शूटिंग के दौरान एक दूसरे के साथ काफी समय बिताया था. फिल्म में बहुत सारे सीन हमारे साथ हैं इसलिए हमारी बॉडिंग बहुत जरुरी थी.लंदन में पैकअप के बाद हम साथ में लंच तो कभी डिनर करने चले जाते थे. मैच साथ में देखते थे. सेट पर सुबह एक ही कार में आते भी थे. जान पहचानते हैं तो फिर सीन भी अच्छे बन जाते हैं. आपको हमारी बॉडिंग फिल्म में देखने को मिलेगी.

आउटसाइडर की फीलिंग क्या खत्म हो गयी है?
हां खत्म हो गयी है. वैसी फीलिंग थी ही नहीं. जिन लोगों के साथ काम किया था वो भी आउटसाइडर ही थे. अच्छी बात यह है कि हमारा संघर्ष रंग ला रहा है. सफलता की सीढ़ी पकड़ रहा है. कुछ अलग करने का मौका अब मिल रहा है. जो बहुत उत्साहित करता है.

क्या आउटसाइडर्स को ज्यादा संघर्ष करना पडता है?
पहली फिल्म के लिए ज्यादा संघर्ष करनापड़ता है. जहां तक बात नेपोटिज्म की है तो कोई भी इंडस्ट्री में यही होता है. अपने लोगों को पहली प्राथमिकता मिलती है. कुछ अलग नही ंहै. कोई फायदा उठा रहा है तो गलत नही ंहै. वैसे सेंस ऑफ प्राइड इस चीज में जो भी मैंने पाया है अपनी काबिलियत पर पाया है. जो लोग है वहां पर वह टेलैंटेड और मेहनती हैं तभी हैं. अगर नहीं होते तो उनको फिर कितने भी मौके मिलते वह नहीं टिक पाते थे. ऐसे इंडस्ट्रीज में ढेरों उदाहरण हैं.

आपके कंटेम्पररीज की बात करें तो रनबीर कपूर, रणवीर सिंह और वरुण धवन जैसे कई नाम हैं क्या आप उनके काम को फॉलो करते हैं?

फॉलो करना बिल्कुल जरुरी नहीं है. मैंने कंपेरीजन बहुत पहले ही बंद कर दिया है. वो क्या कर रहा है अगर मेरा ध्यान इसी में रहेगा तो जो मेरे पास हैं मैं उसकी वैल्यूज ही नहीं करूंगा. मैं अपनी चीजों से संतुष्ट है. कंटेट वाली फिल्में मुङो भी मिल रही है बहुत बड़ी न सही लेकिन लोग पैसा लगा रहे हैं. ये चीज हो रही है. इस चीज को ही मैं ही वैल्यू ही नहीं करूंगा तो कौन करेगा. किसी स्टार को फॉलो करने के बजाए मैं इस बात पर ध्यान देता हूंं कि किस तरह की फिल्में लोग देखना चाहते हैं.

फिल्मों का प्रमोशन फिल्म की शूटिंग से ज्यादा हैक्टिक होता है.क्या ये परेशान करता है?
मैं बहुत खुश हूं जो भी मैं कर रहा हूं. प्रमोशन अबकी फिल्मों का सबसे अहम हिस्सा बन चुका है तो आपको उसके लिए अपना समय देना ही होगा. मैंने ऐसा वक्त भी देखा है जब मैं घर पर बैठा था. समय नहीं कटता था अब समय नहीं है अपने लिए भी . मैं इस फेज को ज्यादा इंज्वॉय करता हूं. टाइम नहीं मिल पाना ज्यादा अच्छी बात है.

एक एक्टर के तौर पर खुद के विकास के लिए क्या करते हैं ?
मैं काफी वर्कशॉप करता हूं. किसी एक्टर के कोई सीन देखा हुआ होता हूं जो मुङो बहुत अच्छा लगा होता है तो मैं अकेले में उसको रिहर्स करता हूं कि अगर मैं करता तो ऐसे करता था. ये पर्सनल चीजें मैं करता हूं . दूसरा मैं फिल्म बहुत देखता हूं. आब्जर्ब बहुत करता हूं. बाकी चीजें जो डांस हो या जिम हो वो तो करता ही हूं लेकिन असली प्रतिभा अभिनय होती है. किसी फिल्म के करने से पहले हार्डकोर तैयारी करता हूं. मैं लिखता भी हूं इसलिए अपने किरदार की बैकस्टोरी लिखता हूं. पहले सीन जो आया है. यहां तक कैसे पहुंचा होगा. उसकी लाइफ होगी. वो सब लिखता हूं. ये सब चीजें बहुत जरुरी होती हैं. यह आपके किरदार को बखूबी समझाती हैं.

पीछे मुड़कर यहाँ से देखते हैं तो कैसी जर्नी रही है ?
यहां से देखता हूं तो ग्रेटफुल वाली फीलिंग आती है. अभी लंबा रास्ता तय करना है. धीरे धीरे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहा हूं. वो चीज मिस न कर दूं इसलिए अपने आप पर वर्क करते रहना चाहता हूं रोज. मैं पीछे देखता हूं तो यह भी पाता हूं कि मेरे पास हारने के लिए कुछ भी नही हैं. जितना भी पा रहा हूं वो तो बोनस ही है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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