-1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से महिलाओं को खेल स्टेडियमों में आने की इजाजत नहीं थी तेहरान : हजारों महिलाओं ने तेहरान के सबसे बड़े फुटबॉल स्टेडियम में विश्व कप मैच देखा, जो पहला मौका है जब उन्हें स्टेडियम में मैच देखने की स्वीकृति मिली और ईरान के टूर्नामेंट से बाहर होने के बावजूद […]
-1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से महिलाओं को खेल स्टेडियमों में आने की इजाजत नहीं थी
तेहरान : हजारों महिलाओं ने तेहरान के सबसे बड़े फुटबॉल स्टेडियम में विश्व कप मैच देखा, जो पहला मौका है जब उन्हें स्टेडियम में मैच देखने की स्वीकृति मिली और ईरान के टूर्नामेंट से बाहर होने के बावजूद यह इन महिलाओं की स्वतंत्रता की जीत थी. महिलाएं काफी जोश में थी और उन्होंने अपने गाल को राष्ट्रध्वज के रंगों में रंगा हुआ था.
इन महिलाओं ने एक लाख दर्शकों की क्षमता वाले आजादी स्टेडयिम में ‘लाइव स्क्रीनिंग’ के लिए पहुंच कर दिखा दिया कि विश्व कप का जादू उनके भी सिर चढ़ कर बोल रहा है. ईरान की महिलाओं को 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से खेल स्टेडियमों में आने की इजाजत नहीं थी. यह खुशी हालांकि उस समय आंसुओं में बदल गयी, जब पुर्तगाल के खिलाफ ईरान अंतिम लम्हों में विजयी गोल दागने से चूक गया जिससे टूर्नामेंट में टीम का सफर समाप्त हो गया.
इन महिलाओं ने हालांकि कहा कि इसके बावजूद वह इस एेतिहासिक दिन को सहेज कर रखेंगे, जब उन्हें खुले में स्क्रीन पर राष्ट्रीय टीम को खेलते हुए देखने का मौका मिला. ईरान की पहले मैच में मोरक्को पर जीत के बाद हजारों प्रशंसकों के राजधानी की सड़कों पर उतरकर जश्न मनाने के बाद स्टेडियम को दर्शकों के लिए खोलने का फैसला किया गया था. इस जश्न में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुईं थीं.
दिखी चेहरे पर खुशी
ऑनलाइन टिकट खरीदना काफी अजीब लग रहा था, स्टेडियम में आना काफी रोमांचक था. जब मैंने स्टेडियम में दर्शकों की गर्मजोशी महसूस की, तो मैंने स्वयं से कहा कि मैं इस दिन को अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ लम्हों में से एक के रूप में याद रखना चाहती हूं.
अरेजू, महिला मनोवैज्ञानिक दर्शक