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Aadhaar Card नहीं, होशियारपुर को पसंद है Passport, दोआब में कांग्रेस को SAD, AAP से मिल रही कड़ी चुनौती

Punjab Election 2022: Aadhaar Card नहीं, होशियारपुर के लोगों को पसंद है पासपोर्ट (Passport) बनवाना, दोआब में कांग्रेस को SAD, AAP से मिल रही कठिन चुनौती. जानें दोआब का पूरा गणित....

जालंधर/होशियारपुर/फगवाड़ा: पंजाब के दलित-बहुल दोआब क्षेत्र में, सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने एक कठिन चुनौती है, जहां वह शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की अच्छी-खासी पकड़ और खासकर युवाओं में आम आदमी पार्टी (आप) की बढ़ती लोकप्रियता के कारण दोहरी चुनौतियों का सामना कर रही है. इस क्षेत्र में कई लोग मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपनी पसंद बताते हुए उन्हें ‘अपना बंदा’ कहते हैं, हालांकि उनकी पार्टी के लिए यहां बहुत अधिक जनाधार प्रतीत नहीं होता.

दलित वर्ग के पहले सीएम हैं चरणजीत सिंह चन्नी

चन्नी राज्य में दलित वर्ग से पहले मुख्यमंत्री हैं. शिअद और परंपरागत रूप से कुछ शहरी इलाकों में पकड़ रखने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 20 फरवरी को होने वाले चुनाव में दोआब क्षेत्र में बढ़त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं. कांग्रेस और शिअद के बीच पंजाब की राजनीति की एकरसता को तोड़ने वाली आप को क्षेत्र के युवाओं द्वारा बदलाव के अग्रदूत के रूप में देखा जा रहा है.

दोआब के चार जिलों की 23 में 15 सीटें कांग्रेस ने जीती थी

राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा में चार जिलों जालंधर, होशियारपुर, नवांशहर और कपूरथला में फैले दोआब क्षेत्र में 23 विधानसभा सीटें हैं. बाकी सीटें मालवा (69 सीटें) और माझा (25) में हैं. राज्य में 2017 में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोआब में 15 सीटें जीती थीं, शिअद ने भाजपा के साथ गठबंधन में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और आप को सिर्फ दो सीटें मिली थीं.

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इसलिए कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री घोषित किया

राज्य के 31 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं वाले दलित समुदाय के बीच अपनी स्थिति को और मजबूत करने के उद्देश्य से कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी प्रदेश इकाई के प्रमुख और लोकप्रिय नेता नवजोत सिंह सिद्धू के मजबूत दावों के बावजूद चन्नी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया. हालांकि, इस क्षेत्र के लोग इस बात को लेकर बंटे हुए हैं कि क्या कांग्रेस को इस कदम से वांछित सफलता मिलेगी.

यहां मोबाइल पर चन्नी के भाषण सुन रहे लोग

आदमपुर निर्वाचन क्षेत्र में सामाजिक-धार्मिक संगठन डेरा सचखंड बल्लान में बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोगों और सेवकों को मोबाइल फोन पर चन्नी के भाषणों और साक्षात्कारों को सुनते हुए देखा जा सकता है, लेकिन पास के गांवों की यात्रा करने पर लोग संकेत देते हैं कि वे ‘हाथी’ (बसपा का चुनाव चिह्न) को पसंद करते हैं. रविदास जयंती के मद्देनजर पंजाब के चुनाव कार्यक्रम को 14 फरवरी से बदल दिया गया, जो समुदाय के प्रभाव को दर्शाता है.

अकाली को वोट देने वाले इस बार हाथी का बटन दबायेंगे

बल्लान गांव के एक बुजुर्ग अवतार सिंह ने कहा, ‘हमारे परिवार ने पारंपरिक रूप से अकालियों को वोट दिया है और इस बार वे बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए हम हाथी के चिह्न पर वोट करेंगे.’ हालांकि, एक ग्रामीण दर्शन पाल चन्नी के बारे में लगाव जाहिर करते हैं. उन्होंने कहा, ‘देखिए, इस बार हमारा अपना आदमी भी मैदान में है और हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा.’

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युवाओं की जुबान पर ‘नवी सरकार’ और ‘ऐतकी बदलाव’

इस क्षेत्र में डेरा का बड़ा प्रभाव है, जिसमें दलितों की आबादी 33 प्रतिशत से अधिक है और ज्यादातर रविदासिया हैं. ‘नवी सरकार’ और ‘ऐतकी बदलाव’ (इस बार बदलाव) जैसे वाक्य अब खासकर युवाओं की बातचीत में प्रमुखता से शामिल हैं. अपने दादा अवतार सिंह और उनके दोस्तों को चाय देने आये कॉलेज के द्वितीय वर्ष के छात्र गोल्डी आप का संदर्भ देते हुए कहते हैं, ‘ऐतकी नवी सरकार (इस बार, नयी सरकार) बनेगी.’

नयी पार्टी को चुनने के मूड में यह गांव

इस पर कई लोगों ने सहमति जतायी कि इस बार गांवों में नयी पार्टी को चुनने का मूड है. उनके बीच बैठे शिअद कार्यकर्ता हरप्रीत सिंह कहते हैं, ‘झाड़ू (आप का चुनाव चिह्न) हवा में उड़ रही है, लेकिन जमीन पर सरपंच और कार्यकर्ता नहीं हैं, जो वोट लायेंगे.’

सरपंच और ब्लॉक प्रमुख दिलवाते हैं वोट

जालंधर और होशियारपुर जिलों के गांवों में शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के समर्पित कार्यकर्ता और समर्थक देखे जा सकते हैं. उनमें से कई पूर्व सरपंच और ब्लॉक अध्यक्ष हैं. यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो किसी पार्टी के लिए वोट लाने में मदद करता है. रविदासिया होने के नाते चन्नी का नाम गांवों में बातचीत में प्रमुखता से सामने आता है, वहीं युवा आप के समर्थन में काफी मुखर हैं. पंजाब के इस क्षेत्र में रोजगार का मुद्दा भी छाया हुआ है.

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आधार कार्ड नहीं, होशियारपुर को पसंद है पासपोर्ट बनवाना

होशियारपुर के रुरका कलां गांव के सरबजीत सिंह संधू का बड़ा बेटा विदेश में रहता है. सरबजीत ने कहा, ‘लोग जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड से अधिक पासपोर्ट पसंद करते हैं, ताकि वे विदेश जा सकें, क्योंकि यहां कोई नौकरी नहीं है.’

जालंधर में भाजपा के होर्डिंग

दोआब क्षेत्र के गांवों से मुख्य शहरों की ओर बढ़ने पर भाजपा की मौजूदगी होर्डिंग और लोगों की बातचीत में विशेष रूप से जालंधर शहर के विधानसभा क्षेत्रों में दिखने लगती है, जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का बड़ा प्रभाव है. स्थानीय भाजपा नेताओं को पार्टी के उम्मीदवारों खासकर जालंधर उत्तर में, केडी भंडारी, जालंधर पश्चिम में मोहिंदर भगत, जालंधर मध्य में मनोरंजन कालिया और फगवाड़ा में पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला पर भरोसा है.

Posted By: Mithilesh Jha

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