MP ELECTION 2023 : मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. कांग्रेस की राह इस बार आसान नजर नहीं आ रही है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया है. पिछली बार कांग्रेस के लिए वोट मांगते नजर आने वाले सिंधिया इस बार भाजपा के पक्ष में वोट जुटाते दिखेंगे. इधर एक बार फिर से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता कमलनाथ के अगुवाई में कांग्रेस किस्मत आजमा रही है. अब देखना है कि कांग्रेस के इस चेहरे पर जनता कितन भरोसा करती है.
इधर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी इस बात पर सहमत नजर आ रहे हैं कि कमलनाथ के चेहरे पर ही चुनावी समर में पार्टी को उतरना चाहिए. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का दावा करते हुए पिछले दिनों वो कह चुके हैं कि इस बार बिकाऊ नहीं, टिकाऊ माल आएगा. ऐसे में इस बात को समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश में कमलनाथ कितने जरूरी हैं?
कमलनाथ को पांच दशक से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के राजनीतिक जीवन पर नजर डालें तो उनके पास सियासत का पांच दशक से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव है. जाति के तौर पर न्यूट्रल फेस के साथ ही कमलनाथ प्रदेश में होने वाले चुनाव में कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने में सक्षम हैं. कमलनाथ को गांधी परिवार का भी समर्थन प्राप्त है तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी रणनीतिक तौर पर समर्थन उन्हें मिलता नजर आ रहा है.
प्रदेश में और कोई बड़ा चेहरा नहीं
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस में सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं. मध्य प्रदेश कांग्रेस में फिलहाल ऐसा कोई भी नेता इस योग्य नहीं है कि जिसे आगे कर पार्टी चुनावी मैदान में ताल ठोंक सके. यदि आपको याद हो तो कमलनाथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस का 15 साल का सत्ता का वनवास खत्म करने में सफल रहे थे. 5 साल पहले 2018 में कांग्रेस ने जीत का स्वाद काफी दिनों के बाद चखा था. जब पूरे देश में भाजपा की लहर चल रही थी, उस वक्त यानी 2018 विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने खुद को सिद्ध किया था. हालांकि इस समय उनके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे.
गिर गयी थी कमलनाथ की सरकार
15 साल के बाद कांग्रेस की सरकार तो मध्य प्रदेश में बन गयी थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की वजह से कमलनाथ की सरकार 15 महीने ही सत्ता से बाहर हो गयी थी. सिंधिया के भाजपा का दामन थामने के बाद कमलनाथ को चुनौती देने के लिए कांग्रेस में कोई नहीं बचा है. दिग्विजय से लेकर अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी और गोविंद सिंह तक सभी कमलनाथ के समर्थन में खड़े हैं.