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Gujarat Election 2022: गुजरात में मुस्लिम वोटर्स का क्या है महत्व, AIMIM और AAP की एंट्री से पड़ेगा असर?

Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान वैसे तो बीजेपी विकास का मुद्दा ही जोर-शोर से उछाल रही है. लेकिन, सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि बिलिकस बानो मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी बैकफुट पर है.

Gujarat Election 2022: गुजरात में दोबारा से सत्ता पर काबिज होने के लिए प्रयास में जुटी बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रचार अभियान के दौरान वैसे तो बीजेपी विकास का मुद्दा ही जोर-शोर से उछाल रही है. लेकिन, सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि बिलिकस बानो मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी बैकफुट पर है. बता दें कि गुजरात चुनाव में पाटीदार, दलित और आदिवासी के साथ ही मुसलमानों के वोट को अहम माना जाता हैं. दरअसल, इन समुदायों के पास चुनाव के नतीजे बदलने की क्षमता है.

गुजरात में क्यों अहम है मुस्लिम वोट?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में मुस्लिम समुदाय का वोट भी बेहद महत्वपूर्ण बताया जाता है. आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम मतदाता गुजरात विधानसभा की 35 से 38 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करने का दम रखते हैं. गुजरात में मुसलमानों की संख्या 9 से 10 फीसदी हैं. 2017 के गुजरात चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी. ऐसे में इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोटर्स का महत्व बढ़ जाता है और इसी कारण 2022 के चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं पर सभी प्रमुख सियासी दलों की नजरें जा टिकी है.

आमतौर पर कांग्रेस को जाता है मुसलमानों का वोट

गुजरात में आमतौर पर मुसलमानों का वोट कांग्रेस का माना जाता है. हालांकि, बीजेपी पसमंदा मुसलमानों तक पहुंची है. इधर, चुनाव पूर्व सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि गुजरात के ज्यादातर दलित, आदिवासी और मुसलमान बीजेपी सरकार से काम से संतुष्ट नहीं हैं. सर्वे में शामिल लगभग आधे मुसलमानों ने कहा कि सरकार मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा करने में विफल रही है. उल्लेखनीय है कि 2011 की जनगणना के अनुसार, गुजरात में हिंदू बहुसंख्यक हैं, जो आबादी का 88.57 फीसदी है. गुजरात में मुस्लिम आबादी कुल 6.04 करोड़ में से 58.47 लाख (9.67%) और ईसाई आबादी कुल 6.04 करोड़ में से 3.16 लाख (0.52%) है. हालांकि, ये आंकड़ा साल 2011 का है, ऐसे में इसमें अंतर हो सकता है.

गुजरात चुनाव में ओवैसी की पार्टी का दिखेगा असर?

इस बार के गुजरात चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने भी अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. इनसे कांग्रेस की वोट बैंक पर सेंध लग सकती है. बताते चलें कि कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में केवल 6 मुसलमानों के टिकट दिया था, जिनमें से तीन को जीत मिली थी. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है. ये सभी सीटें ऐसी होंगी, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं.

मुस्लिम वोटर्स ओवैसी की पार्टी को वोट देंगे?

बताया जाता है कि गुजरात में 20 विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है. इन 20 सीटों में से 4 अहमदाबाद जिले में हैं, जबकि तीन-तीन भरूच और कच्छ जिले में हैं. इन आंकड़ों को देख कर कहा जा सकता है कि गुजरात में कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता उम्मीदवार की जीत और हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मुस्लिम वोटर्स ओवैसी की पार्टी को वोट देंगे? अगर मुस्लिम वोटर्स का वोट ओवैसी की पार्टी को जाता है तो ये सीधे तौर पर उनके उम्मीदवार की जीत में बड़ी भूमिका निभाएगा.

AIMIM और AAP चुनावी मुकाबले को बनाएगी दिलचस्प?

राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर लगातार चर्चा हो रही है कि इस बार के गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी और AIMIM कितनी सीटें जीतेंगी. सवाल यह भी उठ रहे है कि क्या इस बार भी गुजरात में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होगा या फिर AIMIM और AAP मुकाबले को दिलचस्प बनाएगी. बताते चलें कि आम आदमी पार्टी ने बिलकिस बानो मामले में पूरी तरह से खामोश है. बिलकिस बानो के दुष्कर्मियों को राज्य सरकार की सहमति से रिहा कर दिया गया है.

गुजरात में AIMIM की क्या है स्थिति?

फरवरी, 2021 में गुजरात नगर निकाय चुनाव हुए थे. तब AIMIM ने भी अपने कई उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. इनमें से 26 वार्डों पर ओवैस की पार्टी एआईएमआईएम की जीत हुई थी. इनमें अहमदाबाद की 7 सीटें, गोधरा में 6, मोडासा में 9 और भरूच की एक सीट शामिल है.

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Samir Kumar
Samir Kumar
More than 15 years of professional experience in the field of media industry after M.A. in Journalism From MCRPV Noida in 2005

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