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कभी फीस के पैसे नहीं थे, विदेश में रिसर्च स्कॉलर बन चमका बिहार का बेटा, लाखों में होती है कमाई

Bihar Boy Success Story: बिहार के गया जी जिले के रहने वाले नारायण कुमार सभी युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं. उन्होंने बहुत कम संसाधन में एक छोटे से जिले से निकलकर विदेश तक का सफर तय किया. नारायण अभी विदेश से PhD कर रहे हैं. आइए, जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी.

Bihar Boy Success Story: बिहार के गया जी (पूर्व में गया) जिले के रहने वाले नारायण कुमार की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो IIT जैसे बड़े संस्थान में दाखिला न पाने की वजह उदास होकर अपने अंतिम लक्ष्य से भटक जाते हैं. 12वीं के बाद कड़ी मेहनत के दम पर नारायण कुमार ने NIT Agartala में जगह बनाई. आज वे विदेश से पीएचडी की डिग्री हासिल कर रहें. लेकिन एक समय ऐसा तब उनके पास पढ़ाई के लिए पैसे भी नहीं थे. आइए, जानते हैं गया जी जिले (Gaya Ji District) से विदेश तक पहुंचने के लिए नारायण कुमार (Narayan Kumar) को क्या-क्या झेलना पड़ा.

Bihar Boy Success Story: बिहार के नारायण का ध्यान क्यों था नौकरी पर?

नारायण ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि पहले मुझे Bio Engineering का ब्रांच मिला था. फिर मैंने इंटर्नल परीक्षा देकर इलेक्ट्रॉनिक में अपना ब्रांच बदला और इसके बाद मैंने मैकेनिकल ब्रांच लिया. बीटेक करते हुए मेरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ नौकरी हासिल करने पर था क्योंंकि एजुकेशन लोन (Education Loan) चुकाना जरूरी था. तब मेरा एमटेक करने या अकैडमिक इतना दूर निकलने का बिल्कुल भी प्लान नहीं था. हमलोग मिडिल क्लास से आते हैं, जहां मेन फोकस तो जॉब पर ही होता है. भले ही आपने कितने भी अच्छे से जगह से और कितनी भी अच्छी डिग्री ली हो अगर कोर्स पूरा करने के बाद नौकरी नहीं मिली तो सब व्यर्थ हो जाता है.

Bihar Boy Success Story: क्यों फीस बनी विदेश जाने में रूकावट?

बीटेक के बाद मैंने प्रोसेसिंग इंजीनियरिंग की फील्ड में दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में काम किया. इस निजी कंपनी में नारायाण ने करीब 5 साल काम किया, जिसके बाद उन्होंने महसूस किया कि उन्हें अकैडमिक का रुख करना था. वे रिसर्च के फील्ड में जाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि मैंने बहुत पहले अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी की है. तब भारत में रिसर्च के क्षेत्र में जाने के लिए इतने ऑप्शन भी नहीं थे और काफी रिसर्च करना पड़ता था. इस वजह से मैंने विदेश जाकर पढ़ाई करने का फैसला लिया. लेकिन पैसे की दिक्कत यहां भी आ रही थी. हालांकि, वे निरंतर इस पर विचार करते रहे.

Success Story: बिहार के बेटे ने फिर कैसे तय किया विदेश का सफर?

नारायण कहते हैं कि COVID 19 के दौरान Lockdown सबके लिए मुसीबत बनकर आया था. लेकिन मुझे इस दौरान सोचने का मौका मिला. यह मेरे लिए टर्निंग फेज बना. उन्होंने क्राउड फंडिंग और कई NGO की मदद से पैसे जमा किए और फिर विदेश में पढ़ाई करने की तैयारी करने लगे. इसके बाद उनहोंन मरिन टेक्नोलॉजी (Marine Technology) से फ्रांस के इंजीनियरिंग कॉलेज Centrale Nantes से MS किया. वहीं अभी नारायण US की University Of Delaware से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे हैं. यहां उनकी लाखों में कमाई होती है. नारायण कुमार की 29000-30000 डॉलर सालाना की कमाई होती है. भारत में यह करीब 25 लाख रुपये हैं. नारायण का कहना है कि कमाई तो अपनी जगह है. लेकिन साथ ही उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने का मौका मिल रहा है. इसी के साथ वे शोध के काम में अनुभव हासिल कर रहे हैं.

लाखों युवाओं के लिए बने प्रेरणा

एक वक्त था जब परेशान होकर नारायण ने पढ़ाई छोड़ दी थी. लेकिन फिर हिम्मत किया और पढ़ाई शुरू की. नारायण की मेहनत, हिम्मत और लगन से लाखों युवा प्रेरणा ले सकते हैं. नारायण कुमार की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर हौसले बुलंद हों तो हालात चाहे जितने भी मुश्किल क्यों न हों, सफलता का रास्ता जरूर निकलता है.

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Shambhavi Shivani
Shambhavi Shivani
शाम्भवी शिवानी पिछले 3 सालों से डिजिटल मीडिया के साथ जुड़ी हुई हैं. उन्होंने न्यूज़ हाट और राजस्थान पत्रिका जैसी संस्था के साथ काम किया है. अभी प्रभात खबर की डिजिटल टीम के साथ जुड़कर एजुकेशन बीट पर काम कर रही हैं. शाम्भवी यहां एग्जाम, नौकरी, सक्सेस स्टोरी की खबरें देखती हैं. इसके अलावा वे सिनेमा और साहित्य में भी रुचि रखती हैं.

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