Student Stress Management: आज के समय में छात्र सबसे ज्यादा दबाव महसूस करते हैं- कभी पढ़ाई का, कभी प्रतियोगिता का और कभी भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं का. इस वजह से कई बार वे तनाव (Stress) और डर का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में ओशो की शिक्षाएं छात्रों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह काम कर सकती हैं. ओशो ने हमेशा कहा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने का माध्यम भी है.
छात्रों पर दबाव और उसका समाधान (Student Stress Management)
स्वामी चैतन्य कीर्ति (Swami Chaitanya Keerti) के अनुसार वह 4 सितंबर 1971 को ओशो के साथ ध्यान की ओर आगे बढ़े. अभी वह ओशो धाम में स्टूडेंट्स के लिए ध्यान को लेकर जागरूकता बढ़ा रहा हैं. ओशो धाम में बच्चों के शिविर भी हैं. इसी क्रम में जब उनसे आज के समय में स्टूडेंट्स की शिक्षा और ध्यान को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बताया कि आजकल छात्रों पर सबसे ज्यादा दबाव पढ़ाई, मार्क्स और पैरेंट्स की अपेक्षाओं से पड़ता है.

छात्रों में हो सीखने की इच्छा (Student Stress Management)
सोशल मीडिया और करियर की चिंताएं इस तनाव को और बढ़ा देती हैं. ओशो का मानना था कि शिक्षा बच्चों पर थोपनी नहीं चाहिए. शिक्षक और माता-पिता को यह समझना जरूरी है कि बच्चा किस चीज में रुचि रखता है और वह किस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है. छात्रों के भीतर डर (Fear) नहीं होना चाहिए, बल्कि सीखने की इच्छा जागनी चाहिए.
मानसिक शांति और स्ट्रेस मैनेजमेंट (Student Stress Management)
तनाव को कम करने और पढ़ाई में संतुलन बनाने के लिए कुछ छोटे-छोटे अभ्यास जरूरी हैं. ओशो ने शिक्षा को केवल सर्टिफिकेट या अंकों से नहीं, बल्कि जीवन से जोड़कर देखने की बात कही.
- छात्रों को रोजाना ध्यान (Meditation), प्राणायाम और थोड़े समय के लिए चुप बैठने की आदत डालनी चाहिए.
- जापान जैसे देशों में यह परंपरा वर्षों से शिक्षा का हिस्सा है.
- केवल किताबों से नहीं, बल्कि अलग-अलग स्रोतों से सीखना भी उतना ही जरूरी है.

आत्मविश्वास और असफलता का डर (Student Stress Management)
- स्टूडेंट्स के लिए आत्मविश्वास (Self-confidence) बनाए रखना और असफलता से न डरना बहुत जरूरी है.
- ओशो कहते हैं कि प्रतियोगिता दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से होनी चाहिए.
- बच्चों को अपनी राह खुद चुनने का मौका मिलना चाहिए, न कि माता-पिता की इच्छाओं को जबरदस्ती पूरा करने का.
- जहां केवल प्रतियोगिता होगी, वहां प्रेम और रचनात्मकता नहीं रह पाएगी.
- अगर बच्चा अपनी रुचि के अनुसार आगे बढ़ेगा तो उसमें असफलता और ओवर-कॉन्फिडेंस का डर भी कम होगा.
ओशो की शिक्षा पर किताबें (Meditation for Students)
ओशो ने शिक्षा पर कई विचार साझा किए. उनकी पुस्तक “शिक्षा में क्रांति” और “शिक्षा के पांच आयाम” कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इन किताबों में उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना नहीं होना चाहिए, बल्कि व्यक्तित्व का विकास करना भी होना चाहिए.
पहचान और आत्म-खोज (Meditation for Students)
- हर छात्र अपनी पहचान (Identity) खोजने की प्रक्रिया से गुजरता है. ओशो कहते हैं कि असली पहचान डिग्री से नहीं, बल्कि भीतर की समझ और ध्यान से आती है.
- आज के डिजिटल युग में मोबाइल, गैजेट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भरता बढ़ गई है.
- छात्रों को तकनीक का उपयोग करना चाहिए, लेकिन उसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए.
- मन पर नियंत्रण रखते हुए ही सफलता हासिल की जा सकती है.

शिविरों में पढ़ाई के साथ-साथ ध्यान पर जोर (Meditation for Students)
ओशो धाम में बच्चों के लिए विशेष शिविर आयोजित होते हैं. इन शिविरों में पढ़ाई के साथ-साथ ध्यान, क्रोध पर नियंत्रण और खुश रहने जैसी बातें सिखाई जाती हैं. ओशो का मानना था कि बच्चों को ध्यान लगाना आसान होता है, और अगर यह आदत शुरुआत में ही डाली जाए तो उनका व्यक्तित्व भविष्य में और मजबूत बनेगा.
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