10 Lines on Bhagat Singh in Hindi: देश के महान क्रांतिकारी और शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) बहुत कम आयु मे ही देश के लिए शहीद हो गए थे. उनका जन्म लायलपुर जिले के बंगा में सन् 1907 में हुआ था. 23 साल की उम्र में ही अंग्रेजों ने उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था. देश के नौजवानों के लिए भगत सिंह प्रेरणादायी हैं और देश में भगत सिंह को लेकर एक अलग ही भावना और इज्जत देखने को मिलती है. नौजवानों को उनकी बहादुरी, कारनामे और विचार काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं. इसलिए यहां महान क्रांतिकारी भगत सिंह के बारे में 10 लाइन (10 Lines on Bhagat Singh in Hindi) दी जा रही हैं.
महान क्रांतिकारी भगत सिंह पर 10 लाइन (10 Lines on Bhagat Singh)
महान क्रांतिकारी भगत सिंह पर 10 लाइन (10 Lines on Bhagat Singh in Hindi) इस प्रकार हैं-
- भगत सिंह (Bhagat Singh) का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायपुर जिले में हुआ था
- वे ब्रिटिश शासन के दौरान एक भारतीय क्रांतिकारी और एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. भगत सिंह ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध में विश्वास करते थे और क्रांतिकारी विचारधाराओं से गहराई से प्रेरित थे.
- भगत सिंह को 1928 में एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था.
- उनके कार्यों की प्रेरणा लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की इच्छा से प्रेरित थी, जो पुलिस लाठीचार्ज में घायल हो गए थे.
- भगत सिंह का मुकदमा और उसके बाद की मौत की सजा भारतीय स्वतंत्रता के लिए एक नारा बन गई.
- 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिए गए थे.
- भगत सिंह के बलिदान ने भारतीयों की पीढ़ियों को स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष में प्रेरित किया.
- भगत सिंह को साहस, देशभक्ति और उत्पीड़न के विरुद्ध प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है.
- भगत सिंह का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणादायी माना जाता है.
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भगत सिंह का जन्म कब हुआ था?
भगत सिंह (Bhagat Singh in Hindi) का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायपुर जिले में हुआ था. इनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था. सिर्फ भगत सिंह ही नहीं बल्कि इनके पिता और चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह भी जानें-माने स्वतंत्रता सेनानी थे. भगत सिंह ने अपनी पढ़ाई डीएवी हाई स्कूल लाहौर से की थी. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में सभा के दौरान जो कुछ भी हुआ उसका काफी गहरा असर 12 वर्षीय भगत सिंह पर पड़ा. इसी दौरान उन्होंने यह कसम खायी कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ वह आजादी की लड़ाई लड़ेंगे. राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर भगत सिंह ने काकोरी कांड को अंजाम दिया.
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