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Border Gavaskar Trophy: भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट इतिहास की सबसे डरावनी घटना, 75 साल में ऐसे बढ़ी प्रतिद्वंद्विता

IND vs AUS Border Gavaskar Trophy: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट क्रिकेट में प्रतिद्वंद्विता काफी पुरानी रही है. पिछले 75 सालों में दोनों टीमों के बीच प्रतिद्वंद्विता तेजी से बढ़ती ही गई है. यहां जानिए कैसा रहा है अबतर बॉर्डर-गावस्कर सीरीज का रोमांच.

IND vs AUS Test Series: ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एशेज सीरीज परंपरागत हो चुकी है, लेकिन भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैचों में भावनाओं की अहमियत पिछले 75 वर्षों में दोनों देशों के बीच सीरीज के नतीजों से देखी जा सकती है. नागपुर में 9 फरवरी से शुरू होने वाली आगामी चार टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावस्कर सीरीज भी काफी चुनौतीपूर्ण होने वाली है. इससे पहले आस्ट्रेलियाई टीम के भारत में खेले गये कुछ बेहतरीन मैचों के आंकड़े किसी न किसी तरह काफी दिलचस्प रहे हैं.

साल 1969: भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट इतिहास की सबसे डरावनी घटना

ब्रेबोर्न स्टेडियम में भारतीय टीम 1996 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में दूसरी पारी में सात विकेट पर 89 रन बनाकर मुश्किल में थी और उसे मैच बचाने के लिये किसी चमत्कार की जरूरत थी. अजीत वाडेकर और श्रीनिवास वेंकटराघवन क्रीज पर थे. दोनों के बीच आठवें विकेट की साझेदारी बन रही थी लेकिन अंपायर शंभु पान ने वेंकटराघवन को विकेट के पीछे कैच आउट का विवादास्पद फैसला किया और यह भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट इतिहास के सबसे डरावनी घटनाओं में जुड़ गया. इससे दर्शक नाराज हो गये और कुर्सियां पटकनी शुरू कर दी. स्टैंड में आग की लपटें देखकर खिलाड़ी भी भयभीत हो गये थे. ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट लेखकर रे रॉबिन्सन सीसीआई के प्रेस बॉक्स में थे, उन्होंने अपनी आंखों देखी इस हिंसा का जिक्र अपनी किताब ‘द वाइल्डेस्ट टेस्ट’ में किया है.

साल 1986: मनिंदर को दिया आउट, अंपायर का करियर खत्म

वर्ष 1986 में हुई सीरीज में मद्रास टेस्ट ‘टाइ’ पर छूटा, जिसमें दिवंगत डीन जोंस ने काफी मुश्किल हालात में दोहरा शतक जड़ा, जबकि अंपायर विक्रमराजू को विवादास्पद पगबाधा फैसले के कारण अपना करियर गंवाना पड़ा. भारत को 348 रन का लक्ष्य मिला था. क्रीज पर जमे रवि शास्त्री व 11वें नंबर के मनिंदर सिंह को जीत के लिए चार रन बनाने थे, पर ऑफ स्पिनर ग्रेग मैथ्यूज मनिंदर को पगबाधा आउट किया, मैच ‘टाइ’ रहा था. लेकिन भारतीय बल्लेबाज को पूरा भरोसा था कि वह आउट नहीं थे, लेकिन अंपायर ने फैसला दिया था और टेस्ट इतिहास में दूसरी बार एक मैच ‘टाई’ रहा था. विक्रमराजू को इसके बाद फिर टेस्ट अंपायरिंग का मौका नहीं मिला. वहीं जोंस की बेहद गर्मी में खेली गयी 210 रन की पारी उनके करियर की सबसे अहम बन गयी. इस पारी के दौरान वह बीमार हो गये और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा.

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साल 2001: हरभजन सिंह का जादुई हैट्रिक

वर्ष 2001 में शुरूआती टेस्ट में 10 विकेट की जीत के बाद ऑस्ट्रेलिया 1969-70 के बाद भारत में पहली बार सीरीज जीतने की ओर बढ़ रहा था, लेकिन वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने 376 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी निभाकर और हरभजन सिंह ने 13 विकेट झटककर अपनी टीम को जीत दिलायी. युवा हरभजन सिंह की हैट्रिक के बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने 445 रन बनाये. भारत को 171 रन पर समेटकर फॉलो ऑन दिया था. दूसरी पारी में 384 रन के असंभव लक्ष्य का पीछा करने उतरी आस्ट्रेलियाई टीम हरभजन के 13 विकेट से 212 रन पर सिमट गयी. ईडन गार्डन्स पर इस प्रदर्शन के बाद लक्ष्मण, द्रविड़ और हरभजन महान खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हो गये. हालांकि आस्ट्रेलिया ने 2005 में तीन साल बाद भारत में अगली सीरीज में 2-1 से फतह हासिल की.

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