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पढ़ाई के साथ वोकेशनल ट्रेनिंग से छात्र बनेंगे आत्मनिर्भर, प्रभात खबर की परिचर्चा मेंं बोले शिक्षक-छात्र

वोकेशनल ट्रेनिंग आठवीं कक्षा से ही शुरू की जानी चाहिए, ताकि 12वीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते छात्र आत्मनिर्भर बन सकें. अपने पैरों पर खड़े रहेंगे, तो उनमें गलत विचार या अपराध की प्रवृत्ति नहीं आयेगी.

सरकारी स्कूलों में 12वीं के छात्रों के लिए पढ़ाई से अधिक महत्वपूर्ण कमाई होती है. ये विद्यार्थी जिस परिवार से तालुल्क रखते हैं, वहां रोजगार (Employment) बहुत मायने रखता है. यही कारण है कि 12वीं के 90 फीसदी छात्र पढ़ाई के साथ-साथ काम भी कर रहे हैं. रोजगार उनके लिए प्राथमिकता है. स्कूली शिक्षा में वोकेशनल ट्रेनिंग (व्यावसायिक प्रशिक्षण) को जोड़ने का यही लक्ष्य है कि छात्रों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके.

आठवीं से शुरू होनी चाहिए वोकेशनल ट्रेनिंग

वोकेशनल ट्रेनिंग (Vocational Training) आठवीं कक्षा से ही शुरू की जानी चाहिए, ताकि 12वीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते छात्र आत्मनिर्भर बन सकें. अपने पैरों पर खड़े रहेंगे, तो उनमें गलत विचार या अपराध की प्रवृत्ति नहीं आयेगी. ये बातें आदर्श हिंदी हाई स्कूल खिदिरपुर में प्रभात खबर द्वारा आयोजित परिचर्चा मेंं शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने कहीं. परिचर्चा का विषय था- ‘विद्यार्थियों के लिए रोजगारपरक शिक्षा कितनी जरूरी’. परिचर्चा में शामिल वक्ताओं के विचार निम्नलिखित हैं.

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विद्यार्थियों के लिए प्रशिक्षण जरूरी: डॉ बीबी सिंह

मेजर डॉ बीबी सिंह (प्रधानाध्यापक, आदर्श हिंदी हाई स्कूल, खिदिरपुर) : मेरे स्कूल के 90 फीसदी बच्चे खिदिरपुर बस्ती इलाके से आते हैं. उनमें बचपन से ही कमाने का जज्बा रहता है. 12वीं के छात्र फल बिक्री, ग्रोसरी, वेटर, डिलीवरी ब्वॉय का काम करते हैं. जिन बच्चों की पढ़ाई में रुचि कम है, उन्हें चिह्नित कर वोकेशनल ट्रेनिंग देने से उन्हें रोजगार मिलेगा. किताबी नॉलेज के अलावा विद्यार्थियों के लिए यह प्रशिक्षण बहुत जरूरी है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें.

वोकेशनल ट्रेनिंग के होंगे कई फायदे: गिरि सिंह

गिरि सिंह (वरिष्ठ शिक्षक) : स्कूल के सीनियर छात्रों के लिए पढ़ाई सबसे अहम है. पढ़ाई बच्चे करते भी हैं. इसके साथ ही अगर उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग भी आठवीं कक्षा से दी जाये, तो आगे चलकर इसके कई फायदे सामने आयेंगे. छात्र प्लंबर, वेल्डिंग या अन्य तकनीकी काम सीख सकते हैं. वैसे भी हमारे 12वीं के बच्चे आधे दिन काम भी करते हैं, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है.

विद्यार्थियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण अनिवार्य : गार्गी मुखर्जी

गार्गी मुखर्जी (अंग्रेजी शिक्षिका): स्कूल के दौरान विद्यार्थियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण बहुत अनिवार्य है. क्योंकि प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा बढ़ गयी है कि सभी को नौकरी नहीं मिल सकती है. 12वीं के छात्र अगर प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बैठते हैं तो, जरूरी नहीं है कि रैंक आ जाये या नौकरी मिल जायेगी. वोकेशनल ट्रेनिंग से वे स्किल्ड हो पायेंगे, जिससे आगे जाकर उन्हें फायदा होगा.

बेरोजगार घूम रहे हैं डिग्री होल्डर: अल्माज खान

अल्माज खान (छात्र, 12वीं कक्षा) : कम उम्र में ही अगर स्टूडेंट्स को कोई प्रशिक्षण दिया जाये, तो आगे जाकर वे अपना कारोबार भी शुरू कर सकते हैं. 130 करोड़ की आबादी वाले देश में रोजगार सबको चाहिए. देश में कई डिग्री होल्डर बेरोजगार घूम रहे हैं. हम तो 12वीं की पढ़ाई भी कर रहे हैं और पार्ट टाइम जॉब भी कर रहे हैं. हमारे लिए पहले कमाई फिर पढ़ाई का सिद्धांत चलता है.

प्रशिक्षण से सुधर जायेगा युवा पीढ़ी का जीवन: अमरेज राय

अमरेज राय (छात्र, 12वीं कक्षा) : स्कूल में पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम डिलीवरी ब्वॉय का भी काम करता हूं. रोजगार करना घर की और मेरी जरूरत है. सरकार अगर पढ़ाई के दौरान प्रशिक्षण की व्यवस्था करती है या कोई काम सिखाती है, तो युवा पीढ़ी का जीवन सुधर जायेगा. युवाओं को काम मिल जायेगा.

विद्यार्थी इंगेज रहेंगे: रोशन कुमार साव

रोशन कुमार साव ( छात्र, 12वीं कक्षा) : सरकारी पाठयक्रम में वोकेशनल ट्रेनिंग को भी शामिल किया जाना चाहिए. किसी भी तरह के काम का प्रशिक्षण मिलने से विद्यार्थी इन्गेज रहेंगे, उनमें मन में बेकार की बातें नहीं आयेंगी. सबसे बड़ी बात यह है कि टीनएजर्स अपने पैरों पर खड़े हो पायेंगे.

पापा की कमाई से घर नहीं चलता: अरमान खान

अरमान खान (छात्र, 12वीं कक्षा) : मैं पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब भी करता हूं. क्योंकि केवल पापा की कमाई से घर नहीं चल सकता. हम कमाई वाली पढ़ाई पर फोकस कर रहे हैं. पढ़ते-पढ़ते दो पैसे की कमाई भी जरूरी है. ऐसे में अगर स्कूल में ही काम का प्रशिक्षण मिले तो लाखों युवा आत्मनिर्भर बन सकते हैं.

विद्यार्थियों का स्किल बढ़ाने की व्यवस्था हो: डॉ विनय पांडेय

डॉ विनय पांडेय (वरिष्ठ शिक्षक, प्राइमरी): पढ़ाई के दौरान छात्र विशेषकर 12वीं के विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी तैयारी करते हैं. स्कूलों के सिलेबस में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे उनका स्किल बढ़ाया जा सके. स्कूल में सरकार को वोकेशनल ट्रेनिंग पर ज्यादा जोर देना चाहिए. यह प्रशिक्षण 8-9वीं कक्षा से शुरू कर देना चाहिए.

शिक्षा नीति में है वोकेशनल ट्रेनिंग की व्यवस्था

अजय कुमार झा (वरिष्ठ शिक्षक) : सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पारिवारिक स्थिति कैसी होती है, यह सब जानते हैं. यहां 11-12वीं के छात्र पढ़ने के साथ काम भी करते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आठवीं में ही सामान्य शिक्षा में वोकेशनल ट्रेनिंग व तकनीकी शिक्षा को जोड़ने की बात की जा रही है, यह बहुत जरूरी है. सीनियर छात्र प्लंबर, मैकेनिक आदि का काम सीख सकते हैं. इससे वे पढ़ाई के दौरान ही कुछ काम कर सकेंगे. वैसे भी किताबी ज्ञान से युवाओं को नौकरी नहीं मिल सकती है. उन्हें दक्ष बनाना होगा.

रोजगारपरक शिक्षा का है महत्व: आशुतोष सिंह

आशुतोष सिंह (छात्र, 12वीं कक्षा): स्कूल में क्लास के दौरान टेक्निकल ट्रेनिंग या व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाये तो टीनएजर्स का जीवन स्तर बदल सकता है. आज के दौर में रोजगारपरक शिक्षा का ही महत्व है. यह बहुत जरूरी है. अभी पढ़ते भी हैं और काम भी करते हैं.

…तो दूर होगी देश से बेरोजगारी: पैगाम असरफ

पैगाम असरफ ( छात्र, 12वीं) : देश से बेरोजगारी तभी दूर होगी, जब स्कूल के दौरान ही विद्यार्थियों को काम का हुनर सिखाया जायेगा. जैसे हम पढ़ते भी हैं और नौकरी भी करते हैं. ट्रेनिंग होगी तो युवा काम सीखकर रोजगार हासिल कर सकते हैं.

नौवीं से शुरू हो ट्रेनिंग: मुसफिर करीम

मुसफिर करीम (छात्र, 12वीं) : स्कूल में वोकेशनल ट्रेनिंग से युवाओं के जीवन स्तर पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा. यह ट्रेनिंग नौवीं कक्षा से शुरू की जानी चाहिए.

स्किल्ड होंगे टीनएजर्स: अर्चना केसरी

अर्चना केसरी (गणित शिक्षिका) : बात पढ़ाई की हो या प्रशिक्षण की, सफलता तभी मिलेगी जब एकाग्रचित होकर उसे सीखा जाये. स्कूली पाठयक्रम में बच्चों के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग भी होनी चाहिए. इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि टीनएजर्स स्किल्ड होंगे. उनके दिमाग में व्यर्थ के विचार नहीं आयेंगे. हमारे विद्यार्थी वैसे ही स्कूल के बाद काम भी करते हैं, तभी उनके परिवार का गुजारा चलता है.

विद्यार्थियों को काम का हुनर सिखाया जाये तो होगा बेहतर: राजकुमार

राजकुमार तिवारी (हेड टीचर, प्राइमरी सेक्शन) : देश में सबसे अधिक युवा बोरोजगार हैं. बेरोजगार रहेंगे, तो उनका दिमाग शैतान का घर हो जायेगा. स्कूल के दौरान ही अगर सीनियर विद्यार्थियों को किसी काम का हुनर सिखाया जाये तो यह ज्यादा बेहतर होगा. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्कूल के दौरान ही वोकेशनल ट्रेनिंग की बात की जा रही है. प्रशिक्षण देने से 12वीं के छात्र अपना रोजगार कर पायेंगे, आत्मनिर्भर बन पायेंगे.

छात्रों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा: रंजन कुमार साव

रंजन कुमार साव (छात्र, 12वीं) : पढ़ाई के दौरान वोकेशनल ट्रेनिंग की व्यवस्था होनी चाहिए. काम सीखा हुआ होने पर दो पैसे छात्र कमा सकेंगे. रोजगार सभी को चाहिए. छात्रों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. अभी स्कूल के बाद छात्रों को काम भी करना पड़ता है. ट्रेनिंग होगी तो अपना काम भी कर पायेंगे.

वोकेशनल ट्रेनिंग से बढ़ेगा युवाओं का आत्मविश्वास: नियाजुद्दीन

मोहम्मद नियाजुद्दीन ( छात्र, 12वीं कक्षा): स्कूल में हर सब्जेक्ट की क्लास के बाद वोकेशनल ट्रेनिंग होनी चाहिए. इससे युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा और आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी. स्कूल में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.

युवाओं को सेल्फ मोटिवेशन की जरूरत: सरफराज

एमडी सरफराज (छात्र, 12वीं कक्षा): युवाओं को सेल्फ मोटिवेशन की जरूरत है. कोविड के बाद वे हार मान चुके हैं. 12वीं में आने के बाद युवाओं को रोजगार भी चाहिए. सरकार को कुछ ऐसा बंदोबस्त करना चाहिए कि पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार परक शिक्षा भी दी जाये. पढ़ाई के साथ कमाई की भी व्यवस्था होनी चाहिए.

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