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घर से ही होगी महिला सशक्तिकरण की शुरुआत

घर में मौजूद बहन, बेटी, पत्नी यहां तक की मां को भी बेहतर शिक्षा, नौकरी के प्रोत्साहित करना जरुरी है. ऐसा ही मानना है अपरूपा मून सिन्हा का, जिन्होंने हाल ही में जेपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है. प्रस्तुत है प्रभात खबर के शौर्य पुंज से अपरूपा की हुई बातचीत पर आधारित एक रिपोर्ट

समाज में नारी सशक्तिकरण की बात होती है, पर क्या सिर्फ लड़कियों को शिक्षा देने, उनको नौकरी करने में राजी होना ही सिर्फ महिला सशक्तिकरण कहलाता है, नहीं जब तक हम अपने घर पर लड़कियों एवं महिलाओं को सशक्त नहीं करेंगे, समाज में महिला सशक्तिकरण की बात अधूरी सी लगेगी. घर में मौजूद बहन, बेटी, पत्नी यहां तक की मां को भी बेहतर शिक्षा, नौकरी के प्रोत्साहित करना जरुरी है. ऐसा ही मानना है अपरूपा मून सिन्हा का, जिन्होंने हाल ही में जेपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है. प्रस्तुत है प्रभात खबर के शौर्य पुंज से अपरूपा की हुई बातचीत पर आधारित एक रिपोर्ट :

पतरातू से ली स्कूली शिक्षा

अपरूपा के पिता झारखंड के पतरातू थर्मल पावर कॉरपॉरेशन में काम करते थे, इसलिए उनकी शुरूआती शिक्षा पतारातू स्थित पतरातू स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण किया. आईसीएससी बोर्ड से पढ़ाई करने के कारण उनका अंग्रेजी विषय पर अच्छी पकड़ थी.

नागपुर यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद मिली एमएनसी में प्लेसमेंट

अपरूपा ने साल 2005 में नागपुर यूनिवर्सिटी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं टेलीकम्यूनिकेशन से इंजीनियरिंग की डिग्री ली. कॉलेज के तरफ से सिंगपुर की कंपनी हचिसन वैमपोआ नामक एक एमएनसी कंपनी में प्लेसमेंट मिला. कुछ ही दिनों में वो विवाह के बंधन में बंध गईं. बाद में नरसी मोनजी इंस्टिट्यूच ऑफ मैनेंजमेंट स्टडिज से अपरूपा ने एमबीए की डिग्री ली. विवाह के बाद अपरूपा नौकरी करना चाह रही थीं, इसके लिए उनके पति संतोष मून सिन्हा ने नौकरी करने के लिए काफी हौसला अफजाई की. अपरूपा ने 2010 तक उस एमएनसी में ही नौकरी की.

2013 में पहले प्रयास में ही बनीं एसबीआई पीओ

2010 में अपरूपा ने एक बेटी को जन्म दिया. इसके बाद उनके पति ने अपरूपा की काबिलीयत देखकर उन्हें बैंकिंग की परीक्षा की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित किया. इस दौरान अपरूपा ने लीगल डिग्री भी ली. 2013 में अपरूपा ने एसबीआई पीओ की परीक्षा में सफलता पाई. इसके अलावा आईबीपीएस पीओ की परीक्षा में भी अपरूपा ने सफलता दोहराई, और उन्हें आईडीबीआई बैंक के लिए नियुक्त किया गया था. मुंबई में अपरूपा को पोस्टिंग मिली. इस दौरान उन्होंने पढ़ाई से अपना नाता नहीं छोड़ा, उन्होंने सिनियर अकाउंटेंट का सर्टिफिकेट कोर्स किया, साथ ही म्यूचुअल फंड का कोर्स भी किया, जिसकी फायदा उनको बैंकिग के पेशे में मिला. अपरूपा नौकरी तो कर रहीं थीं, पर उनका ध्यान सिविल सर्विस परीक्षा की तरफ होने लगा था. बैंकिंग की तैयारी करने के दौरान उनको सिविल सर्विस की परीक्षा के बारे में जानने का भी मौका मिला था, जिससे वो चाहतीं थी आगे चलकर उन्हें मौका मिले तो सिविल सर्विस की परीक्षा में जरूर भाग लेंगी.

सिविल सर्विस की तरफ बढ़ा रूझान

2015 में अपरूपा ने अपनी दूसरी बेटी को जन्म दिया. उस वक्त उन्हें सिविल सर्विसेस को और अच्छी तरह समझने का मौका मिला.उस वक्त छठी जेपीएससी के फॉर्म भरने की प्रक्रिया जारी थी, अपरूपा ने भी फॉर्म भरा. बाद में उन्होंने बैंकिंग के पेशे की तरफ रूख कर लिया, और साथ साथ जेपीएससी की तैयारी में लग गईं. अपरूपा के पति ने उनका हमेशा साथ दिया. उनकी जेपीएससी की पाठ्य सामग्री एवं किताबों का इंतजाम उनके पति ने किया. अपरूपा ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की थी और जेपीएससी की पाठ्य सामग्री हिंदी में थे, इससे अपरूपा को थोड़ी परेशानी हुई, पर बाद में सब ठीक हो गया. अपरूपा को पढ़ाई के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिल पाता था, पर रात का समय वो अपनी पढ़ाई को देतीं थी. 2016 में जेपीएससी की पीटी की परीक्षा के ठीक एक सप्ताह पहले अपरूपा रांची आईं और सप्ताह भर तक जम कर तैयारी की. 2016 के 18 दिसंबर को जेपीएससी की पीटी परीक्षा का आयोजन हुआ.

ऑफिस से लीव लेकर की तैयारी

एसबीआई में काम करते हुए जेपीएससी की तैयारी करना बहुत बड़ी बात है. अपरूपा को लगा कि उन्हें सिविल सर्विस की तरफ और ज्यादा ध्यान देना चाहिए, इसलिए वो बैंकिंग के पेशे से कुछ दिनों का लीव लेकर इसकी तैयारी में जुट गईं. पीटी के बाद मेंस में सफलता पाने के बाद अपरूपा की मेहनत रंग लाई और 4 मार्च 2020 को उन्हें जेपीएससी की परीक्षा का इंटरव्यू राउंड के लिए बुलाया गया. इंटरव्यू राउंड को लेकर अपरूपा खुश तो थीं पर अभी फाइनल रिजल्ट आना बाकी था. पिछले सप्ताह जारी हुए जेपीएससी द्वारा जारी किए गए के रिजल्ट में अपरूपा ने अपना नाम भी पाया.

पति को देतीं हैं सफलता सा श्रेय

अपरूपा के पति संतोष मून सिन्हा पेशे से वकील हैं. उन्होंने हर कदम पर अपरूपा का साथ दिया है. वे कहते हैं कि आज के दौर के पुरुषों को अपने अहम को हटाकर अपनी पत्नियों को नौकरी एवं पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. वो आगे चाहते हैं कि अपरूपा पीएचडी की डिग्री लें.

शिक्षा जगत में बदलाव लाना चाहतीं हैं अपरूपा

अपरूपा ने जेपीएससी की परीक्षा में शिक्षा सेवा को चुना था. आगे चलकर वो चाहतीं हैं राज्य के वैसे बच्चों को शिक्षा अवश्य मिले जिन्हें शुरुआती शिक्षा तक नहीं मिल पा रहीं हैं. विद्यालयों की आधारभूत संरचना पर ध्यान देने की जरुरत है. इसके अलावा वो चाहतीं हैं कि शिक्षकों को राज्य और देश की शिक्षा जगत को अपने शिक्षा की ज्योति से रौशन करें.

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