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Unsuccess Story: शापूरजी पल्लोनजी का कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर बना जोमैटो का डिलीवरी ब्वॉय, जानें क्यों?

Unsuccess Story: शापूरजी पल्लोनजी कंपनी के कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर के जीवन में हुए कुछ घटनाक्रम ने उसे आज एक मामूली जोमैटो डिलीवरी मैन बना दिया. लंच ऑर्डर के दौरान हुई एक मामूली सी गड़बड़ी में डेलीवेरी मैन कि प्रतिक्रिया ने पुणे के एक बिजनेस कोच को गहरी सीख दी.

Unsuccess Story: शापूरजी पल्लोनजी कंपनी के कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर के जीवन में हुए कुछ घटनाक्रम ने उन्हें आज एक मामूली जोमैटो डिलीवरी मैन बना दिया. इस व्यक्ति ने पुणे में हुई एक छोटी सी जोमैटो ऑर्डर घटना से एक बिजनेस कोच को कृतज्ञता, संयम और आशा का एक पाठ पढ़ाया, जो हमेशा उनके साथ रहने वाला है. उन्होंने न सिर्फ एक अधूरा ऑर्डर पूरा किया, बल्कि अपने व्यवहार, सोच और संघर्ष की कहानी से बिजनेस कोच श्रीपाल गांधी ही नहीं, हजारों लोगों को जीवन की नई सीख दे दी.  एक सामान्य सी डिलिवरी, एक असाधारण अनुभव में बदल गई. 

जोमैटो से सबवे का लंच किया था ऑर्डर 

लिंक्डइन पर अमित त्यागी ने एक पोस्ट डाला है, जिसमें उन्होंने इसकी कहानी के बारे में बताया है. पुणे के रहने वाले हायपर स्केल बिजनेस कोच श्रीपाल गांधी ने तीन दिन पहले जोमैटो से सबवे का लंच ऑर्डर किया, जिसमें एक पनीर टिक्का सैंडविच, बिंगो चिप्स और ओट रेसिन कुकीज शामिल थीं. ऑर्डर के आने पर उन्होंने पैकेट देखते ही पहचान लिया कि उसमें सिर्फ सैंडविच था.  चिप्स और कुकीज गायब थीं.  उन्होंने डिलिवरी मैन से पूछा, तो उसने विनम्रता से कहा, “सर, कृपया सबवे या जोमैटो को कॉल करें.” श्रीपाल द्वारा सबवे को कॉल करने पर उन्होंने अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी और कहा, “क्या आप डिलिवरी मैन को फिर से भेज सकते हैं? हम उसे 20 रुपए दे देंगे. ”

डिलीवरी मैन ने दिया दिल छु लेने वाला जवाब

मगर दिक्कत ये थी कि डिलीवरी मैन की जिम्मेदारी सिर्फ जोमैटो तक सीमित थी — रेस्टोरेंट की रिक्वेस्ट मानना उसके काम का हिस्सा नहीं था.  पर उस डिलीवरी मैन ने जो जवाब दिया, वो दिल छू लेने वाला था, “सर, ये मेरी जिम्मेदारी है. मैं चाहता हूं कि ग्राहक संतुष्ट हो.” वो फिर से सबवे गया, बचे हुए आइटम लाया और 20 रुपए लेने से भी इनकार कर दिया. उसने कहा, “ऊपरवाले ने मुझे बहुत कुछ दिया है. मैं किसी और की गलती के लिए पैसे क्यों लूं?”

कार एक्सीडेंट ने बदल दी जिंदगी 

वो कभी शापूरजी पल्लोनजी कंपनी में कंस्ट्रक्शन सुपरवाइजर थे और उनकी मासिक सैलरी सवा लाख रुपये हुआ करती थी.  एक दिन एक कार एक्सीडेंट ने उनकी जिंदगी बदल दी.  शरीर का बायां हिस्सा पैरालाइज हो गया, जिसके वजह से उनकी जॉब चली गई.  ऐसे कठिन समय में जोमैटो ने उन्हें मौका दिया.  डिलिवरी का ये काम उनके लिए सिर्फ कमाई का जरिया नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की डोर बन गया.  आज उनकी बेटी डेंटल कॉलेज में बीडीएस कर रही है.  वो कहते हैं, “मैं ये नौकरी सिर्फ पैसे के लिए नहीं करता, ये मेरे सपने से जुड़ी है.” चेहरे पर एक मुस्कान के साथ उन्होंने कहा, “मेरे साथ भगवान हैं, फिर फिक्र किस बात की?”

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श्रीपाल गांधी ने अपनी पोस्ट में लिखा

सोशल मीडिया पर श्रीपाल गांधी ने अपनी पोस्ट में लिखा “उस दिन मुझे सिर्फ एक सैंडविच नहीं मिला, बल्कि कृतज्ञता, धैर्य और उम्मीद का एक पाठ भी मिला, जो हमेशा मेरे साथ रहेगा.”

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