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गंजा होते ही उबर ड्राइवर की नौकरी गई, इस टेक्नोलॉजी ने मचाई हाय तौबा, वायरल हुआ पोस्ट

Artificial Intelligence हैदराबाद के एक उबर कैब ड्राइवर को अपना सिर मुंडवाना महंगा पड़ गया और एक महीने से वह बेरोजगार है. दरअसल, सिर के बाल मुंडाने के बाद ऐप आधारित कैब में लगाया जाने वाला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने ड्राइवर की पहचान करने से इन्कार कर दिया. जिसके बाद उसने अलग-अलग एंगल से फोटो क्लिक कर लॉग इन करने की कोशिश भी की, लेकिन वह विफल रहा. इस घटना के बाद वह बेरोजगार हो गया और उसके लिए अपने परिवार का खर्चा चला पाना मुश्किल हो गया है.

Artificial Intelligence हैदराबाद के एक उबर कैब ड्राइवर को अपना सिर मुंडवाना महंगा पड़ गया और एक महीने से वह बेरोजगार है. दरअसल, सिर के बाल मुंडाने के बाद ऐप आधारित कैब में लगाया जाने वाला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने ड्राइवर की पहचान करने से इन्कार कर दिया. जिसके बाद उसने अलग-अलग एंगल से फोटो क्लिक कर लॉग इन करने की कोशिश भी की, लेकिन वह विफल रहा. इस घटना के बाद वह बेरोजगार हो गया और उसके लिए अपने परिवार का खर्चा चला पाना मुश्किल हो गया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद में रहने वाले श्रीकांत उबर की कैब चलाते हैं. कुछ हफ्ते पहले उसने तिरुमाला तिरुपति देवस्थान में देवता को चढ़ाने के लिए अपने सिर के बाल मुंडवा लिए थे. फिर अगले दिन कैब लेकर काम पर निकले श्रीकांत ने जब कार में लगे उबर कंपनी के इंटरनल पोर्टल पर लॉग इन करने की कोशिश की, तो सिर-दाढ़ी के बाल नहीं होने की कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया. जिसके बाद परेशान होकर श्रीकांत ने अलग-अलग एंगल से फोटो खींचकर लॉग इन करने की कोशिश की. हालांकि, इंटेलिजेंस सिस्टम ने पहचानने से इन्कार दिया. कई बार कोशिश करने की वजह से बाद में सॉफ्टवेयर ने श्रीकांत को बैन कर दिया.

इस घटना के एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद अभी तक श्रीकांत बेरोजगार हैं. उबर कंपनी को गंजा होने से पहले और बाद के फोटो समेत तमाम दस्तावेज जमाकर शिकायत करने के बावजूद उनकी शिकायत पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. श्रीकांत का कहना है कि बिना किसी कारण को स्पष्ट किए दोबारा से मुझे ड्राइवर के रूप में बहाल करने से कंपनी इनकार कर रहा हैं. मेरे परिवार के सदस्य मुझ पर आश्रित है. अगर कंपनी से मुझे मदद नहीं मिली, तो मेरा परिवार भूखा मर जाएगा.

बता दें कि इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के महासचिव शेख सलाउद्दीन ने श्रीकांत की पीड़ा उजागर की, जिसके बाद यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. सलाउद्दीन ने कहा कि उबर ने श्रीकांत की दलीलों को नजरअंदाज कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह केवल अकेले श्रीकांत की समस्या नहीं है. किसी भी ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट कंपनी ने शिकायतों के समाधान के लिए अपने कंप्लेंट सेल नहीं खोले हैं. ऐसे में कोई समस्या आने पर कैब ड्राइवर एक जगह से दूसरी जगह चक्कर काटते रहते हैं और आखिर में थककर बैठ जाते हैं.

वहीं, सोशल मीडिया पर मामला प्रकाश में आने के बाद उबर इंडिया ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ड्राइवर ने इस संबंध में हमारे पार्टनर सेवा केंद्र पर विजिट की थी. जहां पर उसे बताया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर से पहचान न होने के कारण उनका रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया गया है. उबर ने सलाह दी कि यदि लॉग इन में दिक्कत आ रही है तो वे सेल्फी वेरिफिकेशन के लिए दोबारा से उबर पार्टनर सेवा केंद्र पर जा सकते हैं और वहां पर मैन्युअल तरीके से अपना प्रोफाइल बदलवा सकते हैं.

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