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बचके रहना रे बाबा…! नियमों के बड़े पक्के हैं सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय

SEBI New Chief: तुहिन कांत पांडेय को सेबी का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है. भारत के ये नौकरशाह नियमों के बड़े पक्के माने जाते हैं, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां हैं. शेयर बाजार गिरावट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में उनके सामने निवेशकों के हितों की रक्षा करना सबसे बड़ी चुनौती है.

SEBI New Chief: केंद्र सरकार ने तुहिन कांत पांडेय को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. वह माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे. उनका कार्यकाल 1 मार्च 2025 को समाप्त हो रहा है. कैबिनेट नियुक्ति समिति (ACC) ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी. वह तीन वर्षों तक इस पद पर कार्य करेंगे. सेबी के चेयरमैन बनने वाले तुहिन कांत पांडेय नियमों के पक्के बताए जाते हैं. सेबी चेयरमैन बनने के बाद इनके सामने कई नई चुनौतियां भी हैं.

कौन हैं तुहिन कांत पांडेय

तुहिन कांत पांडेय 1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. मौजूदा समय में वह वित्त सचिव के रूप में कार्यरत थे और कई महत्वपूर्ण आर्थिक नीतियों को लागू करने में उनकी अहम भूमिका रही है. अगस्त 2024 में उन्हें वित्त सचिव नियुक्त किया गया था. उनके प्रशासनिक अनुभव और वित्तीय मामलों की गहरी समझ के कारण सरकार ने उन्हें SEBI प्रमुख के रूप में चुना.

सेबी के चेयरमैन को कितनी मिलती है सैलरी

सेबी भारत के शेयर बाजार और वित्तीय नियमन का सबसे महत्वपूर्ण संस्थान है. यह न केवल निवेशकों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि बाजार की पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भी काम करता है. सेबी के चेयरमैन का पद भारत सरकार के सचिव के बराबर होता है. उन्हें हर महीने 5,62,500 रुपये वेतन (अन्य भत्तों के बिना) मिलता है.

सेबी प्रमुख के कई दावेदार

सेबी प्रमुख बनने की दौड़ में कई वरिष्ठ नौकरशाहों के नाम चर्चा में थे. इनमें इरडा के चेयरमैन देबाशीष पांडा, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ और तेल सचिव पंकज जैन प्रमुख हैं. हालांकि, तुहिन कांत पांडेय को इस पद के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा था. सरकार ने जनवरी 2025 में इस पद के लिए आवेदन मंगवाए थे, जिसकी अंतिम तिथि 17 फरवरी 2025 थी. पारदर्शी चयन प्रक्रिया के बाद पांडे को नियुक्त किया गया.

तुहिन कांत पांडेये की बड़ी चुनौतियां

  • शेयर बाजार की स्थिरता: हाल के महीनों में भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, जिसे स्थिर करने की जरूरत होगी.
  • निवेशकों का विश्वास बढ़ाना: हिंडनबर्ग रिपोर्ट जैसे विवादों के बाद निवेशकों के विश्वास को फिर से मजबूत करना उनकी प्राथमिकता होगी.
  • बाजार नियमन को मजबूत करना: SEBI को पारदर्शी और प्रभावी बनाना ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोका जा सके.
  • डिजिटल बदलाव को अपनाना: फिनटेक, क्रिप्टोकरेंसी और AI आधारित ट्रेडिंग के बढ़ते उपयोग के चलते SEBI की नीतियों को आधुनिक बनाना आवश्यक होगा.

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तुहिन कांता पांडे का विजन

तुहिन कांत पांडेय का कार्यकाल ऐसे समय में शुरू हो रहा है, जब भारतीय स्टॉक मार्केट रिकॉर्ड गिरावट के दौर से गुजर रहा है. सेबी की नीतियों में सुधार, निवेशकों की सुरक्षा और डिजिटल बदलाव को अपनाने के बीच सही दिशा तय करना उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी. अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि तुहिन कांत पांडेय भारत के प्रतिभूति बाजार को कैसे नई दिशा देते हैं और किस तरह से भारतीय शेयर बाजार को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाते हैं.

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Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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