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एसएंडपी ने भारत की रेटिंग को सुधारा, स्टेबल को बढ़ाकर किया पॉजिटिव

Rating Outlook: अमेरिका की रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और सामान्य सरकारी कर्ज संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सात फीसदी से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है.

Rating Outlook: एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत के साख (रेटिंग) में सुधार कर दिया है. उसने भारत के रेटिंग परिदृश्य को ‘स्थिर’ से बढ़ाकर ‘सकारात्मक’ कर दिया है. इसके साथ ही, मजबूत आर्थिक वृद्धि और सरकारी व्यय की बेहतर गुणवत्ता के आधार पर रेटिंग को ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा गया है. एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अपनाता है, जिससे सरकार के बढ़े हुए कर्ज तथा ब्याज के बोझ में कमी आती है और आर्थिक जुझारू क्षमता बढ़ती है, तो वह अगले दो साल में भारत की साख को बढ़ा सकती है.

बीबीबी- सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग

एसएंडपी ने कहा कि सकारात्मक परिदृश्य हमारे इस दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है कि निरंतर नीतिगत स्थिरता, गहन आर्थिक सुधार तथा उच्च बुनियादी ढांचा निवेश दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को बनाए रखेंगे. एसएंडपी ने भारत के लिए परिदृश्य को ‘स्थिर’ से संशोधित कर ‘सकारात्मक’ कर दिया है. साथ ही ‘बीबीबी-’ दीर्घकालिक और ‘ए-3’ अल्पकालिक विदेशी तथा स्थानीय मुद्रा सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग की पुष्टि की है. ‘बीबीबी-’ सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग है. एजेंसी ने पिछली बार 2010 में रेटिंग परिदृश्य को ‘नकारात्मक’ से बढ़ाकर ‘स्थिर’ किया था.

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राजकोषीय घाटा कम होने पर बढ़ सकती है रेटिंग

अमेरिका की रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और परिणामस्वरूप सामान्य सरकारी कर्ज संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सात फीसदी से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है. सभी तीन प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों एसएंडपी, फिच और मूडीज ने भारत को सबसे निम्न निवेश ग्रेड रेटिंग दी है. हालांकि, फिच और मूडीज ने अपनी रेटिंग पर अब भी ‘स्थिर’ परिदृश्य कायम रखा है. निवेशक इन रेटिंग को देश की साख के मापदंड के तौर पर देखते हैं और इसका उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ता है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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