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RBI ने समय रहते सही कदम उठाये, उच्च मुद्रास्फीति को बर्दाश्त करना जरूरी था: शक्तिकांत दास

RBI Governor on High Inflation: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दांस ने कहा है कि केंद्रीय बैंक ने समय पर सही कदम उठाया. अगर महंगाी रोकने के लिए समय से पहले कदम उठाया जाता, तो उसके दुष्परिणाम सामने आ सकते थे.

RBI Governor on High Inflation: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर सही समय पर कदम नहीं उठा पाने के आरोपों को खारिज करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को नीतिगत कदमों का बचाव किया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक अगर और पहले मुद्रास्फीति प्रबंधन पर ध्यान देने में लग जाता, तो इसके परिणाम अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकते थे.

आरबीआई अपने फैसले पर कायम: शक्तिकांत दास

एक अंग्रेजी समाचार पत्र के कार्यक्रम में शक्तिकांत दास ने कहा, ‘उच्च मुद्रास्फीति को बर्दाश्त करना आवश्यक था, हम अपने फैसले पर कायम हैं.’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक परिवर्तनों की जरूरतों को देखते हुए कदम उठा रहा था. दास ने कहा कि आरबीआई के नियमों में यह स्पष्ट कहा गया है कि मुद्रास्फीति का प्रबंधन वृद्धि संबंधी हालात को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए.

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आरबीआई ने वृद्धि की ओर ध्यान दिया

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के मद्देनजर आरबीआई ने वृद्धि की ओर ध्यान दिया और सुगम नकदी परिस्थितियां बनने दीं. इसके बावजूद 2022-21 में अर्थव्यवस्था 6.6 फीसदी संकुचित हो गयी थी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने यदि अपना रुख पहले बदल लिया होता, तो 2021-22 में वृद्धि पर इसका असर पड़ सकता था. आरबीआई गवर्नर ने साफ किया कि मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आरबीआई तीन या चार महीने पहले ध्यान नहीं दे सकता था.

नीतिगत दरों में तत्काल बड़ी वृद्धि नहीं कर सकता था केंद्रीय बैंक

उन्होंने कहा कि मार्च में जब आरबीआई को ऐसा लगा कि आर्थिक गतिविधियां वैश्विक महामारी से पहले के स्तर से आगे निकल गयीं हैं, तब उसने मुद्रास्फीति को काबू करने की दिशा में काम करने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक दरों में तत्काल बड़ी वृद्धि नहीं कर सकता था.

यूक्रेन पर रूस के हमले से परिदृश्य बदल गया

उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 में अनुमान लगाया गया था कि 2022-23 में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रह सकती है, वह कोई आशाजनक अनुमान नहीं था. यह गणना भी कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल रहने के अनुमान को ध्यान में रखकर की गयी थी, लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले से परिदृश्य बदल गया.

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