MSP: त्योहारों के मौसम में केंद्र सरकार ने किसानों के लिए बड़ा तोहफा दिया है. रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का ऐलान किया गया है. हालांकि यह फैसला किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि खुदरा महंगाई पर इसका असर सीमित रहेगा. ICICI बैंक ग्लोबल मार्केट्स की रिपोर्ट ने साफ किया है कि पर्याप्त बफर स्टॉक और अच्छे जलाशय स्तर की वजह से महंगाई में उछाल की संभावना कम है.
2026-27 रबी सीजन के लिए MSP में बढ़ोतरी
1 अक्टूबर 2025 को केंद्र ने रबी विपणन सीजन 2026-27 के लिए संशोधित MSP घोषित किए. इसमें गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और सूरजमुखी जैसी प्रमुख फसलों के दाम 4% से लेकर 10.1% तक बढ़ाए गए हैं.
- गेहूं: ₹2,585 प्रति क्विंटल (+6.6%)
- जौ: ₹2,150 प्रति क्विंटल (+8.6%)
- चना: ₹5,875 प्रति क्विंटल (+4.0%)
- मसूर: ₹7,000 प्रति क्विंटल (+4.5%)
- सरसों/रायड़ा: ₹6,200 प्रति क्विंटल (+4.2%)
- सूरजमुखी: ₹6,540 प्रति क्विंटल (+10.1%)
उत्पादन लागत से अधिक समर्थन मूल्य
2018-19 के बजट में सरकार ने वादा किया था कि MSP उत्पादन लागत से कम से कम 50% अधिक होगा. इस बार भी वही नीति अपनाई गई है. उदाहरण के तौर पर गेहूं का MSP उत्पादन लागत से 109% ज्यादा है, मसूर में 89% और सरसों में 93% का मार्जिन दिया गया है. इससे किसानों को उनकी मेहनत का बेहतर दाम मिलेगा और फसल विविधीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा.
महंगाई पर असर सीमित क्यों?
MSP बढ़ोतरी से खाद्य कीमतों पर दबाव आने की संभावना रहती है, लेकिन रिपोर्ट कहती है कि इस बार इसका असर सीमित रहेगा. वजहें हैं:
- पर्याप्त बफर स्टॉक का होना
- जलाशयों में अच्छे जलस्तर
- आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के हिसाब से औसत MSP बढ़ोतरी 5.6% रही है, जो 2025-26 की 5.9% और 2024-25 की 5.8% की तुलना में कम है. इसका अर्थ है कि इस बार MSP बढ़ोतरी खुदरा महंगाई को ज्यादा नहीं बढ़ाएगी. MSP बढ़ोतरी किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी क्योंकि उन्हें फसलों का बेहतर दाम मिलेगा. वहीं उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात यह है कि रोजमर्रा की खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अचानक उछाल की संभावना कम है.
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