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किरण मजूमदार शॉ को मिला ‘ईवाई वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर 2020′ पुरस्कार

भारत के अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित पुरस्कार समारोह में ‘ईवाई वर्ल्ड एंट्रेप्रन्योर ऑफ द ईयर 2020' का पुरस्कार दिया गया. कंपनी ने बताया कि 41 देशों के 46 उद्यमियों के बीच उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया.

नयी दिल्ली : भारत के अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक बायोकॉन की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित पुरस्कार समारोह में ‘ईवाई वर्ल्ड एंट्रेप्रन्योर ऑफ द ईयर 2020′ का पुरस्कार दिया गया. कंपनी ने बताया कि 41 देशों के 46 उद्यमियों के बीच उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया. पुरस्कार मिलने पर मजूमदार शॉ ने कहा, ‘मैं प्रतिष्ठित ईवाई वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर अवॉर्ड 2020 मिलने पर सम्मानित महसूस कर रही हूं. उद्यमशीलता समस्याओं को हल करने से संबंधित है. मेरी उद्यमशीलता की यात्रा के दौरान अनुभव रहा है कि सबसे बड़ा अवसर अक्सर सबसे कठिन समय में आता है.

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उन्होंने कहा कि महिलाएं भी आर्थिक विकास में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और बहुत लंबे समय तक उनके योगदान को नजरअंदाज किया गया है. उन्होंने कहा कि ईवाई वर्ल्ड एंटरप्रेन्योर मंच का इस्तेमाल महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए किया जाना चाहिए. बयान में कहा गया कि मजूमदार शॉ यह पुरस्कार जीतने वाली तीसरी भारतीय हैं और उनसे पहले कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक और इंफोसिस टेक्नालॉजीज के नारायणमूर्ति को यह पुरस्कार मिल चुका है.

दरअसल, 23 मार्च 1953 को बेंगलुरु में जन्मी किरण मजूमदार शॉ एक भारतीय महिला व्यवसायी, टेक्नोक्रेट, अन्वेषक और बायोकॉन की संस्थापक है, जो भारत के बेंगलुरु में एक अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी संस्थान है. वे बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तथा सिनजीन इंटरनेशनल लिमिटेड और क्लिनिजीन इंटरनेशनल लिमिटेड की अध्यक्ष हैं.

मजूमदार शॉ ने 1978 में बायोकॉन को शुरू किया और उत्पादों के अच्छी तरह से संतुलित व्यापार पोर्टफोलियो तथा मधुमेह, कैंसर-विज्ञान और आत्म-प्रतिरोध बीमारियों पर केंद्रित शोध के साथ इसे एक औद्योगिक एंजाइमों की निर्माण कंपनी से विकासित कर पूरी तरह से एकीकृत जैविक दवा कंपनी बनाया. उन्होंने खोज और अनुसंधान के साथ-साथ विकास सहायक सेवाएं प्रदान करने के लिए सिनजीन (1994) और नैदानिक विकास सेवाओं को पूरा करने के लिए क्लिनिजीन (2000) की स्थापना भी की.

मजूमदार शॉ जैव प्रौद्योगिकी को एक क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देने में रुचि रखती हैं और कर्नाटक राज्य के विजन ग्रुप ऑन बायोटेक्नोलॉजी की अध्यक्ष हैं. भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सलाहकार परिषद की एक सदस्य के रूप में उन्होंने देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के मार्गदर्शन के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा को एक साथ लाने में एक निर्णायक भूमिका निभायी है.

इस क्षेत्र में अपने अग्रणी कार्यों के लिए उन्होंने भारत सरकार से प्रतिष्ठित पद्मश्री (1989) और पद्म भूषण (2005) समेत कई पुरस्कार अर्जित किए हैं. जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके द्वारा लीक से हट कर किए गए कार्यों को कॉरपोरेट वर्ल्ड में बहुत ही सम्मान दिया गया है तथा इससे भारतीय उद्योग और बायोकॉन दोनों को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है. इसी के साथ, टाइम पत्रिका के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में इनका नाम भी शामिल किया गया. वे दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की फोर्ब्स की सूची और फाइनेंशियल टाइम्स के कारोबार में टॉप 50 महिलाओं की सूची में भी शामिल की गयीं.

Posted By : Vishwat Sen

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