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भारत ने वोडाफोन मामले में पंचाट के आदेश के खिलाफ सिंगापुर की अदालत में चुनौती दी

भारत ने वोडाफोन ग्रुप मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को सिंगापुर अदालत में चुनौती दी है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. न्यायाधिकरण ने भारत सरकार की कंपनी से पूर्व की तिथि से 22,100 करोड़ रुपये की कर मांग को खारिज कर दिया था. मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा कि भारत के पास न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने के लिए 90 दिन का समय था और इसके आधार पर सिंगापुर अदालत में इस सप्ताह की शुरुआत में चुनौती दी गई.

नयी दिल्ली : भारत ने वोडाफोन ग्रुप मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को सिंगापुर अदालत में चुनौती दी है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. न्यायाधिकरण ने भारत सरकार की कंपनी से पूर्व की तिथि से 22,100 करोड़ रुपये की कर मांग को खारिज कर दिया था. मामले से जुड़े दो सूत्रों ने कहा कि भारत के पास न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने के लिए 90 दिन का समय था और इसके आधार पर सिंगापुर अदालत में इस सप्ताह की शुरुआत में चुनौती दी गई.

हेग की मध्यस्थता अदालत में चुनौती देने का रास्ता साफ

अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी के 2007 में भारतीय इकाई के अधिग्रहण से जुड़े मामले में 25 सितंबर को कर विभाग की 22,100 करोड़ रुपये की पूर्व प्रभाव से कानून को लागू करके कर और जुर्माने की मांग को खारिज कर दिया था. इस अपील के साथ सरकार के लिए तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण के आदेश को हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत में चुनौती देने का रास्ता साफ हो गया है.

न्यायाधिकरण ने केयर्न एनर्जी के पक्ष में भी सुनाया है फैसला

न्याधिकरण ने ब्रिटेन की तेल एवं गैस कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी को 1.4 अरब डॉलर लौटाने को कहा है. सरकार ने दोनों मामलों में 2012 के कानून का उपयोग किया. इसमें कर प्राधिकरण को पिछले मामलों को खोलने और कई साल पहले हुए कथित पूंजी लाभ के एवज में वोडाफोन और केयर्न से कर मांगने का अधिकार दिया गया था. दोनों वोडाफोन और केयर्न ने द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौतों के तहत कर मांग को चुनौती दी थी और मध्यस्थता कार्यवाही शुरू की थी.

कराधान देश का संप्रभु अधिकार : सरकार

सूत्रों के अनुसार, सरकार का मानना है कि विभिन्न देशों के साथ निवेश संरक्षण संधि के तहत कराधान का मामला नहीं आता और कराधान कानून देश का संप्रभु अधिकार है. संधियों का मुख्य मकसद निवेश को संरक्षित करना है, जबकि कर कंपनियों की कमाई पर लगाया जाता है. इस बारे में वोडाफोन समूह ने कुछ भी कहने से मना कर दिया है.

वोडाफोन ने बीआईटी के तहत दी थी चुनौती

वोडाफोन ने नीदरलैंड-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के तहत मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष पूंजी लाभ पर कर के रूप में 7,990 करोड़ रुपये (ब्याज और जुर्माने के बाद 22,100 करोड़ रुपये) की मांग को चुनौती दी थी. यह मांग 2007 में वोडाफोन के हच्चिसन व्हामपोआ के मोबाइल फोन कारोबार में 67 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण से जुड़ी थी.

न्यायाधिकरण ने सितंबर में भारत के खिलाफ दी व्यवस्था

अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सितंबर में व्यवस्था दी कि भारत सरकार की वोडाफोन से पूर्व की तिथि से कानून का उपयोग कर 22,100 करोड़ रुपये की कर मांग भारत और नीदरलैंड के बीच द्वपिक्षीय निवेश संरक्षण संधि के तहत निष्पक्ष और समान व्यवहार की गारंटी का उल्लंघन है. भारत के पास वोडाफोन मामले में आदेश को सिंगापुर अदालत में चुनौती देने के लिए 90 दिन यानी 24 दिसंबर तक का समय था.

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Posted By : Vishwat Sen

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