विदेश से गेहूं आायत करने के सवाल पर सरकार ने रविवार को कहा कि भारत में गेहूं आयात करने की ऐसी कोई योजना नहीं है. देश में घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है और एफसीआई के पास सार्वजनिक वितरण के लिए पर्याप्त स्टॉक है. खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने ट्वीट के माध्यम से इसका खंडन किया है.
दरअसल, भारत में हीटवेव के चलते गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ा था, जिसके बाद कयास लगाया जा रहा था कि भारत विदेश से गेहूं आयात करेगा. वहीं, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी प्रमुख कृषि फसलों के उत्पादन के एक चौथाई उत्पादन होने का अनुमान है. विभाग ने 2021-2022 के दौरान गेहूं का उत्पादन 106.84 मिलियन टन होने का अनुमान है, जबकि पूर्व में 111 मिलियन टन होना का अनुमान लगाया गया था.
मालूम हो कि रूस और यूक्रेन युद्ध से भारत में गेहूं की मांग को बढ़ावा मिला था, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय मंडियों में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी. वहीं, हीटवेब की वजह से फसल खराब होने से भी कीमतों में तेजी आई थी. विशेष रूप से, संघर्ष में शामिल दोनों देशों में आपूर्ती बढ़ी थी. इस दौरान पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि आज भारत दुनिया को खिलाने" के लिए तैयार है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, प्रमुख मंडियों में से एक माने जाने वाले इंदौर में, गेहूं की कीमतें 2,000-2,100 रुपये के मुकाबले 2,400-2,500 रुपये प्रति 100 किलोग्राम तक पहुंच गईं, जब तक कि रूस और युक्रेन के बीच युद्ध नहीं हुआ था. इसके अलावा नई दिल्ली को भी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा, लेकिन उस दौरान उन देशों को विदेशी शिपमेंट की अनुमति दी, जिन्होंने अपनी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए आपूर्ति का अनुरोध किया था.