Rate Cut: शेयर बाजार में पैसा लगाकर मुनाफा कमाने वाले देश-दुनिया के करोड़ों निवेशकों और कंपनियों का इंतजार अब खत्म हो गया है. अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की दो दिवसीय बैठक शुरू हो गई है और उम्मीद की जा रही है कि इस बार फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक कटौती कर सकता है. संभावना यह भी है कि फेडरल रिजर्व आज बुधवार 18 सितंबर 2024 की देर रात ब्याज दरों में कटौती का ऐलान भी कर सकता है. इस बीच, एक अहम सवाल यह पैदा होता है कि अगर अमेरिका के केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की जाती है, तो भारत पर उसका कितना असर पड़ेगा? क्या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी रेपो रेट में कटौती करेगा, क्योंकि भारत का केंद्रीय बैंक अगस्त 2024 में द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नौवीं बार ब्याज दरों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. इसके अलावा, क्या भारत के शेयर बाजारों में तेजी आएगी या फिर वह गिरना शुरू हो जाएगा? आइए, जानते हैं कि अमेरिका केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती का भारत पर कितना असर पड़ेगा?
ब्याज दर में कटौती से लोन सस्ता होगा
अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व अगर ब्याज दरों में कटौती करेगा, तो यह पिछले चार सालों के दौरान पहला बड़ा कदम होगा. वह 2020 के बाद से ब्याज दरों में कटौती नहीं किया है. 2020 की शुरुआत से ही पूरी दुनिया में कोरोना महामारी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया था. आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं और नीति निर्धारिकों से लेकर आम आदमी तक घरों में दुबके हुए थे. महंगाई चरम पर पहुंच गई थी, जो अब आर्थिक गतिविधियां पटरी पर आने के बाद धीरे-धीरे घट रही है. अमेरिका के फेडरल रिजर्व और भारत के आरबीआई समेत दुनिया के तमाम केंद्रीय बैंक महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों के साथ कमोवेश बहुत अधिक छेड़छाड़ नहीं किया. अब जबकि महंगाई बहुत हद तक नियंत्रित की जा चुकी है, तब ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है. फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो लोन सस्ते होंगे और बाजार में नकदी आने की उम्मीद अधिक है.
शेयर बाजारों पर कितना पड़ेगा असर
फेडरल रिजर्व अगर महंगाई और आर्थिक वृद्धि की गति धीमी होने की स्थिति में ब्याज दर में कटौती करेगा, तो वह यह भी देखेगा कि कटौती का असर अर्थव्यवस्था पर कितना पड़ रहा है. अगर अर्थव्यवस्था संकट में नहीं आएगी, तो यह एक धीमा और स्थिर ब्याज दर कटौती का चक्र होगा. यह शेयर बाजारों के लिए अच्छी खबर हो सकती है. वहीं, अगर आर्थिक मंदी से निपटने के लिए ब्याज दरों में कटौती करेगा, तो यह ब्याज दरों में तेज कटौती वाला चक्र होगा. यह बाजार के लिए अच्छी खबर नहीं है. इसके साथ ही, अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दर में कटौती करने के बाद कहता है कि वह आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंतित है और ब्याज दरों में आगे भी कटौती जारी रहेगी, तो यह चिंता की बात होगी. यह भी बाजार के लिए अच्छी खबर नहीं होगी. इन दोनों ही स्थिति में बाजार गिर सकता है. वहीं, अगर केंद्रीय बैंक यह कहता है कि वह महंगाई को लेकर सचेत है, तो इसका अर्थ यह हुआ कि वह धीमी आर्थिक वृद्धि को मानता है, लेकिन उसके लिए महंगाई भी एक खतरा बनी हुई है. हालांकि, इससे अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की बात नहीं है. तब में बाजार के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है. बाजार में तेजी आ सकती है.
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2023 से ही फेडरल रिजर्व की चाल भांप रहा बाजार
विशेषज्ञों की मानें, तो शेयर बाजार साल 2023 के मध्य से ही फेडरल रिजर्व की चाल को भांप रहा है. दिग्गज निवेशक निलेश शाह का मानना है कि 2023 के मध्य में फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस बार भी शेयर बाजार फेडरल रिजर्व की चाल की भविष्यवाणी करने में गलत साबित हो सता है. हालांकि, ब्याज दर में कटौती का चक्र शेयर बाजार के लिए बेहतर माना जाता है, लेकिन 2001 में ब्याज दर में कटौती होने पर एनएसई निफ्टी करीब 35 फीसदी तक गिर गया था. 2008 में महामंदी के दौरान कटौती होने पर निफ्टी में सबसे बड़ी 60 फीसदी की गिरावट आ गई थी. इसलिए यह कह पाना संभव नहीं है कि फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती से शेयर बाजार में तेजी आएगी.
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