Gensol Engineering: धन की हेराफेरी और संचालन के स्तर पर हुए चूक के मामले में सेबी की जांच झेल रही जेनसोल कंपनी की जांच प्रक्रिया अगले तीन से पांच महीनों में पूरी कर ली जाएगी. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने संकटग्रस्त जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड और करीब 18 अन्य संबंधित कंपनियों की जांच अगले तीन से पांच महीने में पूरी करने का लक्ष्य तय किया है.
सेबी ने जेनसोल इंजीनियरिंग पर लगाया प्रतिबंध
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) की प्रमुख रवनीत कौर ने बताया कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के संदर्भ के बाद एनएफआरए जेनसोल इंजीनियरिंग की प्रारंभिक जांच कर रहा है. जेनसोल की मुश्किलें 15 अप्रैल 2025 को तब और बढ़ गईं, जब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक अंतरिम आदेश पारित किया. सेबी ने धन हेराफेरी और संचालन के स्तर पर चूक मामले में जेनसोल इंजीनियरिंग और उसके प्रवर्तकों अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को अगले आदेश तक प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया.
क्यों की जा रही है जेनसोल कंपनी की जांच
समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच का उद्देश्य हर पहलू पर गौर करना है. अगले तीन से पांच महीने में जेनसोल और करीब 18 अन्य संबंधित कंपनियों की जांच पूरी करने का भी लक्ष्य है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय कंपनी अधिनियम 2013 के तहत जांच कर रहा है. इसकी धारा 210 के तहत मंत्रालय को जनहित सहित विभिन्न आधारों पर किसी कंपनी के मामलों की जांच का आदेश देने का अधिकार है.
छह महीने में पूरी होगी वित्तीय ब्योरों की समीक्षा
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) के जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड और ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी के वित्तीय ब्योरों की समीक्षा छह महीने में पूरी करने की संभावना है. आईसीएआई का वित्तीय रिपोर्टिंग समीक्षा बोर्ड (एफआरआरबी) वित्त वर्ष 2023-24 के लिए दोनों कंपनियों के वित्तीय विवरणों की समीक्षा कर रहा है.
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क्या है प्रवर्तकों पर आरोप
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 15 अप्रैल को जेनसोल के प्रवर्तक के खिलाफ आदेश जारी किया था. इन प्रवर्तकों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग से कर्ज की राशि को निजी इस्तेमाल के लिए गबन किया है. इससे कंपनी के कामकाज के तरीकों और वित्तीय कदाचार को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
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