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EPFO ने नियम में किया बड़ा बदलाव, अब मर्ज नहीं करना पड़ेगा खाता

EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में निवेश करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. अब उनका खाता ऑटो मर्ज हो जाएगा. यानी नौकरी बदलने के बाद, पीएफ खाता नए अकाउंट में ट्रांसफर कराने की जरूरत नहीं होगी. इससे उन्हें ब्याज का नुकसान नहीं होगा.

EPFO: अगर आप किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं तो आपके लिए एक बेहद महत्वपूर्ण खबर है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने पीएफ खाते से जुड़े एक नियम में बदलाव किया है. नये नियम से कर्मचारियों को राहत मिलेगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब पीएफ खाता ऑटो ट्रांसफर कर दिया जाएगा. यानी नौकरी बदलने के बाद, पीएफ खाता नए अकाउंट में ट्रांसफर कराने की जरूरत नहीं होगी. उदाहरण के लिए आपने वर्तमान कंपनी में नौकरी छोड़ दिया. इसके बाद, आपके नयी कंपनी ज्वाइंन कर लिया. सामान्य रुप से ऐसा करने पर आपको अपना दोनों खाता मर्ज करना पड़ता था. हालांकि, अब ये ऑटो ट्रांसफर हो जाएगा. इससे आपकी परेशानी कम हो जाएगी. जबकि, पहले इसे मर्ज करना पड़ता था.

खाता मर्ज नहीं करने से होगा ब्याज का नुकसान

पीएफ खाते में जमा राशि पर खाता धारक को कुछ ब्याज दिया जाता है. अगर आपका खाता मर्ज नहीं होगा तो जो करेंट खाता होगी केवल उसमें जमा राशि पर आपको ब्याज मिलेगा. इसका अर्थ है कि आपको ब्याज के पैसों का नुकसान उठाना पड़ेगा. ईपीएफ खाते में कर्मचारी को बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत का योगदान करना होता है. इसमें नियोक्ता के द्वारा भी योगदान किया जाता है. इसी खाते के जरिए किसी कर्मचारी को आगे चलकर पेंशन दी जाती है.

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ईपीएफओ ने जनवरी में 16.02 लाख सदस्य जोड़े

सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करने वाले निकाय ने बताया कि ईपीएफओ ने जनवरी 2024 में शुद्ध रूप से 16.02 लाख सदस्य जोड़े हैं. श्रम मंत्रालय ने कहा कि जनवरी 2024 में पहली बार लगभग 8.08 लाख सदस्यों का नामांकन किया गया. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अनंतिम पेरोल आंकड़ों के मुताबिक ईपीएफओ ने जनवरी 2024 में शुद्ध आधार पर 16.02 लाख सदस्यों को जोड़ा है. आंकड़ों के मुताबिक इनमें 18-25 आयु वर्ग के अधिकांश सदस्य हैं. इनकी संख्या जनवरी 2024 में जोड़े गए कुल नए सदस्यों का 56.41 प्रतिशत है. इससे पता चलता है कि संगठित कार्यबल में शामिल होने वाले अधिकांश व्यक्ति युवा हैं. ये मुख्य रूप से पहली बार नौकरी कर रहे हैं. पेरोल आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 12.17 लाख सदस्य जो ईपीएफओ की योजनाओं से बाहर निकल गए थे, वे फिर से शामिल हो गए. इन सदस्यों ने अपनी नौकरी बदल ली और ईपीएफओ के दायरे में आने वाले प्रतिष्ठानों में फिर से शामिल हो गए. इन्होंने अपने कोष को स्थानांतरित करने का विकल्प चुना.

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