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कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से एयर इंडिया का विनिवेश मौजूदा समय में मुश्किल

सरकार आर्थिक संकट का सामना कर रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की सौ फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. इसके लिए उसने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किसी भी प्रवासी भारतीयों के हाथों इसकी सौ फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है, लेकिन विमानन कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन आईएटीए के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन का कहना है कि देश-दुनिया में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से इसके विनिवेश में सरकार के सामने दिक्कतें पेश आ सकती हैं.

सिंगापुर : कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच विमानन कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन आईएटीए ने गुरुवार को कहा कि मौजूदा हालातों में एयर इंडिया का विनिवेश ‘मुश्किल’ हो सकता है. कोरोना वायरस की वजह से विभिन्न देशों ने यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं. वहीं, भारतीय कंपनियों का वैश्विक और घरेलू हवाई यातायात बाजार प्रभावित हुआ है. इसके चलते विमानन कंपनियों पर भारी दबाव है. इस वायरस से दुनियाभर में अब तक 95,000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 3,200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

आईएटीए के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन पीयर्स ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह भारतीय विमानन कंपनियों के लिए काफी मुश्किल भरा समय है.’ उन्होंने कहा कि स्पष्ट तौर पर भारतीय विमानन कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार बहुत कमजोर हुआ है. वहीं, घरेलू हवाई यातायात भी इससे प्रभावित हुआ है. पीयर्स के अनुसार, कोरोना वायरस से जो स्थिति बनी है, उसके चलते भारतीय विमानन कंपनियों आपस में एकीकरण कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया का निजीकरण दीर्घावधि में भारतीय बाजार के लिए एक अनिवार्य कदम है.

भारत सरकार ने एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए आरंभिक सूचना ज्ञापन जारी किया है. पीयर्स ने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण के लिए उपाय के तौर पर भारतीय विमानन कंपनियों को आपस में विलय करना चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा स्थिति में यह मुश्किल दिखता है, क्योंकि विमानन उद्योग पहले से कोरोना वायरस का असर झेल रहा है. वहीं, शेयर बाजार भी कमजोर बने हुए हैं. इस वजह से एयर इंडिया का निजीकरण वर्तमान स्थिति में थोड़ा मुश्किल है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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