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Coronavirus की करेंसी पर मार, वॉयस ऑफ बैंकिंग ने दी डिजिटल पेंमेंट की सलाह

कोरोनावायरस की चपेट में अब करेंसी नोट पर पड़ती हुई दिखायी दे रही है. वॉयस ऑफ बैंकिंग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से सलाह दी है कि अगर कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करना है, तो नोटों से लेनदेन करने की बजाय डिजिटल पेमेंट करें.

नयी दिल्ली : कोरोना वायरस की मार अब करेंसी नोटों पर पड़ती दिखायी दे रही है. दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस फैलने के बीच बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी एक संस्था ने कहा है कि लोगों को लेनदेन में करेंसी नोट की बजाय डिजिटल तौर तरीकों से भुगतान करना चाहिए. ‘वॉयस ऑफ बैंकिंग’ संगठन ने यह सुझाव देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के हवाले से कहा है कि डब्ल्यूएचओ ने भी लोगों को सलाह दी है कि वे बैंक नोट के इस्तेमाल से बचें और भुगतान के लिए अन्य डिजिटल भुगतान तरीकों के इस्तेमाल का प्रयास करें.

संगठन के मुताबिक, देश में नोटबंदी के दौरान भी यह देखा गया कि हजारों बैंक कर्मचारी संक्रमण से पीड़ित हुए थे. संगठन ने कहा है कि बैंक प्रबंधन को कर्मचारियों की सुविधा के लिए पर्याप्त मात्रा में हैंड सैनिटाइज़र उपलब्ध कराने चाहिए. ‘वायस ऑफ बैंकिंग’ ने कहा है कि बैंक नोट्स छूने के बाद ग्राहकों को अपने हाथ धोने चाहिए. बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए लोगों को जहां तक संभव हो, संपर्क रहित तकनीक यानी डिजिटल भुगतान तरीकों का उपयोग करना चाहिए.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा किये गये एक अध्ययन का हवाला देते हुए संगठन ने कहा है कि मुद्रा नोट और सिक्के संक्रमण का एक स्रोत हो सकते हैं. शोधकर्ताओं ने विभिन्न स्रोतों जैसे ऑटो-रिक्शा चालक, मेडिकल स्टोर, विक्रेताओं आदि से मुद्रा नोटों और सिक्कों को एकत्रित किया और उन्हें बैक्टीरिया और वायरस से लैस पाया. हालांकि, संक्रमण के इस स्रोत को रोग निवारण प्रोटोकॉल में अच्छी तरह से संबोधित नहीं किया गया है.

केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख लेखक डॉ सुनीता सिंह ने कहा हमारे परिणामों से पता चला है कि मुद्रा रोगाणुओं से दूषित है और यह संदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधी या संभावित हानिकारक जीवों के संचरण में भूमिका निभा सकती है. शोधकर्ताओं ने सूक्ष्म जीव विज्ञान और फुफ्फुसीय चिकित्सा में विशेषज्ञों को शामिल किया.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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