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2022 में भी आम आदमी को महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद नहीं, 2021 के अप्रैल महीने से लगातार टूट रहा है रिकॉर्ड

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 12 साल के रिकॉर्ड स्तर 14.23 फीसदी पर पहुंच गई.

नई दिल्ली : कोरोना की तीसरी लहर के साथ साल 2021 समाप्त होने वाला है. इस पूरे साल के दौरान कोरोना महामारी और महंगाई ने देश के आम आदमी से लेकर सरकार तक को परेशान किया है. कोरोना महामारी का प्रकोप अगले साल 2022 में कैसा रहेगा, यह भविष्य के गर्त में है, लेकिन लगता है कि महंगाई से देश के आम अवाम को अगले साल भी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. इसका कारण यह है कि चालू वर्ष 2021 की जनवरी से ही थोक और खुदरा महंगाई लगातार रिकॉर्ड तोड़ने पर ही आमादा है. पिछले नंवबर महीने में भी महंगाई ने 12 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है.

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 12 साल के रिकॉर्ड स्तर 14.23 फीसदी पर पहुंच गई. इसका मुख्य कारण खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी है. सबसे बड़ी बात यह है कि अप्रैल से लगातार आठवें महीने थोक महंगाई 10 फीसदी के ऊपर बनी हुई है. इस साल अक्टूबर में मुद्रास्फीति 12.54 प्रतिशत थी, जबकि नवंबर, 2020 में यह 2.29 फीसदी थी. महंगाई दर के 12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की असली वजह निचला आधार प्रभाव और ईंधन सूचकांक में आया उछाल है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि नवंबर, 2021 में मुद्रास्फीति की दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों, खाद्य उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण पिछले साल के इसी महीने की तुलना में बढ़ी है. नवंबर में ईंधन और बिजली वर्ग की मुद्रास्फीति बढ़कर 39.81 फीसदी हो गई, जबकि अक्टूबर में यह 37.18 फीसदी थी.

इसी तरह खाद्य सूचकांक पिछले महीने के 3.06 फीसदी की तुलना में दोगुना से अधिक होकर 6.70 फीसदी पर पहुंच गया. समीक्षाधीन महीने में कच्चे तेल के दाम 91.74 फीसदी बढ़े, जबकि अक्टूबर में इस खंड में महंगाई दर 80.57 फीसदी थी. हालांकि, विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्टूबर के 12.04 फीसदी की तुलना में नवंबर में घटकर 11.92 फीसदी रह गई.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ऊंची मुद्रास्फीति में ईंधन और बिजली का सबसे बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि इनकी कीमत नवंबर, 2020 की तुलना में लगभग 40 फीसदी बढ़ी हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों के दाम और ईंधन की कीमतें भी बहुत अधिक रही हैं. उन्होंने कहा कि निचले आधार प्रभाव के बावजूद प्राथमिक वस्तुओं और विनिर्माण उत्पादों की मुद्रास्फीति मुश्किल से दोहरे अंक पर पहुंची है. इससे भारतीय विनिर्माताओं, उत्पादकों और उद्योग के प्रयासों का पता चलता है.

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क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 14.2 फीसदी के ऊंचे स्तर पर पहुंचने को एक झटका बताते हुए कहा कि ज्यादातर गैर-प्रमुख वर्गों में मुद्रास्फीति की दर उम्मीद से ज्यादा थी. उन्होंने कहा कि निचले आधार प्रभाव से चालू महीने में प्राथमिक खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर में और वृद्धि होने की संभावना है. हालांकि, विभिन्न खाद्य पदार्थों की कीमतों में क्रमिक आधार पर गिरावट का अनुमान है.

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