Chenab Bridge: जम्मू-कश्मीर की वादियों में भारत ने इंजीनियरिंग का ऐसा करिश्मा पेश किया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन जाएगा. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज का उद्घाटन किया. इस ऐतिहासिक परियोजना में अदाणी ग्रुप की कंपनियों – अंबुजा सीमेंट और एसीसी ने अहम भूमिका निभाई.
65,000 टन सीमेंट की ताकत से खड़ा हुआ स्टील का ये अजूबा
इस ब्रिज के निर्माण में अदाणी ग्रुप की दो प्रमुख कंपनियों – अंबुजा सीमेंट और एसीसी ने खास योगदान दिया. कंपनी ने बताया कि उसने कुल 65,000 मीट्रिक टन Ordinary Portland Cement (OPC) 43 ग्रेड की आपूर्ति की, जो अपनी मजबूती, टिकाऊपन और मौसम-प्रतिरोधी क्षमता के लिए जानी जाती है. यही वजह है कि यह सीमेंट बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल होती है.
अडानी सीमेंट बोली – ये सिर्फ सीमेंट नहीं, देश की नींव है
अदाणी ग्रुप के सीमेंट बिजनेस के सीईओ विनोद बाहेती ने इस मौके पर कहा, “यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमने एक ऐसी परियोजना में भाग लिया, जो न सिर्फ इंजीनियरिंग की सीमाओं को पार करती है, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करती है.”
क्या है चिनाब ब्रिज की खासियत?
- लंबाई: 1315 मीटर
- स्ट्रक्चर: स्टील आर्च ब्रिज
- क्षमता: भूकंप और तूफानी हवाओं को झेलने के लिए डिज़ाइन
- उद्देश्य: कश्मीर घाटी को पूरे भारत से रेल नेटवर्क से जोड़ना
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चिनाब ब्रिज इतना खास क्यों है?
चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है, जो चिनाब नदी के तल से 359 मीटर ऊंचा है. यह एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा है और 266 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं व 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप को झेलने में सक्षम है.
इस ब्रिज को बनाने में कौन-कौन सी तकनीकी खूबियां शामिल हैं?
ब्रिज को सिस्मिक जोन-5 के अनुसार डिजाइन किया गया है, जिससे यह 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप को सह सके. साथ ही यह 266 किमी/घंटा की हवाओं को भी झेल सकता है. इसकी लाइफ 120 साल तय की गई है.
इस ब्रिज को बनाने में कितना स्टील और कंक्रीट इस्तेमाल हुआ?
चिनाब ब्रिज के निर्माण में 29,000 मीट्रिक टन स्टील और 46,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है, जिससे 10 सामान्य ब्रिज बनाए जा सकते हैं.
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