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असम की स्पेशल चाय ने तोड़ा रिकॉर्ड, 99999 रुपये प्रति किलो में बिकी, जानें क्या है इसकी खासियत

Assam Manohari Gold Tea गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र में मंगलवार को एक किलो गोल्डन बटरफ्लाई चाय रिकॉर्ड 99,999 रुपये में बिकी है. इतनी महंगी चाय की ब्रॉन्डिंग मनोहारी गोल्ड रूप में की जाती है. मनोहारी गोल्ड टी पिछले साल 75 हजार रुपये में एक किलो में बिकी थी.

Assam Manohari Gold Tea गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र (GATC) में मंगलवार को एक किलो गोल्डन बटरफ्लाई चाय रिकॉर्ड 99,999 रुपये में बिकी है. इतनी महंगी चाय की ब्रॉन्डिंग मनोहारी गोल्ड रूप में की जाती है. मंगलवार को गुवाहाटी टी ऑक्शन में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ कर इतिहास रचने वाले मनोहारी गोल्ड टी पिछले साल 75 हजार रुपये में एक किलो में बिकी थी.

अब आप ये सोच रहे होंगे कि इतनी महंगी चाय को किसने खरीदा होगा. बता दें कि डिब्रूगढ़ जिले के इस चाय को गुवाहाटी स्थित थोक व्यापारी सौरभ टी ट्रेडर्स द्वारा खरीदी गई. जिसने एक किलो की रिकॉर्ड 99999 रुपये की बोली लगाई. मनोहारी गोल्ड टी का उत्पादन असम के डिब्रूगढ़ जिले में किया जाता है.

गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र के मुताबिक, यह भारत में सबसे अधिक कीमत पर नीलाम होने वाली चाय पत्तियां है. गुवाहाटी टी ऑक्शन बायर्स एसोसिएशन के सचिव दिनेश बिहानी ने इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में बताया कि नीलामी में 99999 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाली मनोहारी गोल्ड टी एक दुर्लभ किस्म की चाय है.

वहीं, इसको खरीदने वाले सौरभ टी ट्रेडर्स के सीईओ एमएल माहेश्वरी की मानें तो मनोहारी गोल्ड चाय की मांग बहुत अधिक है. जबकि, इसका उत्पादन बहुत कम है. बताया गया कि इस साल मनोहारी टी एस्टेट द्वारा केवल एक किलो चाय की नीलामी की गई. एमएल माहेश्वरी ने कहा कि हम इस चाय को खरीदने के लिए लंबे समय से कोशिश कर रहे थे. उनके मुताबिक, चाय बगान के मालिक ने निजी तौर पर इसे बेचने से मना कर दिया था, जिसके बाद उन्हें नीलामी के दौरान इसे खरीदने में कामयाबी मिली.

2018 में इसी ब्रांड की एक किलो चाय 39 हजार रुपये में बिकी थी. खास बात यह रही कि इसे भी सौरभ टी ट्रेडर्स ने खरीदा था. एक साल बाद उसी कंपनी ने 50 हजार रुपये की कीमत पर एक ही चाय का एक किलो खरीदा. लेकिन, पिछले साल एक किलो की कीमत 75 हजार रुपये थी और इसे विष्णु टी कंपनी ने खरीदा था.

बताया जाता है कि मनोहारी गोल्ड टी की खासियत यह है कि ये पत्तियों से नहीं, बल्कि छोटी कलियों से तैयारी की जाती है. इस कारण इसकी कीमत ज्यादा है और स्वाद भी काफी अच्छा होता है. इसकी पत्तियां पीसे जाने पर एक सुनहरा रंग देती हैं. ऑक्सीडेशन के कारण, इसकी प्रक्रिया के दौरान हरे रंग से भूरापन में रंग बदल जाता है और सूखने पर कलियां सुनहरी हो जाती हैं. फिर उन्हें काले पत्तों से अलग किया जाता है. मनोहरी टी एस्टेट के मालिक राजन लोहिया ने कहा कि हम इस प्रकार की प्रीमियम क्वालिटी वाली स्पेशल चाय के लिए खास उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों द्वारा मांग के आधार पर चाय का निर्माण करते हैं.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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