19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

7800 करोड़ रुपये के बैंक डिफॉल्टर विजय माल्या ने सप्ताह भर पहले ही भारत छोड़ा

नयी दिल्ली : केन्द्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण लेने के बाद उसे कथित रूप से नहीं चुकाने को लेकर कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या हफ्ताभर पहले ही देश छोडकर चले गए.माल्या पर विभिन्न बैंकों का […]

नयी दिल्ली : केन्द्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण लेने के बाद उसे कथित रूप से नहीं चुकाने को लेकर कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या हफ्ताभर पहले ही देश छोडकर चले गए.माल्या पर विभिन्न बैंकों का लगभग 7800 करोड़ रुपये बकाया हैऔर वे इस मामले में डिफॉल्टर घोषित किये जा चुके हैं.

अटार्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ से कहा, ‘‘मैंने अभी कुछ दिन पहले सीबीआई से बात की और उसने मुझे बताया कि दो मार्च को वह (माल्या) देश से चले गए.’ पीठ ने माल्या को नोटिस जारी किया और बैंकों के कंसोर्टियम की याचिकाओं पर दो हफ्ते में उनका जवाब मांगा। बैंकों के कंसोर्टियम ने उनके पासपोर्ट पर रोक लगाने और शीर्ष अदालत में उनकी पेशी के लिए निर्देश जारी किये जाने की मांग की है.

चूंकि अदालत को यह सूचित किया गया कि माल्या पहले ही देश छोडकर संभवत: ब्रिटेन जा चुके हैं अतएव पीठ ने अटार्नी जनरल का यह अनुरोध मान लिया कि उनतक नोटिस उनके आधिकारिक राज्यसभा ई-मेल आईडी, लंदन में भारतीय उच्चायोग, विभिन्न उच्च न्यायालयों में उनका प्रतिनिधित्व कर रहे उनके वकील, ऋण वसूली न्यायाधिकरण तथा उन कंपनी के माध्यम से पहुंचाए जा सकते हैं. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान एजी ने कहा कि (माल्या पर) विभिन्न बैंकों में 9000 करोड रुपए से अधिक का बकाया है और किसी न किसी बहाने वह उसका निस्तारण करने से बचते रहे.

अटार्नी जनरल ने शीर्ष अदालत को बताया कि माल्या के खिलाफ बेंगलुरु और गोवा में ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में कई सुनवाई चल रही है.जब पीठ ने जानना चाहा कि याचिकाकर्ता क्या चाहता है तो एजी ने कहा कि गार्निशी आदेश :ऋण दाता के कर्जदार की संपत्ति ले लेने संबंधी आदेश: जारी करने कीजरूरतहै और माल्या की ओर से खुलासा करने भी आवश्यकता है. रोहतगी ने कहा कि बैंक यह आदेश जारी किये जाने की मांग रहे हैं कि माल्या इस अदालत में पेश हों तथा उनके पासपोर्ट पर रोक लगाया जाए.

उन्होंने कहा कि माल्या के पास विदेशों में चल और अचल दोनों तरह जितनी संपत्ति है वह उनके द्वारा लिए गए ऋण से भी अधिक है.इस पर पीठ ने जानना चाहा कि ऐसी स्थिति में कैसे बैंकों ने उन्हें कर्ज दिया.एजी ने कहा कि ऋण इस बात को ध्यान में रखकर दिया गया कि किंगफिशर एयरलाइंस के पास विमानों का बेडा और ब्रांड वैल्यू है तथा ऋण लोगो और विमान के तीसरे पक्ष से जुडे होने के आधार पर भी दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘आज मेरा कहना है कि वह (माल्या) आपके सामने (न्यायालय में)पेश हों. हम खुलासा चाहते हैं. हम धन वापस चाहते हैं जो जनता का धन है. ‘ इन दलीलों के बाद पीठ ने सुनवाई पूरी की और माल्या के लिए नोटिस जारी कर यह कहते हुए आदेश लिखाया, ‘‘यदि वह पहले से ही देश से बाहर हैं तो हम आपको लंदन में भारतीय उच्चायोग, उनके राज्यसभा के आधिकारिक ई-मेल आईडी के माध्यम से उनतक नोटिस पहुंचाने की अनुमति देंगे। माल्या राज्यसभा के सदस्य हैं.’

बैंकों के कंसोर्टियम ने अपनी अपील में कर्नाटक उच्च न्यायालय के चार मार्च के आदेश की निंदा की है जिसमें उसने माल्या, इंगलैंड आधारित डियाजियो पीएलसी और यूनाईटेड स्पिरिट्स लिमिटेड के खिलाफ एक पक्षीय एवं अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था.बैंका का कहना है कि इन उद्योगपति :माल्या:, अन्य जैसे कर्जदार किंगफिशर एयरलाइन लिमिटेड को सुने बिना ही उच्च न्यायालय को उनके वित्तीय हितों की सुरक्षा करते हुए अंतरिम आदेश जारी करना चाहिए.

उच्च न्यायालय पहुंचने से पहले बैंकों ने बेंगलुरु की ऋण वसूली न्यायाधिकरण :डीआरटी: में चार याचिकाएं दायर की थीं और माल्या के पासपोर्ट पर रोक लगाने, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने, प्रतिवादी संख्या 10 :डियाजियो पीएलसी: प्रतिवादी संख्या 11 :यूनाईटेड स्पिरिट्स लिमिटेड: द्वारा 7.5 करोड डॉलर के भुगतान पर रोक जैसे राहतों की मांग की थी.

उन्होंने यह भी मांग की थी कि माल्या को इस बात का निर्देश दिया जाए कि वह हलफनामा देकर अपनी संपत्तियों का खुलासा करें.ये बैंक यूनाईटेड स्पिरिट्स के अध्यक्ष पद से हाल ही में माल्या के इस्तीफा देने के आलोक में डीआरटी पहुंचे थे. डियोजियो पीएलसी :शराब कंपनी का वर्तमान मालिक: माल्या को कंपनी से हटने पर पैकेज के रुप में 7.5 करोड डॉलर (515 करोड रुपए) देने पर सहमत हुई थी.

एसबीआई के अतिरिक्त जो अन्य बैंक उच्चतम न्यायालय पहुंचे हैं, उसमें एक्सिस बैंक लिमिटेड, बैंक ऑफ बडौदा, कॉरपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू कश्मीर बैंक लिमिटेड, पंजाब एडं सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक और यूनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया हैं.

बैंकों ने यह भी मांग की कि ऋण वसूली संबंधी उनके मूल आवेदनों के लंबित रहने के दौरान डीआरटी के समक्ष माल्या की पेशी के लिए उन्हें उपयुक्त प्रतिभूति जमा करने के लिए भी निर्देश जारी किया जाए.बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड, यूनाईटेड ब्रिवेरिजेस (होल्डिंग) लिमिटेड, किंगफिशर फिनवेस्ट (इंडिया) लिमिटेड, एसबीआईकैप ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड जैसी कंपनियों को अदालत में भी पक्षकार बनाया है. अर्जी में कहा गया है कि बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड को अलग अलग ऋण दिया था लेकिन 21 दिसंबर, 2010 के समझौते मास्टर डिबेट रिकास्ट एग्रीमेंट के अनुसार उन्हें एक ही ऋण सुविधा मान लिया गया.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें