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आईएमएफ ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान घटाया

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने कहा है कि एक मुश्किल बाहरी माहौल की वजह से भारत की आर्थिक वृद्धि दर में थोडी कमी आयी है और यह पहले के 7.5 प्रतिशत के मुकाबले 7.3 प्रतिशत हो गयी है. अनुसंधान विभाग, आइएमएफ उपनिदेशक जी मारिया मिलेसी फरेटी ने कहा, ‘भारत विश्व की सबसे तेजी […]

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने कहा है कि एक मुश्किल बाहरी माहौल की वजह से भारत की आर्थिक वृद्धि दर में थोडी कमी आयी है और यह पहले के 7.5 प्रतिशत के मुकाबले 7.3 प्रतिशत हो गयी है. अनुसंधान विभाग, आइएमएफ उपनिदेशक जी मारिया मिलेसी फरेटी ने कहा, ‘भारत विश्व की सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. हमारे सामने एक मुश्किल बाहरी माहौल है जिससे पिछले साल के मुकाबले आर्थिक वृद्धि दर में कमी आयी है.’

मंगलवार को चीन से अधिक 7.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया था

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) मंगलवार को अनुमान जताया था कि 2016 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर अन्य प्रमुख उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं से अधिक रहेगी. संगठन ने अगले साल भारत की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. जबकि इस दौरान चीन की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहना अपेक्षित है. आइएमएफ ने यहां जारी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रपट (अपडेट) में यह अनुमान लगाया है.

इसके अनुसार, ‘भारत की वृद्धि दर अन्य प्रमुख उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं की दरों से अधिक रहने का अनुमान है.’ इसमें कहा गया है,‘ भारत की वृद्धि दर इस साल तथा पिछले साल के 7.3 प्रतिशत से मजबूत होकर अगले साल 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हाल ही के नीतिगत सुधारों, निवेश में सुधार तथा जिंस कीमतों में नरमी आदि का फायदा वृद्धि दर को होगा.’ वहीं दूसरी ओर चीन में वृद्धि दर इस साल घटकर 6.8 प्रतिशत तथा 2016 में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

इसके साथ ही 2015 के लिए वैश्विक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जो कि 2014 की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम है. इसके अनुसार विकसित अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर मजबूत रहने का अनुमान है. इसके अनुसार यूरो क्षेत्र में वृद्धि में सुधार व्यापक आधार वाली रहना अनुमानित है. लातिन अमेरिका व कैरेबियाई क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों के 2016 में फिर से जोर पकडने की उम्मीद है. रपट के अनुसार भारत में मुद्रास्फीति 2015 में और घटने की उम्मीद है जो कि वैश्विक तेल तथा कृषि जिंस कीमतों में गिरावट को परिलक्षित करेगी.

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