जिनीवा : भारत को समावेशी वृद्धि और विकास के लिहाज से वैश्विक रैंकिंग में निचले पायदान पर रखा गया है जबकि कारोबारी एवं राजनीतिक आचार-नीति के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बेहतर स्थिति में है. इसके साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में भारत आठवें स्थान पर काबिज है. प्रतिव्यक्ति आय के लिहाज से विभिन्न देशों के समूहों में अपनी तरह की पहली वैश्विक रैंकिंग में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूइएफ) ने पाया कि ज्यादातर देश आय की असमानता घटाने के बडे मौके खो रहे हैं और यही हाल भारत का भी है.
मंच ने पाया कि पिछले दो साल में किये गये इस अध्ययन में ऐसे विभिन्न तरीकों की पहचान करने की कोशिश की गयी है जिससे नीति-निर्माता आर्थिक वृद्धि तथा समानता दोनों को साथ-साथ आगे बढा सकते हैं. भारत और स्विट्जरलैंड के दावोस समेत विश्व में विभिन्न जगहों पर आर्थिक सम्मेलन करने के लिए मशहूर जिनीवा की संस्था ने कहा ‘हमारा संदेश यह है कि नेताओं को ऐसी आर्थिक रणनीतियां आगे बढानी चाहिए जो वृद्धि परक होने के साथ-साथ श्रम समर्थक भी हो.’
भारत को कम और मध्यम आय वाले 38 देशों में निचले स्थान पर रखा गया है. विशेष तौर पर वित्तीय हस्तांतरण के मामले में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक है और यह उन 38 देशों में 37वें स्थान पर है. कर संहिता के लिहाज से यह 32वें और सामाजिक सुरक्षा के मामले में यह 36वें स्थान पर है. मंच ने कहा कि एक अन्य क्षेत्र जिसमें भारतीय नीतिनिर्माताओं को सुधार को प्राथमिकता देने की जरुरत है, विशेष तौर पर लघु कारोबार से जुडे परिसंपत्ति निर्माण और उद्यमशीलता के संबंध में जिसमें भारत 38 देशों में सबसे निचले पायदान पर है.
विश्व आर्थिक मंच ने कहा कि भारत, भ्रष्टाचार और किराये जैसे कुछ क्षेत्रों में नेतृत्व की स्थिति में है जहां यह आठवें स्थान पर है. कारोबार और राजनीतिक आचार-नीति के लिहाज से भारत 12वें स्थान पर जबकि अर्थव्यवस्था में निवेश के उत्पादक उपयोग के लिहाज से 11वें स्थान पर है. मंच ने अपने पहले समावेशी वृद्धि तथा विकास रपट में विभिन्न देशों की आर्थिक वृद्धि को आगे बढाने की कोशिश के आकलन का नया ढांचा पेश किया है जिससे पूरे समाज का जीवन-स्तर ऊंचा होता है.
मंच ने 112 देशों के आकलन वाली रपट में कहा ‘विश्व भर में राजनीतिक नेताओं के सामने आर्थिक वृद्धि की प्रक्रिया और लाभ में सामाजिक भागीदारी बढाने से बडी नीतिगत चुनौती और कोई नहीं है.’ रपट में कहा गया कि सभी देशों में सुधार की गुंजाइश है. इसमें कहा गया कि एक साथ समावेशीकरण समर्थक और वृद्धि समर्थक होना संभव है. सभी अर्थव्यवस्थाओं में स्विट्जरलैंड बुनियादी ढांचे और सेवाओं के लिहाज से शीर्ष पर है जबकि फिनलैंड शिक्षा एवं कौशल के लिहाज से. श्रम, रोजगार आदि के लिहाज से नॉर्वे शीर्ष स्थान पर है.
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