नयी दिल्ली : वैश्विक वित्तीय संस्थान बैंक ऑफ अमेरिका-मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) ने अर्थव्यवस्था में तात्कालिक सुधार के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कटौती को महत्वपूर्ण माना है. बोफा-एमएल ने एक अनुसंधान रपट में कहा है कि भारतीय बाजार लंबित जीएसटी तथा भूमि अधिग्रहण सुधारों के योगदान को देश की वृद्धि में ‘बहुत अधिक’ अंक रहे हैं.
इसमें बोफा एमएल ने कहा है ‘राजनीतिक विवादों’ को देखते हुए उसे नहीं लगता कि उक्त दो सुधार संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित हो पाएंगे. इसके साथ ही उसने उम्मीद जताई है कि भारतीय रिजर्व बैंक चार अगस्त को होने वाली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा.
इसके साथ ही उसे 2016 के पहले तक ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत और कटौती की उम्मीद है. रपट में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि वर्ष 2015 के अंत तक तात्कालिक चक्रीय सुधार के लिए आर्थिक सुधारों के बजाय उधारी दर में कटौती अधिक महत्वपूर्ण है. सुधारों से आर्थिक वृद्धि को समर्थन पांच साल अथवा उसके बाद ही मिल पायेगा.
इससे कोई फर्क नहीं पडता कि वह संसद के इस सत्र में पारित होते हैं अथवा अगले.’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा लगातार यह मानना है कि बाजार आर्थिक वृद्धि के मामले में इन विधायी सुधारों को लेकर जरुरत से ज्यादा तवज्जा दे रहा है. हाल के एक आरटीआइ सवाल के जवाब का हवाला देते हुये इसमें कहा गया है कि देशभर में अटकी पडी कुल 804 परियोजनाओं में से केवल 66 यानी आठ प्रतिशत ही भूमि अधिग्रहण के मुद्दे की वजह से अटकी हैं.
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