मुंबई : सरकार संसद के आगामी सत्र में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने की उम्मीद कर रही है, लेकिन व्यापारी इसके खिलाफ हैं. व्यापारियों ने कहा कि मौजूदा रूप में यह काफी जटिल है और इसे सरल किये जाने की जरुरत है. कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘जीएसटी का मकसद अप्रत्यक्ष कर ढांचे को सरल करना है. लेकिन मौजूदा फार्मेट में यह काफी जटिल है.
हम एकल जीएसटी कराधान ढांचे की मांग करते हैं जिससे व्यापारियों को सिर्फ एक रिटर्न दाखिल करने की जरुरत हो.’ खंडेलवाल ने कहा कि केंद्रीय व राज्य जीएसटी का भुगतान केंद्र व राज्य सरकारों को अलग-अलग किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके अलावा इसमें वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर का प्रावधान है, जो दो साल के लिए होगा.
अंतर राज्य व्यापार या वाणिज्य में यह एक प्रतिशत से अधिक नहीं होगा. खंडेलवाल ने कहा, ‘हम एकल प्राधिकरण के साथ एकल जीएसटी की मांग करते हैं. इसमें देशभर में समान कानून व समान कर दरें जिससे भारत को ‘एक मंडी’ के रूप में विकसित किया जा सके. अंशाधारकों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. प्रस्तावित जीएसटी हमें स्वीकार्य नहीं है.’