नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सकारात्मक नियामकीय ढांचा, कर व्यवस्था में स्थिरता और ढांचागत क्षेत्र को प्रोत्साहन के साथ सुधारों को ‘उच्चतम गति’ से आगे बढाने का वादा किया ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को मौजूदा 2,000 अरब डालर से 20,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाया जा सके.
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि विकास के नतीजे रोजगार अवसरों के रुप में सामने दिखने चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार नियमों में बदलाव करेगी, कर व्यवस्था में सुधार करेगी और जरुरतमंद लोगों को ध्यान में रखकर सब्सिडी प्रदान करेगी. एक सकारात्मक नियामकीय ढांचा, कर व्यवस्था में स्थिरता और कारोबार करना आसान बनाने को तीव्र गति से आगे बढाया जा रहा है.
यहां इकोनामिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, हम निवेश के रास्ते आने वाली विभिन्न अडचनों को दूर कर रहे हैं. हमारी कर व्यवस्था में भारी सुधार की जरुरत है जिसकी पहल की जा चुकी है. मैं गति में विश्वास करता हूं. मैं तेज गति से व्यापक बदलाव लाउंगा. आप आने वाले समय में इसकी सराहना करेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि राजकाज में सुधार एक सतत प्रक्रिया है और उनकी सरकार ऐसी जगहों पर बदलाव कर रही है जहां नियम व प्रक्रियाएं आज की आवश्यकताओं के मुताबिक नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में वृद्धि दर पांच प्रतिशत से नीचे रही, राजकाज का स्तर बहुत ही नीचे चला गया था और घोटाले पर घोटाले सामने आए. अब नये युग के भारत का उदय होना शुरु हो गया है. उन्होंने कहा, हमें जो क्षति हुई है उसे ठीक करना है. आर्थिक वृद्धि में तेजी को बहाल करना कठिन कार्य है. इसके लिए बहुत बडे प्रयास, निरंतर प्रतिबद्धता और मजबूत प्रशासनिक कार्रवाई की जरुरत है, लेकिन हमें भरोसा है कि हम निराशा की मानसिकता से उबर सकते हैं.
मोदी ने कहा कि तीव्र आर्थिक वृद्धि के लिए राजकाज में पारदर्शिता और कुशलता तथा संस्थागत सुधार बहुत जरुरी है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार नीतियों एवं नियमों को आर्थिक वृद्धि के अनुकूल बनाने के लिए तेजी से कदम उठा रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जा रहा है, नए दृष्टिकोण एवं नए उपाय किए जा रहे हैं ताकि रेलवे और सडक निर्माण जैसे क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित किया जा सके.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एजेंडा की रुपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि राजकोषीय घाटे के लिए निर्धारित सीमा को भंग नहीं होने दिया जाएगा. मुद्रास्फीति पर सख्ती से अंकुश लगाया जाएगा, जीएसटी लागू किया जाएगा तथा जनधन योजना जैसे कार्यक्रमों पर अमल के जरिए गरीबों को वित्तीय प्रणाली से जोडा जाएगा… तथा रुपये को अधिक उपयोगी बनाया जाएगा. उन्होंने कहा, हम बजट में घोषित राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम इस दिशा में व्यवस्थित ढंग से बढ़ा रहे हैं. अनावश्यक खर्चों में कटौती से इसमें मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि छोटे और बडे कदम उठाने में कोई विरोधाभास नहीं है.
मोदी ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के कंप्यूटरीकरण की विशाल योजना शुरु की जाएगी. इसमें एफसीआई के गोदामों से लेकर राशन की दुकानों और उपभोक्ताओं तक को कंप्यूटर नेटवर्क से जोडा जाएगा. उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए सब्सिडी की जरुरत रहेगी लेकिन सब्सिडी के लीकेज को भी कम करने की जरुरत है.
उन्होंने कहा, रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी को नकद में देने का कार्यक्रम विश्व में लाभ के नकद अंतरण का सबसे बडा कार्यक्रम है. हम अन्य योजनाओं में भी लाभ के नकद अंतरण की योजना बना रहे हैं. सरकार की भूमिका के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा, पुलिस और न्याय व्यवस्था जैसे सार्वजनिक कार्यों की जिम्मेदारी सरकार की होती है. इसके अलावा, उस पर प्रदूषण नियंत्रण, और बाजार में एकाधिकार जैसी प्रकृतियों को रोकने की भी जिम्मेदारी है क्योंकि इनसे दूसरों को नुकसान होता है.
उन्होंने कहा, हमें सक्षम, कारगर और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की जरुरत है. भारत इस समय 2,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था है.. क्या हम इसे 20,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना नहीं संजो सकते. प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को तीव्रता से आगे बढाने के लिए शीघ्र और आसानी से होने वाले सुधारों की ही जरुरत नहीं है.. सुधार अपने आप में ही सबकुछ नहीं होते. उनका ठोस उद्देश्य होना चाहिए और यह उद्देश्य जन कल्याण में सुधार वाला होना चाहिए.
उर्जा क्षेत्र में सुधारों पर उन्होंने कहा कि कोयला और अन्य खनिजों के आबंटन की नीलामी पर आधारित पारदर्शी व्यवस्था लागू की गई है. बिजली क्षेत्र में भी इसी तरह के सुधार किए जाएंगे ताकि सातों दिन व चौबीस घंटे बिजली सुलभ हो.
मोदी ने कहा कि भारत को निवेश की एक आकर्षक जगह बनाने के उपाय किए जा रहे हैं. इसी संदर्भ में उन्होंने बीमा, जमीन जायदाद, रक्षा उत्पादन और रेलवे के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा में ढील दिए जाने का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन से बुनियादी ढांचे एवं विनिर्माण उद्योग को गति देने के साथ साथ किसानों के मुआवजे के अधिकार की भी रक्षा की गई है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.