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IATA प्रमुख ने कहा, पेशेवर तरीके से हो एयर इंडिया का परिचालन

जिनीवा: एयर इंडिया का परिचालन पेशेवराना तरीके से हो चाहे इसे चलाने के लिए सरकार को निवेशकों को अपनी आंशिक हिस्सेदारी क्यों न बेचनी पडे़. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी टोनी टायलर ने यहां कहा सरकार को यह स्वीकार करना होगा कि यदि उसे एयर इंडिया को निजीकरण करना है […]

जिनीवा: एयर इंडिया का परिचालन पेशेवराना तरीके से हो चाहे इसे चलाने के लिए सरकार को निवेशकों को अपनी आंशिक हिस्सेदारी क्यों न बेचनी पडे़.

इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी टोनी टायलर ने यहां कहा सरकार को यह स्वीकार करना होगा कि यदि उसे एयर इंडिया को निजीकरण करना है तो प्रबंधन एयर इंडिया के पास छोड़ना होगा और वह इसके साथ हस्तक्षेप न करे.

आईएटीए के मुख्यालय में कंपनियों के वैश्विक संगठन के प्रमुख ने एक विमानन कंपनी के परिचालन में राजनीतिक हस्तक्षेप की आलोचना की और कहा कि सरकारी स्वामित्व वाली विमानन कंपनियां आमतौर पर तभी अच्छा प्रदर्शन करती हैं जबकि इन्हें पेशेवरों द्वारा चलाया जाता है.

विश्व भर की सरकारी विमानन कंपनियों के निजीकरण से जुड़े सवालों पर टायलर ने कहा कि यदि बात सरकारी स्वामित्व वाली विमानन कंपनी की है तो यह सरकार का विशेषाधिकार है कि वह इसका परिचालन करे और इसके बावजूद मेरा मानना है कि इसका प्रबंधन पेशवर प्रबंधकों के हाथ में छोड़ देना चाहिए.

टायलर ने कहा कि यदि आप इसे बेचते हैं और निजी निवेशक हैं तो आपको इसका प्रबंधन पेशेवर प्रबंधकों पर छोड़ देना चाहिए और इसका नियंत्रण व्यक्तियों के पास हो न कि सरकार के पास.

विमानन कंपनी के परिचालन में राजनीतिक हस्तक्षेप की आलोचना करते हुए टायलर ने कहा कि यदि किसी विमानन कंपनी को प्रतिस्पर्धा करनी है तो इसे वाणिज्यिक आधार पर चलाना चाहिए.

आईएटीए प्रमुख ने कहा कि यदि इसे चलाना है कि तो इसे सिर्फ इसे वाणिज्यिक इकाई के तौर पर भी चलाया जाना चाहिए क्योंकि आपके प्रतिस्पर्धी वाणिज्यिक आधार पर परिचालन करते हैं. ऐसी स्थिति में सरकार निवेशक होती है न कि प्रबंधक.

जब राजनेता प्रबंधन के फैसले लेने लगते हैं तो दिक्कत आती है. टायलर ने कहा कि यदि सरकार किसी विमानन कंपनी का आंशिक स्वामित्व अपने पास बरकरार रखती भी है और इसमें 10 प्रतिशत भी निजी निवेश है तो उन निवेशकों को वित्तीय निवेशक के तौर पर लिया जाना चाहिए न कि धन के स्रोत भर के तौर पर.

एयर इंडिया के निगमीकरण या व्यावसायीकरण की संभावना से इनकार किए बगैर सरकार ने इसके लिए भावी योजना तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की समिति के गठन का फैसला किया है. सरकार का मानना है कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है कि राष्ट्रीय विमानन कंपनी अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त कर सके.

इसे पिछले महीने नागर विमानन नीति के मसौदे में घोषित किया गया. इस मुद्दे पर सभी संबद्ध पक्षों के साथ चर्चा हो रही है.एयर इंडिया पर पिछली तिमाही तक 40,000 करोड रुपये का ऋण था और उसे 2013-14 में करीब 5,400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

सरकार ने तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार द्वारा 2012 में घोषित राहत पैकेज के तहत कुल 30,000 करोड रुपये की सहायता देने का फैसला किया है. सरकार 2014-15 के दौरान एयर इंडिया में 6,500 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश करेगी.

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