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थोक महंगाई दर में बड़ी गिरावट, 5 साल के निचले स्तर 1.77 % पर

नयी दिल्ली : खाद्य वस्तुओं और सब्जियों की कीमतों में गिरावट जारी रहने से अक्तूबर माह के दौरान थोक मूल्‍य वृद्धि में भी भारी गिरावट दर्ज की गयी है. अक्‍टूबर माह में मुद्रास्‍फीति पांच साल के निम्न स्तर 1.77 प्रतिशत पर आ गयी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इससे पिछले महीने […]

नयी दिल्ली : खाद्य वस्तुओं और सब्जियों की कीमतों में गिरावट जारी रहने से अक्तूबर माह के दौरान थोक मूल्‍य वृद्धि में भी भारी गिरावट दर्ज की गयी है. अक्‍टूबर माह में मुद्रास्‍फीति पांच साल के निम्न स्तर 1.77 प्रतिशत पर आ गयी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इससे पिछले महीने सितंबर में 2.38 प्रतिशत पर थी, जबकि पिछले साल अक्तूबर में यह 7.24 प्रतिशत की उंचाई पर थी.

सरकार की ओर से जारी आंकडों के अनुसार अक्तूबर माह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 2.7 प्रतिशत पर आ गयी, जो करीब ढाई साल का निम्न स्तर है. खाद्य मुद्रास्फीति में इस साल मई से गिरावट आनी शुरु हो गयी थी. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में लगातार पांचवे महीने गिरावट आयी है. यह गिरावट खुदरा मुद्रास्फीति के अक्तूबर में रिकार्ड 5.52 प्रतिशत पर नीचे आने की पृष्टभूमि में आयी है.

अक्तूबर के दौरान प्याज की कीमतों में 59.77 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी, जबकि सितंबर में इसमें 58.12 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. इसी प्रकार अक्तूबर माह के दौरान सब्जियों की कीमतों में 19.61 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी, जबकि मांस-मछली अंडे की कीमतों में 2.58 प्रतिशत की गिरावट आयी. अक्तूबर माह के दौरान आलू के दाम में 82.11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी जबकि इससे पिछले माह इसमें 90.23 प्रतिशत की तेजी आयी थी.

विनिर्मित वस्तुओं जैसे चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थ और सीमेंट की कीमतों में 2.43 प्रतिशत की गिरावट आयी. सितंबर में इनके दाम में 2.84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी. अगस्त माह के दौरान थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 3.85 प्रतिशत पर थी, जबकि पिछले साल के इसी माह में यह 3.74 प्रतिशत पर थी. डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस और बिजली की दरों में अक्तूबर के दौरान 0.43 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि सितंबर में इनकी कीमतें 1.33 प्रतिशत बढी थी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए जनवरी में अपनी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरें स्थिर रखी थीं. अब आरबीआई दो दिसंबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा. अक्तूबर में खुदरा और थोक मुद्रास्फीति दोनों में ही गिरावट आने के साथ साथ सितंबर के औद्योगिक उत्पादन के आंकडों में सुधार को देखते हुये अब रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कम लाने का दबाव बढेगा.

विनिर्माण और पूंजीगत सामानों के क्षेत्र में गतिविधियां बढने से सितंबर में औद्योगिक उत्पादन 0वृद्धि तीन माह के उच्चस्तर 2.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी. उद्योग जगत लगातार ब्याज दरों में कमी की मांग करता आ रहा है. वर्ष 2013-14 में आर्थिक वृद्धि घटकर 4.7 प्रतिशत रही जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 5.4 से 5.9 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया जा रहा है.

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