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पांच अफसरों ने बनाया आम बजट को खास, इस बार मिडिल क्लास पर फोकस

आर्थिक सुस्ती के बीच एक फरवरी को पेश होने वाले बजट को लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है. आर्थिक सुस्ती से सरकार कैसे निबटेगी, टैक्स में क्या राहत मिलेगी और किसानों के लिए बजट में क्या होगा? ऐसी तमाम उत्सुकताएं बजट को लेकर हैं. खबर के मुताबिक, खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस बजट की […]

आर्थिक सुस्ती के बीच एक फरवरी को पेश होने वाले बजट को लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है. आर्थिक सुस्ती से सरकार कैसे निबटेगी, टैक्स में क्या राहत मिलेगी और किसानों के लिए बजट में क्या होगा?
ऐसी तमाम उत्सुकताएं बजट को लेकर हैं. खबर के मुताबिक, खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस बजट की तैयारी में दिलचस्पी ले रहे हैं. इतना ही नहीं, बजट को तैयार करने के लिए उन्होंने पांच विशेष अधिकारियों को भी तैनात किया है. ये पांच अधिकारी हैं- राजीव कुमार, अतनु चक्रवर्ती, टीवी सोमनाथन, अजय भूषण पांडेय और तुहीनकांत पांडेय. ये पांचों अधिकारी सरकार की आय और खर्च का लेखा-जोखा तैयार करने में सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं.
प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री की कोशिश आगामी बजट में इस तरह के उपाय किये जाने की है ताकि आने वाले समय में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके. इसके अलावा बजट में मिडिल क्लास पर विशेष फोकस पर भी जोर दिया जा रहा है.
सीतारमण एक फरवरी को बजट भाषण को पेश करेंगी. बजट की छपाई भी वित्त मंत्रालय स्थित प्रिंटिंग प्रेस में शुरू हो चुकी है. छपाई के लिए 50 से अधिक कर्मचारियों की टीम दिन-रात काम कर रही है. मोदी के पांच नायक भी लगातार अपने काम को अंजाम दे रहे हैं.
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वीएमआर के सर्वेक्षण से यह भी संकेत मिलता है कि लोगों की जेब में पैसे डालने की ज़रूरत
कर रहे बैंकिंग सेक्टर में सुधार का प्लान तैयार
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, वित्त सचिव राजीव कुमार बजट में बैंकिंग सुधारों से जुड़ी घोषणाओं पर काम कर रहे हैं. इससे पहले बैंकों के विलय और उनके पूंजीकरण को लेकर काम कर चुके राजीव कुमार के पास बैंकिंग सुधारों का लंबा अनुभव है. रिपोर्ट्स के मुताबिक वह बैंकों को संकट से उबारने, क्रेडिट ग्रोथ बढ़ाने जैसे मसलों पर इनपुट देने के काम में जुटे हैं.
बना रहे सरकार की कमाई का नये सिरे से खाका
सरकारी संपदाओं की बिक्री के एक्सपर्ट माने जाने वाले अतनु चक्रवर्ती भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट तैयार करने में मदद कर रहे हैं. जुलाई में आर्थिक मामलों के सचिव के तौर पर जिम्मेदारी संभालने वाले अतनु को राजकोषीय घाटे को संतुलित करने का काम दिया गया है. वह अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए संसाधन जुटाने पर फोकस कर रहे हैं.
बेकार के खर्चों पर लगाम कसने की हो रही तैयारी
व्यय सचिव टीवी सोमनाथन सरकार के खर्च की रणनीति बनाने में जुटे हैं. डिमांड को बढ़ाने और बेकार के खर्चों पर लगाम कसने के लिए वह सरकारी योजनाओं का प्लान कर रहे हैं. माना जा रहा है कि पीएमओ में काम कर चुके सोमनाथन का पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अच्छा तालमेल है और वह यह समझते हैं कि बजट को लेकर प्रधानमंत्री की क्या उम्मीदें हैं.
रेवेन्यू कलेक्शन में कमी के कारण इनपर भारी दबाव
रेवेन्य कलेक्शन में कमी होने के चलते दबाव झेल रहे राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय पर भी अहम जिम्मेदारी है. असल में सरकार की कमाई को बढ़ाने की जिम्मेदारी एक तरह से उन पर ही है. कॉरपोरेट टैक्स के कलेक्शन में इजाफे और पर्सनल टैक्स को लेकर भी वह काम कर रहे हैं. प्रत्यक्ष कर संहिता में कुछ प्रस्तावों को स्वीकार करने के बारे में अपनी राय दे सकते हैं.
विनिवेश से सरकार की झोली भरने की जिम्मेदारी
एयर इंडिया को बेचने का जिम्मा संभाल रहे तुहीनकांत पांडेय पर विनिवेश के जरिये सरकार की झोली भरने की जिम्मेदारी है. सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए एक लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था. इस साल यह टारगेट मुश्किल लग रहा है, ऐसे में इस बार आय को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से विनिवेश के लक्ष्य में भी इजाफा किया जा सकता है.
बजट से पहले वीएमआर ने किया सर्वे, नतीजे चौंकाऊ
निम्न-मध्यवर्ग अपनी स्थिति से दुखी, पैसे खर्च करने से बच रहे लोग
बजट से पहले वीएमआर ने 5,000 लोगों पर बजट को लेकर सर्वे किया. सर्वे में 35.50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले की तरह ही है. लगभग 28.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है या उनकी स्थिति बदतर हुई है. सिर्फ सात प्रतिशत लोगों ने कहा है कि उनकी स्थिति पहले से बहुत खराब हुई है. मध्यवर्ग के ऊपरी स्तर के लोगों ने कहा है कि उनकी स्थिति बेहतर हुई है. लेकिन निम्न-मध्यवर्ग के लोग आर्थिक स्थिति को लेकर खुश नहीं है.
लोगों के खर्च करने की प्राथमिकता में आया है बदलाव
जब सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि यदि उन्हें एक लाख रुपये दे दिये जायें तो वे क्या करेंगे, इस सवाल का जवाब अलग-अलग समुदाय के लोगों ने अलग-अलग तरीके से दिया. लगभग 62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे पैसे बचा लेंगे, खर्च नहीं करेंगे. 17 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस पैसे से अपने पुराने कर्ज चुकायेंगे. सिर्फ 21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस पैसे से कुछ खरीदेंगे. यानी कुल मिला कर स्थिति यह है कि जो लोग अतिरिक्त पैसे खर्च करेंगे, वे भी रोटी-कपड़ा-मकान जैसी बुनियादी चीजों पर ही खर्च करेंगे.

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