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”ठीक-ठाक तरीके से हो रही क्रूड ऑयल की सप्लाई, ग्लोबल प्राइस बढ़ने की वजह नहीं”

नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का मानना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है. ऐसे में, दाम बढ़ने की कोई वजह नहीं दिखाई देती है. एजेंसी के कार्यकारी निदेशक फतेह बिरोल ने कहा कि अभी वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की 10 लाख बैरल प्रतिदिन की […]

नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का मानना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है. ऐसे में, दाम बढ़ने की कोई वजह नहीं दिखाई देती है. एजेंसी के कार्यकारी निदेशक फतेह बिरोल ने कहा कि अभी वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की 10 लाख बैरल प्रतिदिन की अतिरिक्त आपूर्ति हो रही है. उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव की वजह से तात्कालिक तौर पर कच्चे तेल में तेजी आयी, लेकिन इसके बाद स्थिति सामान्य हो गयी.

बिरोल ने यहां ‘भारत 2020 ऊर्जा नीति समीक्षा’ रिपोर्ट जारी करने के मौके पर कहा कि सऊदी अरब के तल संयंत्रों पर हमला होने, ईरान तेल के बाजार से बाहर होने तथा वेनेजुएला के धराशायी हो जाने के बाद भी 2019 में कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रही. उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्राजील, कनाडा, नॉर्वे और गुयाना के कारण कच्चे तेल का वैश्विक उत्पादन पर्याप्त बना हुआ है. इस कारण हमें लगता है कि इसकी कीमतों में कोई बड़ी तेजी नहीं आने वाली है. बाजार में पर्याप्त मात्रा में कच्चा तेल उपलब्ध है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जब हम नये साल (2020) को देखते हैं और कच्चे तेल की मांग एवं आपूर्ति पर नजरें डालते हैं, तब हम पाते हैं कि बाजार में कच्चे तेल की पर्याप्त आपूर्ति हो रही है और इसमें मांग के मुकाबले प्रतिदिन 10 लाख बैरल प्रतिदिन की अतिरिक्तता है. इराक स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के मिसाइल हमलों के बाद कच्चा तेल करीब 72 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था. हालांकि, बाद में ईरान की सीमित जवाबी कार्रवाई से यह नीचे आ गया. फिलहाल, ब्रेंट क्रूड 65.17 डॉलर प्रति बैरल और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड का दाम 59.31 डॉलर प्रति बैरल पर बोला जा रहा है.

इस मौके पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि अभी हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब पश्चिम एशिया में तनाव है और क्षेत्र की स्थिरता व सुरक्षा पर इसका असर पड़ रहा है. हम कच्चे तेल की कीमतों में घट-बढ़ को लेकर चिंतित बने हुए हैं.

बिरोल ने कहा कि अमेरिका का शेल तेल-गैस उत्पादन बढ़ता रहेगा, लेकिन बढ़ने की गति धीमी पड़ सकती है. हालांकि, इसके बाद भी अमेरिका सबसे बड़ा उत्पादक बना रहेगा. हमें ब्राजील, नॉर्वे, कनाडा और गुयाना से भी कच्चा तेल के ठीक-ठाक उत्पादन की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि आईईए कच्चे तेल के दाम को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं करता है, लेकिन वैश्विक पटल पर अचानक किसी भू-राजनीतिक घटना के नहीं होने की स्थिति में तेल बाजार में मांग एवं आपूर्ति को देखते हुए हमें दाम बढ़ने की कोई वजह नहीं दिखायी देती है, क्योंकि बाजार में तेल आपूर्ति की कोई कमी नहीं है.

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