बेंगलुरु : कर्नाटक में विपक्षी दल कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के तहत मुक्त व्यापार समझौता करने के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी. दोनों दलों ने सरकार को घरेलू उद्योग विशेषकर डेयरी क्षेत्र पर इसके प्रभावों को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी. कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने मांग की कि प्रस्तावित आरसीईपी समझौते का ब्योरा सार्वजनिक किया जाये और इस पर हस्ताक्षर से पहले बातचीत की जाये.
वहीं, जेडीएस के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इससे घरेलू डेयरी क्षेत्र प्रभावित हुआ, तो विरोध प्रदर्शन किया जायेगा, क्योंकि वह खुद ‘किसान के बेटे’ हैं. उन्होंने कहा कि मैं किसान का बेटा हूं. आयात करने का कोई भी कदम यदि हमारे किसानों को प्रभावित करेगा, तो इसका विरोध प्रदर्शन होगा. सिद्धरमैया ने कहा कि मेरी मांग है कि सरकार इसे लोगों के सामने रखे कि आरसीईपी और मुक्त व्यापार समझौते के तहत क्या होने जा रहा है. इसके लाभ और हानि पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए. इसे गुप्त तरीके से करके देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस पर बिना विचार-विमर्श के हस्ताक्षर कर लेती है तो यह जनता के साथ ‘धोखा’ होगा. इसके अलावा, उन्होंने नोटबंदी, जीएसटी और देश के आर्थिक हालातों का लेकर भी केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की. प्रस्तावित आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा उनके छह मुक्त व्यापार साझेदार देश भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच होने वाला वृहद मुक्त व्यापार समझौता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.