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मूडीज ने भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को 6.10 से घटाकर 5.80 फीसदी किया

नयी दिल्ली : मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने गुरुवार को 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 फीसदी से घटाकर 5.80 फीसदी कर दिया. मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं. रिजर्व बैंक ने भी हालिया […]

नयी दिल्ली : मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने गुरुवार को 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 फीसदी से घटाकर 5.80 फीसदी कर दिया. मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं. रिजर्व बैंक ने भी हालिया मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.10 फीसदी कर दिया है.

मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि नरमी का कारण निवेश में कमी है, जो बाद में रोजगार सृजन में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय संकट के कारण उपभोग में भी प्रभावी हो गया. उसने कहा कि नरमी के कई कारण हैं और इनमें से अधिकांश घरेलू हैं तथा दीर्घकालिक असर वाले हैं. उसने कहा कि वृद्धि दर बाद में तेज होकर 2020-21 में 6.6 फीसदी और मध्यम अवधि में करीब सात फीसदी हो जायेगी.

उसने कहा कि हम अगले दो साल जीडीपी की वास्तविक वृद्धि तथा महंगाई में धीमे सुधार की उम्मीद करते हैं. हमने दोनों के लिए अपना पूर्वानुमान घटा दिया है. दो साल पहले की स्थिति से तुलना करें, तो जीडीपी वृद्धि दर आठ फीसदी या इससे अधिक बने रहने की उम्मीद कम हो गयी है. इससे पहले एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और ओईसीडी ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान कम कर दिया था.

रेटिंग एजेंसियां स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और फिच ने भी पूर्वानुमान में कटौती की है. मूडीज ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती तथा कम जीडीपी वृद्धि दर के कारण राजकोषीय घाटा सरकार के लक्ष्य से 0.40 फीसदी अधिक होकर 3.70 फीसदी पर पहुंच जाने की आशंका व्यक्त की. उसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से वास्तविक जीडीपी में पांच फीसदी की वृद्धि अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन भारत के संदर्भ में यह कम है.

हालिया वर्षों में मुद्रास्फीति में अच्छी खासी गिरावट के कारण सांकेतिक जीडीपी की वृद्धि दर पिछले दशक के करीब 11 फीसदी से गिरकर 2019 की दूसरी तिमाही में करीब आठ फीसदी पर आ गयी है. उसने कहा कि 2012 के बाद निजी निवेश अपेक्षाकृत नरम रहा है, लेकिन जीडीपी में करीब 55 फीसदी योगदान देने वाला उपभोग शानदार रहा है.

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