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दिवालिया प्रक्रिया को लेकर नाराज हैं रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयरधारक

मुंबई : दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही रिलायंस कम्युनिकेशंस की वार्षिक आम बैठक में कंपनी के भविष्य को लेकर चिंता छायी रही. निवेशकों ने कंपनी के दिवालिया होने और उसके भविष्य को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. कंपनी की वार्षिक आम बैठक को पहली बार अदालत द्वारा नियुक्त समाधान पेशेवर ने संबोधित किया. सलाहकार फर्म […]

मुंबई : दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही रिलायंस कम्युनिकेशंस की वार्षिक आम बैठक में कंपनी के भविष्य को लेकर चिंता छायी रही. निवेशकों ने कंपनी के दिवालिया होने और उसके भविष्य को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. कंपनी की वार्षिक आम बैठक को पहली बार अदालत द्वारा नियुक्त समाधान पेशेवर ने संबोधित किया. सलाहकार फर्म डेलायट के अनीष नानावटी ने बैठक में शेयरधारकों को सूचित किया कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कंपनी की दिवाला प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया है. यह प्रक्रिया अब अगले साल 10 जनवरी तक पूरी हो जायेगी.

नानावटी कंपनी के लिए बोली आमंत्रित करने का काम प्रक्रिया में है और बोली प्रक्रिया में पूरी कंपनी को खरीदने वाली बोली को ही प्राथमिकता दी जायेगी. उन्होंने शेयरधारकों को बताया कि कंपनी को उसके सभी ऋणदाताओं से कुल मिलाकर 84,628 करोड़ रुपये का दावा मिला है. रिलायंस अनिल धीरुभाई अंबानी समूह के एक अन्य कंपनी रिलायंस पावर ने अपने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में फल्यू-गैस डिसलफयूराजेशन (एफजीडी) स्थापित करने के लिए 4,000 करोड़ रुपये के पूंजी व्यय की योजना बनायी है.

कंपनी की 25वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए चेयरमैन अनिल अंबानी ने सोमवार को कहा कि कंपनी हरित और स्वच्छ ऊर्जा की अपनी रणनीति के तहत सौर, पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर गौर करेगी. इसके अलावा, बायोमास और जैव ईंधन जैसे अपशिष्ट से विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में भी पहल करेगी. समूह की एक अन्य कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आरइंफ्रा) पर 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.

कंपनी ने सोमवार को कहा है कि वह अपने कर्ज को कम करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है. कंपनी के चेयरमैन अनिल धीरूभाई अंबानी ने शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा कि कंपनी अपना कर्ज कम करना चाहती है. वर्तमान में कंपनी पर 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन उसकी निवल संपत्ति काफी व्यापक है. उन्होंने कहा कि कंपनी घरेलू बाजार पर ध्यान दे रही है और ढांचागत क्षेत्र और परिवहन क्षेत्र की बड़ी परियोजनाओं को हाथ में लेगी.

उन्होंने कहा कि हम देश में निजी क्षेत्र की शीर्ष पांच रक्षा कंपनियों में से एक बनने की उम्मीद कर रहे हैं. हम आत्मनिर्भर और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे और वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनेंगे. प्रमुख वैश्विक कंपनियों की भागीदारी के साथ हमारा रक्षा कारोबार ईष्टतम फायदे का हो यह सुनिश्चित करेंगे.

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