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केमिकल इंडस्ट्री में एफडीआई काफी कम होने पर सरकार ने आत्मनिरीक्षण करने की दी नसीहत

नयी दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को कहा कि अनुकूल नीतियों के बावजूद रसायन उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भारत को कुल प्राप्त एफडीआई का केवल नौ फीसदी है, जो उसकी नजर में काफी कम है. सरकार ने इस क्षेत्र के उद्यमियों को इस बारे में आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी है. इसे भी […]

नयी दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को कहा कि अनुकूल नीतियों के बावजूद रसायन उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भारत को कुल प्राप्त एफडीआई का केवल नौ फीसदी है, जो उसकी नजर में काफी कम है. सरकार ने इस क्षेत्र के उद्यमियों को इस बारे में आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी है.

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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने उद्योग से इस बारे में सुझाव मांगे हैं. उन्होंने जानना चाहा है कि क्या इस दिशा में किसी नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कि इस क्षेत्र को 2025 तक 304 अरब डॉलर तक पहुंचाया जा सकता है, जो अभी 163 अरब डॉलर है.

मंत्री ने उद्योग को भरोसा दिलाया कि उसके समक्ष आ रही प्रमुख अड़चनों को दूर करने के लिए कदम उठाए जायेंगे. इस पर विशेषज्ञों और अंशधारकों के विचार लिये जायेंगे. इनमें हरित मंजूरी प्राप्त करने में देरी और शोध एवं विकास के लिए कर प्रोत्साहन को वापस लिये जाने जैसी अड़चनें शामिल हैं. सरकार ने पहले ही उद्योग की चुनौतियों से निपटने को आवश्यक कदम उठाये हैं. रसायन एवं पेट्रोरसायन क्षेत्र के लिए विकास परिषद एवं सलाहकार मंच का गठन किया गया है.

गौड़ा ने कहा कि रसायन क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति है. देश में आने वाले कुल एफडीआई का मात्र 9 फीसदी ही इस क्षेत्र को मिलता है, तो अनुकूल औद्योगिक नीति को देखते हुए काफी कम है. मंत्री ने बताया कि पड़ोसी देशों में सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड और फिलिपीन के रसायन उद्योग को निवेश मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि उद्योग को इसकी वजह पता लगाने के लिए आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है. साथ ही उद्योग को सरकार को नीतिगत हस्तक्षेप के बारे में भी सुझाव देना चाहिए. गौड़ा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर रसायन उद्योग का आकार 5,000 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत का हिस्सा मात्र तीन फीसदी है.

उन्होंने उद्योग के साथ-साथ सरकार के मौजूदा कदमों से भारतीय रसायन उद्योग में 10 फीसदी से अधिक की दर से आगे बढ़ने की क्षमता है. उन्होंने क्षेत्र में शोध एवं विकास पर खर्च को भी मौजूदा से दो-तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच से आठ फीसदी करने पर जोर दिया.

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