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नकली सामान से सरकारी खजाने को सालाना 39,239 करोड़ रुपये का नुकसान, लाखों नौकरियों पर खतरा

नयी दिल्ली : बाजार में नकली उत्पादों की बिक्री से स्थानीय उत्पादकों के कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इससे केवल सात प्रकार के उद्योगों को ही 1,05,381 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. उद्योग मंडल फिक्की-कास्केड की एक ताजा रिपोर्ट में नकली सामानों की समस्या का यह रूप दर्शाने के साथ […]

नयी दिल्ली : बाजार में नकली उत्पादों की बिक्री से स्थानीय उत्पादकों के कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इससे केवल सात प्रकार के उद्योगों को ही 1,05,381 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. उद्योग मंडल फिक्की-कास्केड की एक ताजा रिपोर्ट में नकली सामानों की समस्या का यह रूप दर्शाने के साथ यह भी कहा गया है कि इससे इन उद्योगों में लाखों लोगों की नौकरी पर भी खतरा पैदा हो गया है.

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उद्योग मंडल फिक्की की तस्करी और नकली सामानों के खिलाफ काम करने वाली इकाई फिक्की-कास्केड के ताजा आंकड़े के अनुसार अवैध कारोबार से सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ रहा है. इससे सरकारी खजाने को सालाना 39,239 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. विभिन्न देशों और क्षेत्रों में अवैध सामानों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है. एक अनुमान के अनुसार, अवैध कारोबार और आपराधिक गतिविधियों से वैश्विक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 8 से 15 फीसदी प्रभावित हुआ है.

रिपोर्ट के मुताबिक, नकली सामान भारत उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं. इससे लाखों वैध रोजगार खत्म होने का खतरा है. उद्योग मंडल ने कहा कि उद्योग को केवल सात क्षेत्र वाहन कल-पुर्जे, अल्कोहल युक्त पेय पदार्थ, कंप्यूटर हार्डवेयर, रोजमर्रा के उपयोग के डिब्बाबंद तथा व्यक्तिगत उपयोग वाले सामान, सिगरेट तथा मोबाइल फोन से जुड़े उद्योग को 1,05,381 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च शुल्क दरें, ब्रांड के प्रति जागरूकता, जागरूकता का अभाव, सस्ता विकल्प तथा मांग-आपूर्ति में अंतर भारत में तस्करी के प्रमुख कारण हैं.

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