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भारत ने चीन के सामने आयात-निर्यात के बीच भारी अंतर पर जाहिर की चिंता

बीजिंग : भारत ने चीन साथ द्विपक्षीय व्यापार में निर्यात आयात के बीच भारी अंतर पर चिंता जाहिर की है. उसने कहा है कि चीन को भारत से सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, कृषि वस्तुओं और दवाओं का आयात करना चाहिए और आपसी पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए. आपसी व्यापार में भारत का व्यापार घाटा यानी चीन […]

बीजिंग : भारत ने चीन साथ द्विपक्षीय व्यापार में निर्यात आयात के बीच भारी अंतर पर चिंता जाहिर की है. उसने कहा है कि चीन को भारत से सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, कृषि वस्तुओं और दवाओं का आयात करना चाहिए और आपसी पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए. आपसी व्यापार में भारत का व्यापार घाटा यानी चीन को किया जाने वाला निर्यात वहां से होने वाले आयात की तुलना में 51 अरब डॉलर से भी अधिक है. भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार 18.63 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रहा है. पिछले साल यह 84.44 अरब डॉलर के ऐतिहासिक उच्चतम स्तर पर था. इस दौरान भारत का व्यापार घाटा भी बढ़कर 51.75 अरब डॉलर हो गया है.

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भारत के वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने चीन के वाणिज्‍य उपमंत्री वांग शओवन के साथ यहां एक बैठक में आपसी व्यापार से जुड़ी दिक्कतों पर बातचीत की. वधावन चीन अंतरराष्ट्रीय आयात एक्सपो (सीआईआईई) में भाग लेने आए हुए हैं. भारतीय दूतावास ने इस बैठक के बारे में जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि वधावन ने भारत से सोयाबीन और अनार के निर्यात से जुड़े मामले की प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया है.

हालांकि, वाणिज्‍य सचिव ने आपसी व्यापार में भारत के पहाड़ की तरह बढ़ रहे व्‍यापार घाटे के प्रति चिंता व्‍यक्‍त की. हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि चीनी भारतीय निर्यातकों को अपने-अपने बाजार में और जगह देने से जुड़े मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रयास कर रहा है. भारत कई सालों से चीन के सामने बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर अपनी चिंता जताता रहा है. वह चीन पर व्यापार घाटे को कम करने के लगातार दबाव डाल रहा है.

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान शहर दौरान हुई अनौपचारिक शिखर बैठक में भी व्यापार घाटे का मुद्दा छाया रहा था. भारत ने चीन से उसके खाद्य एवं कृषि उत्पादों, दवा, आईटी और आईटी आधारित सेवाओं, पर्यटन और सेवा क्षेत्र में बाजार पहुंच को आसान बनाने के लिए कहा है. इन क्षेत्रों में भारत मजबूत स्थिति में है और विश्व में उसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है, जबकि चीन के इन बाजारों में भारत की उपस्थिति बहुत कम है.

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